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मिर्जापुर: विंध्याचल में भक्तों ने मां कालरात्रि के किए दर्शन

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के विंध्याचल धाम में नवरात्र के सातवें दिन भक्तों ने मां कालरात्रि स्वरूप के दर्शन किए. मंदिर में आधी रात के बाद से ही भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया था. सुबह पट खुलते ही मां की एक झलक पाकर भक्त निहाल हो गए.

विंध्याचल में भक्तों ने मां कालरात्रि के किए दर्शन.
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Published : Oct 6, 2019, 10:07 AM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST

मिर्जापुर: जिले के विंध्याचल धाम में नवरात्र के सातवें दिन भक्तों ने मां कालरात्रि स्वरूप के दर्शन किए. पाप का अंत करने वाली देवी के दर्शन कर भक्तों ने खुद को कृतार्थ किया. मंदिर में आधी रात के बाद से ही भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया था. सुबह से ही लाइन में लगे भक्त पट खुलते ही मां की एक झलक पाकर निहाल हो गए.

विंध्याचल में भक्तों ने मां कालरात्रि के किए दर्शन.
समस्त सिद्धियों के खुलते हैं द्वार
मां दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती है. दुर्गा पूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना का विधान है. इस दिन साधक का मन सहस्रार चक्र में स्थित रहता है. इसके लिए ब्राह्मण की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है. मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन यह सदैव शुभ फल देने वाली हैं. इसी कारण इनका नाम शुभकारी भी है. इनसे भक्तों को किसी प्रकार भी भयभीत अथवा आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है. मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं. दानव-दैत्य, राक्षस, भूत-प्रेत आदि इनके स्मरण से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं. यह ग्रह बाधाओं को भी दूर करने वाली हैं.
दर्शन से मन को मिलती है शांति
नवरात्र में लाखों भक्त मां के दरबार में आते हैं. भक्तों का कहना है कि यहां आने पर मन को शांति मिलती है. साथ ही मां से जो मांगा जाए वो सभी मनोकामना पूर्ण करती हैं. हम लोग कई सालों से मां का दर्शन-पूजन करने जा रहे हैं.
नवरात्र में मुंडन संस्कार का महत्व
नवरात्र में मुंडन संस्कार का बहुत महत्व होता है. दूर-दूर से आकर भक्त अपने बच्चों का नवरात्र में मुंडन संस्कार कराते हैं.

मिर्जापुर: जिले के विंध्याचल धाम में नवरात्र के सातवें दिन भक्तों ने मां कालरात्रि स्वरूप के दर्शन किए. पाप का अंत करने वाली देवी के दर्शन कर भक्तों ने खुद को कृतार्थ किया. मंदिर में आधी रात के बाद से ही भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया था. सुबह से ही लाइन में लगे भक्त पट खुलते ही मां की एक झलक पाकर निहाल हो गए.

विंध्याचल में भक्तों ने मां कालरात्रि के किए दर्शन.
समस्त सिद्धियों के खुलते हैं द्वार
मां दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती है. दुर्गा पूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना का विधान है. इस दिन साधक का मन सहस्रार चक्र में स्थित रहता है. इसके लिए ब्राह्मण की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है. मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन यह सदैव शुभ फल देने वाली हैं. इसी कारण इनका नाम शुभकारी भी है. इनसे भक्तों को किसी प्रकार भी भयभीत अथवा आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है. मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं. दानव-दैत्य, राक्षस, भूत-प्रेत आदि इनके स्मरण से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं. यह ग्रह बाधाओं को भी दूर करने वाली हैं.
दर्शन से मन को मिलती है शांति
नवरात्र में लाखों भक्त मां के दरबार में आते हैं. भक्तों का कहना है कि यहां आने पर मन को शांति मिलती है. साथ ही मां से जो मांगा जाए वो सभी मनोकामना पूर्ण करती हैं. हम लोग कई सालों से मां का दर्शन-पूजन करने जा रहे हैं.
नवरात्र में मुंडन संस्कार का महत्व
नवरात्र में मुंडन संस्कार का बहुत महत्व होता है. दूर-दूर से आकर भक्त अपने बच्चों का नवरात्र में मुंडन संस्कार कराते हैं.
Intro:या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

माँ विंध्यवासिनी के धाम में आज भक्तो को माँ कालरात्रि  के दर्शन मिले । मां का एक झलक पाने के लिए भक्त लाइन मे दिखे वहीँ मंगला आरती के बाद  श्रद्धालु दर्शन को उमड़ पड़े। आधी रात के बाद से ही श्रद्धलुओ का तांता लगना शुरू हो गया था और माँ की एक झलक पाकर सब निहाल हो गए। नवरात्र में मुन्डन संस्कार का बहुत महत्व होता है दूर दूर से आये श्रद्धालु अपने बच्चो का नवरात्र में मुन्डन संस्कार कराते है, मान्यता है की यहा पर मुन्डन संस्कार करने पर बच्चे संस्कारीत होते है । साथ ही विंध्यधाम  में ही  महाकाली  ने रक्तबीज  नामक  राक्षस का बध  किया  था   जिसका  रक्त  धरती पर  गिरने  से हजारो  राक्षस पैदा हो जाते थे  माँ  ने अपनी  जिव्हा पर ही  रड क्षेत्र बनाया और उसी  पर रक्त बीज का  बध  किया  इसी  लिए  कालीखोह  में स्थित माँ काली  का  मुख आसमान  की तरफ खुला हुआ है  Body:विश्व प्रसिद्ध विंध्याचल में नवरात्र की सप्तमी दिवस पर आज  माँ कालरात्रि  के रूप  की पूजा  होती है  आज का दिन  माँ के  शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं। दुर्गापूजा के सातवें दिन माँ कालरात्रि की उपासना का विधान है। इस दिन साधक का मन 'सहस्रार' चक्र में स्थित रहता है। इसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है। माँ कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं। इसी कारण इनका एक नाम 'शुभंकारी' भी है। अतः इनसे भक्तों को किसी प्रकार भी भयभीत अथवा आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है। माँ कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं। दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं। ये ग्रह-बाधाओं को भी दूर करने वाली हैं। इनके उपासकों को अग्नि-भय,जल-भय, जंतु-भय, शत्रु-भय, रात्रि-भय आदि कभी नहीं होते। इनकी कृपा से वह सर्वथा भय-मुक्त हो जाता है।

Bite-भक्त
Bite-मिठ्ठू मिश्रा-तीर्थपुरोहित

जय प्रकाश सिंह
मिर्ज़ापुर
9453881630Conclusion:
Last Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST
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