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बकरी चराने वाला कैसे बना IAS, इस अधिकारी की कहानी सुनकर हो जाएंगे इमोशनल

इंसान को कठिन परिश्रम और मेहनत तराशने का काम करती है और उसकी लगन उसे मंजिल तक पहुंचाती है. आज हम बात उस IAS अधिकारी की करेंगे, जो गांव की पगडंडियों पर बकरी हांककर IAS बना.

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Published : Apr 8, 2022, 7:36 AM IST

Updated : Apr 8, 2022, 11:50 AM IST

मिर्जापुर: हर कामयाब शख्स के पीछे उसकी कठिन परिश्रम और मेहनत छुपी होती है, जो उसे समय के साथ तराशने का काम करती है और उसकी लगन उसे मंजिल तक पहुंचाती है. खैर, आज हम एक ऐसे शख्सियत की बात करेंगे, जो गांव की पगडंडियों पर बकरी हांककर IAS बन गया. ये आईएएस इन दिनों अपने सोशल मीडिया पर किए एक इमोशनल पोस्ट को लेकर खासा चर्चा में है. इस आईएएस अधिकारी ने अपने बचपन की एक ऐसी कहानी शेयर की, जिसे पढ़कर लोग इमोशनल हो गए. उनके ट्वीट के बाद कई यूजर्स ने उनकी प्रशंसा भी की. आईएएस राम प्रकाश ने बताया कि 2018 में छठे प्रयास में वो आईएएस की परीक्षा क्रैक करने में सफल हुए थे.

उनकी शुरुआती पढ़ाई वाराणसी से हुई थी. वहीं वो अपने बचपन की यादों वो शेयर करते हुए लिखते हैं कि जून, 2003 में हम 5-6 लोग बकरियां चराने गए थे. वहीं पर आम के पेड़ की डाल पर झूला झूल रहे थे. अचानक से डाल टूट गई. किसी को चोट तो नहीं लगी, लेकिन मार खाने से बचने के लिए हम लोग मिलकर पेड़ की डाल ही उठा लाए थे, जिससे पता ही न चले कि डाल टूटी है या नहीं. मूल रूप से मिर्जापुर के जमुआ बाजार के निवासी आईएएस राम प्रकाश अपने ट्वीट में आगे लिखते हैं कि अक्‍सर पढ़ाई के बाद बकरी चराने जाना भी उनके रूटीन में शामिल था. गांव में हर दिन स्‍कूल के बाद वो बकरी चराने जाते थे, क्‍योंकि पढ़ाई और बकरी चराना ये दोनों ही एक साथ चलता रहा. ये कोई एक दिन की बात नहीं थी, बल्कि ये रोजमर्रा का काम हो गया था.

बकरी चराने वाला कैसे बना IAS
बकरी चराने वाला कैसे बना IAS

इसे भी पढ़ें - पूर्व मेयर शकुंतला भारती ने कहा, मस्जिदों में होने वाली अजान पर लगेगा विराम

आपको बता दें कि राम प्रकाश 2018 बैच के राजस्‍थान कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. उनकी शुरुआती पढ़ाई वाराणसी के रोहनिया स्थित श्रद्धानंद सरस्‍वती इंटरमीडियट कॉलेज से हुई. इसके बाद 2007 में उन्होंने 12वीं पास की थी. फिलहाल वो राजस्‍थान के पाली जनपद में CEO जिला परिषद के पद पर तैनात हैं. वहीं, खास बात यह है कि अपने छठे प्रयास में उन्होंने आईएएस परीक्षा क्रैक की थी. तब उनकी 162 रैंक आई थी और उन्‍हें 2025 में से 1041 अंक मिले थे. वहीं, साक्षात्कार में उन्‍हें 275 में से 151 नंबर मिले थे. वह झालावार के भवानी मंडी और अजमेर के ब्यावर में एसडीएम भी रह चुके हैं. यूपी से ताल्लुक रखने वाले इस आईएएस अधिकारी के ट्विटर पर 65 हजार से अधिक फॉलोअर्स हैं.

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मिर्जापुर: हर कामयाब शख्स के पीछे उसकी कठिन परिश्रम और मेहनत छुपी होती है, जो उसे समय के साथ तराशने का काम करती है और उसकी लगन उसे मंजिल तक पहुंचाती है. खैर, आज हम एक ऐसे शख्सियत की बात करेंगे, जो गांव की पगडंडियों पर बकरी हांककर IAS बन गया. ये आईएएस इन दिनों अपने सोशल मीडिया पर किए एक इमोशनल पोस्ट को लेकर खासा चर्चा में है. इस आईएएस अधिकारी ने अपने बचपन की एक ऐसी कहानी शेयर की, जिसे पढ़कर लोग इमोशनल हो गए. उनके ट्वीट के बाद कई यूजर्स ने उनकी प्रशंसा भी की. आईएएस राम प्रकाश ने बताया कि 2018 में छठे प्रयास में वो आईएएस की परीक्षा क्रैक करने में सफल हुए थे.

उनकी शुरुआती पढ़ाई वाराणसी से हुई थी. वहीं वो अपने बचपन की यादों वो शेयर करते हुए लिखते हैं कि जून, 2003 में हम 5-6 लोग बकरियां चराने गए थे. वहीं पर आम के पेड़ की डाल पर झूला झूल रहे थे. अचानक से डाल टूट गई. किसी को चोट तो नहीं लगी, लेकिन मार खाने से बचने के लिए हम लोग मिलकर पेड़ की डाल ही उठा लाए थे, जिससे पता ही न चले कि डाल टूटी है या नहीं. मूल रूप से मिर्जापुर के जमुआ बाजार के निवासी आईएएस राम प्रकाश अपने ट्वीट में आगे लिखते हैं कि अक्‍सर पढ़ाई के बाद बकरी चराने जाना भी उनके रूटीन में शामिल था. गांव में हर दिन स्‍कूल के बाद वो बकरी चराने जाते थे, क्‍योंकि पढ़ाई और बकरी चराना ये दोनों ही एक साथ चलता रहा. ये कोई एक दिन की बात नहीं थी, बल्कि ये रोजमर्रा का काम हो गया था.

बकरी चराने वाला कैसे बना IAS
बकरी चराने वाला कैसे बना IAS

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Last Updated : Apr 8, 2022, 11:50 AM IST
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