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दो कमरे में पांच कक्षाएं, आखिर शिक्षक कैसे पढ़ाएं..

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में प्राथमिक विद्यालय भोरसर का बुरा हाल है. यहां कक्षा एक से चार तक की पढ़ाई के लिए सिर्फ दो कमरे हैं. जिस वजह से शिक्षकों को पढ़ाने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

मिर्जापुर का प्राथमिक विद्यालय भोरसर.
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Published : Aug 31, 2019, 10:07 AM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST

मिर्जापुर: मिर्जापुर सिटी विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय भोरसर में 197 बच्चे पंजीकृत हैं, जहां लगभग 140 बच्चे प्रतिदिन पढ़ने आते हैं. विद्यालय में कमरा न होने की वजह से एक कमरे में 60-60 बच्चों को बैठाकर पढ़ाना पड़ता है. एक ही कमरे में इतनी संख्या में भीड़ होने की वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके चलते शिक्षक और बच्चों दोनों का ही बड़ा नुकसान हो रहा है.

भोरसर प्राथमिक विद्यालय में शिक्षा व्यवस्था में कमी.

पढ़ाई के लिये जगह की नहीं है व्यवस्था -
मिर्जापुर सिटी विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय भोरसर में पढ़ाने के लिए उचित रुप से कमरे की व्यवस्था नहीं है. बच्चे ज्यादा हैं और क्लास रुम केवल दो. चार अध्यापकों वाले इस विद्यालय में एक ही कमरे में दो-दो क्लासें चलाई जाती हैं. जिस वजह से जब एक क्लास के बच्चे पढ़ते हैं तो दूसरे क्लास के बैठे रहते हैं या शोर मचाते रहते हैं. अध्यापकों का कहना है कि अगर यहां पांच कक्षाएं चलती हैं तो कमरे भी कम से कम पांच होने चाहिए. चार शिक्षकों के होने के बावजूद भी यहां पर अच्छी पढ़ाई नहीं हो पा रही है.

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बेहतर शिक्षा देने के लिए सरकार करोड़ों रुपए बच्चों के लिए हर वर्ष खर्च कर रही है. बावजूद इसके जिले के इस स्कूल में बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है. ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिरकार इस तरह से देश के भविष्य को कैसे संवारा जाएगा.

मिर्जापुर: मिर्जापुर सिटी विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय भोरसर में 197 बच्चे पंजीकृत हैं, जहां लगभग 140 बच्चे प्रतिदिन पढ़ने आते हैं. विद्यालय में कमरा न होने की वजह से एक कमरे में 60-60 बच्चों को बैठाकर पढ़ाना पड़ता है. एक ही कमरे में इतनी संख्या में भीड़ होने की वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके चलते शिक्षक और बच्चों दोनों का ही बड़ा नुकसान हो रहा है.

भोरसर प्राथमिक विद्यालय में शिक्षा व्यवस्था में कमी.

पढ़ाई के लिये जगह की नहीं है व्यवस्था -
मिर्जापुर सिटी विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय भोरसर में पढ़ाने के लिए उचित रुप से कमरे की व्यवस्था नहीं है. बच्चे ज्यादा हैं और क्लास रुम केवल दो. चार अध्यापकों वाले इस विद्यालय में एक ही कमरे में दो-दो क्लासें चलाई जाती हैं. जिस वजह से जब एक क्लास के बच्चे पढ़ते हैं तो दूसरे क्लास के बैठे रहते हैं या शोर मचाते रहते हैं. अध्यापकों का कहना है कि अगर यहां पांच कक्षाएं चलती हैं तो कमरे भी कम से कम पांच होने चाहिए. चार शिक्षकों के होने के बावजूद भी यहां पर अच्छी पढ़ाई नहीं हो पा रही है.

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बेहतर शिक्षा देने के लिए सरकार करोड़ों रुपए बच्चों के लिए हर वर्ष खर्च कर रही है. बावजूद इसके जिले के इस स्कूल में बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है. ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिरकार इस तरह से देश के भविष्य को कैसे संवारा जाएगा.

Intro:मिर्जापुर सिटी विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय भोरसर का हाल बेहाल है।यहा पर एक से पांच तक कक्षा की छात्रो की पढ़ाई दो कमरे में चार शिक्षक मिलकर कराते हैं जबकि पांच क्लास है तो 5 रूम होना चाहिए। क्लासरूम कम होने से एक कक्षा में 60-60 बच्चों को बैठाकर पढ़ाया जाता है दो-दो क्लास के बच्चों को एक कक्ष में पढ़ाने से एक क्लास के बच्चे पढ़ते हैं तो दूसरे क्लास के बैठे रहते हैं या शोर मचाते रहते हैं जिससे पढ़ाई बाधित होती है अध्यापक भी कक्ष कम होने से बेहतर पढ़ाई नहीं करा पा रहे हैं चार शिक्षक होने के बावजूद भी यहां पर अच्छी पढ़ाई नहीं हो पा रही है।


Body:प्राथमिक विद्यालय भोरसर में 197 बच्चे पंजीकृत है लगभग 140 बच्चे प्रतिदिन उसमें से आते भी हैं। कक्ष कम होने से एक क्लास में 60-60 बच्चों को बैठाकर पढ़ाने को टीचर मजबूर हैं। हालात यह है कि दो शिक्षक पढ़ाते हैं तो दो शिक्षक बैठे रहते हैं। इस विद्यालय के पास जगह भी नहीं है कि कोई अतिरिक्त कक्ष बन सके। छोटे से क्लास में दो क्लास के खचाखच भरे बच्चे रहते हैं जिससे बच्चों की पढ़ाई सही से नहीं हो पाता है एक क्लास को बच्चे को शिक्षक पढ़ाते हैं तो दूसरे क्लास के बच्चे बैठे रहते हैं या शोर मचाते रहते हैं इसी तरह पूरे दिन भर पढ़ाई होती है। बच्चों का भी कहना है कि दो-दो क्लास के छात्र एक कक्ष में बैठकर पढ़ाई करते हैं सर तो पढ़ाते हैं लेकिन एक ही क्लास वालों को एक बार ने पढ़ा पाते हैं दूसरी क्लास के लोग बैठे रहते हैं या शोर मचाते हैं जगह कम होने से गर्मी भी बहुत लगती है क्योंकि बहुत ज्यादा बच्चे बैठे रहते हैं।
एक कमरे में 60-60 बच्चो को बैठाकर पढ़ा रहे दो अलग-अलग कक्षा के छात्रों को शिक्षक सूर्यकांत चौबे भी बच्चों को पढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन एक बार में तो केवल एक ही कक्षा के बच्चों को पढ़ाया जाना संभव है ऐसे में चाहने के बाद भी बेहतर शिक्षण कार्य नहीं करा पा रहे हैं। शिक्षक का कहना है कि 197 बच्चे पंजीकृत हैं यहां पर 140 से ज्यादा पर दिन बच्चे आते हैं एक क्लास में 60-60 बच्चों को बैठाया जाता है पढ़ाने के लिए 2 क्लास के एक साथ बैठने से पढ़ाने दिक्कत परेशानी होती है यह को पढ़ाते हैं तो दूसरे क्लास के शोर मचाते रहते हैं यहां जगह भी नहीं है कि कोई और अतिरिक्त कक्ष बन सके जबकि हम लोग यहां 4 शिक्षक हैं चाह कर भी अच्छी बच्चों को पढ़ाई नहीं करा पा रहे हैं।

बाईट-शशि विश्वकर्मा -छात्रा
बाईट- सूर्यकांत चौबे- शिक्षक


Conclusion:सरकार करोड़ों रुपए बच्चों को पढ़ाने के लिए हर वर्ष खर्च कर रही है बेहतर शिक्षा देने के लिए लेकिन जगह कम होने से शिक्षक एक क्लास में दो-दो क्लास के बच्चों को एक क्लास में पढ़ाने को शिक्षक मजबूर हैं यह क्लास को पढ़ाते हैं तो दूसरे क्लास के बच्चे उसी रूम में होने को जैसे शोर मचाते रहते हैं या अपना समय पास करते हैं अब इन बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं हो रहा है तो क्या हो रहा है क्या इसी तरह से देश के भविष्य तैयार किए जाएंगे।

जयप्रकाश सिंह
मिर्जापुर
9453881630
Last Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST
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