मेरठ : पश्चमी उत्तर प्रदेश के मेरठ में तीन साल पहले युवती की आत्महत्या मामले में अदालत ने फैसला सुनाया है. अदालत ने दोषी शादाब को 10 साल की कारावास की सजा और एक लाख का अर्थदंड भी लगाया है. अपर जिला जज ने आत्महत्या के मामले में शादाब को दोषी करार दिया. शादाब ने युवती के साथ छेड़छाड़ कर न सिर्फ अश्लील वीडियो बना लिया था, बल्कि उसे वायरल करने की धमकी देकर आत्महत्या के लिए मजबूर किया था. इतना ही नहीं, आत्महत्या के वक्त आरोपी शादाब मौके पर ही देखा गया था. इकलौती बेटी की मौत के जिम्मेदार को सजा मिलने पर पैरों से लाचार पिता ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया.
क्या है पूरा मामला
थाना इंचौली इलाके में तीन साल पहले पैर से दिव्यांग पिता ने शादाब पुत्र सुलेमान को नौकरी पर रखा था. दिव्यांग पिता को कोई बेटा नहीं था. केवल इकलौती बेटी थी. आरोपी शादाब ने दिव्यांग पिता की बेटी के धोखे से अश्लील वीडियो बना लिये और वीडियो वायरल करने की धमकी देकर न सिर्फ युवती के साथ छेड़छाड़ करने लगा बल्कि ब्लैकमेल करने का प्रयास किया. शादाब की करतूत का पता चलने पर उन्होंने उसको नौकरी से निकाल दिया. फिर भी उसकी हरकतें लगातार जारी रहीं. इतना ही नहीं, आरोपी ने युवती का रिश्ता होने पर उसके मंगेतर के पास अश्लील फोटो, वीडियो भेज कर रिश्ता भी तुड़वा दिया. रिश्ता टूटने से आहत युवती ने 31 दिसंबर 2017 की रात में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. बताया जा रहा है कि घटना वाले दिन भी आरोपी शादाब मौके पर देखा गया था.
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अधिवक्ता शबनम ने नि:शुल्क केस लड़ा
पुलिस ने मौके पर पहुंच कर युवती के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज आरोपी युवक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया था. इकलौती बेटी की मौत से आहत दिव्यांग पिता इतना टूट गया कि आरोपी के खिलाफ कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ने लगा. एक पैर से मोहताज पिता हर तारीख पर कोर्ट पहुंचा. अधिवक्ता शबनम मलिक ने बूढ़े पिता को इंसाफ दिलाने का भरोसा दिया. अधिवक्ता शबनम ने नि:शुल्क इस बेबस एवं लाचार पिता का केस लड़ा और तीन साल की लंबी सुनवाई के बाद अंजाम तक पहुंचाया. शासकीय अधिवक्ता मुकेश मित्तल की मदद से आरोपी को उसके किए की सजा दिलाई.
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इंसाफ मिलने पर पिता की आंखों में खुशी के आंसू
तीन साल बाद बेटी को इंसाफ मिलने पर पीड़ित पिता की आंखों में न सिर्फ खुशी के आंसू भर आए बल्कि इकलौती बेटी की याद भी आ गई. इस मामले में पेश गवाहों और तथ्यों के आधार पर शादाब को कोर्ट ने दोषी माना और उसे 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई. साथ ही एक लाख रुपये जुर्माने के आदेश दिए गए. जिनमें से 50 हजार पीड़ित पिता को देने को कहा गया है.