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सरधना का चमत्कारी चर्च: यहां प्रभु यीशु की नहीं, मां मरियम की होती है पूजा, पूरी होती हैं मनोकामनाएं

बेगम समरू (Begum Samru) द्वारा मेरठ के सरधाना में बनवाए गए "रोमन कैथलिक चर्च" (Roman Catholic Church) में देश-विदेश से बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं. इस चर्च को पोप जॉन 23वें ने 1961 में माइनर बसिलिका का दर्जा प्रदान किया है. यहां के गाइड ने बताया कि इस चर्च को चमत्कारी चर्च भी कहा जाता है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 25, 2023, 5:32 PM IST

चर्च के गाइड सेमुअल एल्बर्ट और प्रिंसिपल ने बताया.

मेरठ: मेरठ मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर सरधना में एक ऐतिहासिक चर्च है. यह चर्च सौहार्द, आस्था और इतिहास का बेजोड़ नमूना है. इसके साथ ही यह चर्च पूरे देश में प्रसिद्ध है. इस प्रसिद्ध चर्च के बारे में कहा जाता है कि यहां जो भी आता है, उसकी मुराद पूरी होती है. इस ऐतिहासिक चर्च को फरजाना उर्फ समरू बेगम द्वारा बनावाया गया है.

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चर्च आने पर भक्तों की मुरादें पूरी होती हैं.

प्रभु यीशु की मां के सम्मान में बना था चर्च
सरधना में स्थित "रोमन कैथलिक चर्च" में देशभर से लोग हर दिन पहुंचते हैं. इसका अपना एक इतिहास है और एक कहानी है. चर्च के गाइड सेमुअल एल्बर्ट ने बताया कि 1809 में इस चर्च का निर्माण शुरू हुआ था और सन् 1822 में बनकर तैयार हुआ था. इस चर्च के 201 साल पूरे हो चुके हैं. सरधना की रानी बेगम फरजाना ने अपने पति की ख्वाहिश पूरी करने और प्रभु यीशु की मां के आदर सम्मान में इस ऐतिहासिक रोमन कैथलिक चर्च का निर्माण कराया था.

मां मरियम लोगों की मुरादें करते हैं पूरी
सेमुअल एल्बर्ट ने बताया कि इस चर्च को एक मुस्लिम महिला ने ईसाई धर्म अपनाने के बाद बनवाया था. उन्होंने बताया कि इस चर्च के अंदर एक शक्ति है, यह एक चमत्कारी चर्च है. यहां दूर-दूर से लोग अपनी समस्याओं को लेकर आते हैं. चर्च में आने के बाद लोगों के साथ चमत्कार होता है. यहां आने पर लोगों की मुरादें पूरी हो जाती हैं. इस चर्च में मां मरियम की पूजा की जाती है.

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मेरठ का यह चर्च चमत्कारी है.

सबसे मंहगे मिस्त्री ने बनाया था चर्च
बता दें कि बेगम फरजाना बागपत जनपद के कोताना कस्बा के रहने वाले लतीफ अली खां की बेटी थीं. उस समय भरतपुर के राजा जवाहर सिंह के सेनापति वाल्टर रेंनार्ड उर्फ समरू ने मुस्लिम रीति रिवाज से फरजाना से निकाह किया था. बाद में फरजाना ने अपने पति समरू की मौत के बाद कैथोलिक धर्म अपना लिया था. इसके बाद ही सरधना चर्च का निर्माण करवाया था. इस चर्च को बनाने में लगभग चार लाख रुपये का खर्च हुए थे. चर्च के गाइड ने बताया कि इसके निर्माण के लिए 25 पैसे प्रतिदिन के हिसाब से मिस्त्री को रखा गया था, जोकि उस दौर का सबसे महंगा मिस्त्री था.

पवित्र स्थान का मिल चुका है दर्जा
बेगम समर द्वारा सरधना में बनवाए गए इस चर्च को 23वें पोप जॉन ने 1961 में छोटी बेसिलिका का दर्जा देने की घोषणा की थी. बता दें कि बेसिलिका का मतलब अत्यंत पवित्र स्थान होता है. सरधना चर्च में लगी कृपाओं की माता की चमत्कारी तस्वीर के कारण यहां हर वर्ष विशेष प्रार्थना भी नवंबर माह में आयोजित की जाती है.

क्रॉस से शेप दिखती है चर्च की
इस चर्च में 20 रोजरी भी हैं, जिन पर काफी कुछ जानकारी पढ़ी जा सकती है. इसके अलावा प्रभु यीशु के बारे में अलग-अलग जानकारी लिखा गया है. यह चर्च लगभग 200 बीघा जमीन के क्षेत्र में बना हुआ है. इस चर्च के ऊपर जो शेप है, वह क्रॉस की तरह ही है. इसमें मीनार है. एल्बर्ट ने बताया कि सर्वाधिक भक्त यहां पंजाब से आते हैं.

देश-विदेश से भी लोग आते हैं
सेंट मैरी कान्वेंट स्कूल मीठापुर की प्रिंसिपल सिस्टर डीना ने बताया कि कृपाओं की मां मरियम जो इस चर्च में आतें हैं, उनकी मुरादें अवश्य पूरी करती हैं. उन्होंने बताया कि मां मरियम सभी को प्रिय हैं. 100 वर्ष से अधिक पुराने इस चर्च के बारे में सभी को मालूम है. इस चर्च में देश-विदेश से भी लोग आते हैं. उन्होंने बताया कि इस चर्च में आने के बाद लोगों को साधारण जीवन जीने के लिए मां मरियम शक्ति देती हैं. यहां आए भक्तों पर मां मरियम की कृपा भक्तों पर बनी रहती है.

चर्च में आए भक्तों ने बताया
इस ऐतिहासिक चर्च में आने वाले तमाम लोगों से ईटीवी भारत की टीम ने खास बातचीत की. भक्तों ने बताया कि यहां आकर उन्हें अच्छा लगा और शांति मिली. दिल्ली से चर्च में दर्शन करने सपरिवार आई मोना राठी ने बताया कि वह तीसरी इस चर्च में आई हैं. उन्होंने यहां मां मरियम के सामने जाकर जो कुछ मांगा था, उनकी सभी मुरादें पूरी हुई हैं. वहीं बिहार के गया से आए प्रोफेसर ने बताया कि उन्हें जब भी मौका मिलता है, वह देश के प्रसिद्ध स्थानों पर जाने की कोशिश करते हैं. उन्होंने बताया कि यहां के बारे में काफी कुछ सुना हुआ था. इसलिए वह यहां बड़े ही उत्सुकता के साथ पहुंचे. यहां आने के बाद उन्हें अच्छा लग रहा है.

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चर्च के गाइड सेमुअल एल्बर्ट और प्रिंसिपल ने बताया.

मेरठ: मेरठ मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर सरधना में एक ऐतिहासिक चर्च है. यह चर्च सौहार्द, आस्था और इतिहास का बेजोड़ नमूना है. इसके साथ ही यह चर्च पूरे देश में प्रसिद्ध है. इस प्रसिद्ध चर्च के बारे में कहा जाता है कि यहां जो भी आता है, उसकी मुराद पूरी होती है. इस ऐतिहासिक चर्च को फरजाना उर्फ समरू बेगम द्वारा बनावाया गया है.

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चर्च आने पर भक्तों की मुरादें पूरी होती हैं.

प्रभु यीशु की मां के सम्मान में बना था चर्च
सरधना में स्थित "रोमन कैथलिक चर्च" में देशभर से लोग हर दिन पहुंचते हैं. इसका अपना एक इतिहास है और एक कहानी है. चर्च के गाइड सेमुअल एल्बर्ट ने बताया कि 1809 में इस चर्च का निर्माण शुरू हुआ था और सन् 1822 में बनकर तैयार हुआ था. इस चर्च के 201 साल पूरे हो चुके हैं. सरधना की रानी बेगम फरजाना ने अपने पति की ख्वाहिश पूरी करने और प्रभु यीशु की मां के आदर सम्मान में इस ऐतिहासिक रोमन कैथलिक चर्च का निर्माण कराया था.

मां मरियम लोगों की मुरादें करते हैं पूरी
सेमुअल एल्बर्ट ने बताया कि इस चर्च को एक मुस्लिम महिला ने ईसाई धर्म अपनाने के बाद बनवाया था. उन्होंने बताया कि इस चर्च के अंदर एक शक्ति है, यह एक चमत्कारी चर्च है. यहां दूर-दूर से लोग अपनी समस्याओं को लेकर आते हैं. चर्च में आने के बाद लोगों के साथ चमत्कार होता है. यहां आने पर लोगों की मुरादें पूरी हो जाती हैं. इस चर्च में मां मरियम की पूजा की जाती है.

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मेरठ का यह चर्च चमत्कारी है.

सबसे मंहगे मिस्त्री ने बनाया था चर्च
बता दें कि बेगम फरजाना बागपत जनपद के कोताना कस्बा के रहने वाले लतीफ अली खां की बेटी थीं. उस समय भरतपुर के राजा जवाहर सिंह के सेनापति वाल्टर रेंनार्ड उर्फ समरू ने मुस्लिम रीति रिवाज से फरजाना से निकाह किया था. बाद में फरजाना ने अपने पति समरू की मौत के बाद कैथोलिक धर्म अपना लिया था. इसके बाद ही सरधना चर्च का निर्माण करवाया था. इस चर्च को बनाने में लगभग चार लाख रुपये का खर्च हुए थे. चर्च के गाइड ने बताया कि इसके निर्माण के लिए 25 पैसे प्रतिदिन के हिसाब से मिस्त्री को रखा गया था, जोकि उस दौर का सबसे महंगा मिस्त्री था.

पवित्र स्थान का मिल चुका है दर्जा
बेगम समर द्वारा सरधना में बनवाए गए इस चर्च को 23वें पोप जॉन ने 1961 में छोटी बेसिलिका का दर्जा देने की घोषणा की थी. बता दें कि बेसिलिका का मतलब अत्यंत पवित्र स्थान होता है. सरधना चर्च में लगी कृपाओं की माता की चमत्कारी तस्वीर के कारण यहां हर वर्ष विशेष प्रार्थना भी नवंबर माह में आयोजित की जाती है.

क्रॉस से शेप दिखती है चर्च की
इस चर्च में 20 रोजरी भी हैं, जिन पर काफी कुछ जानकारी पढ़ी जा सकती है. इसके अलावा प्रभु यीशु के बारे में अलग-अलग जानकारी लिखा गया है. यह चर्च लगभग 200 बीघा जमीन के क्षेत्र में बना हुआ है. इस चर्च के ऊपर जो शेप है, वह क्रॉस की तरह ही है. इसमें मीनार है. एल्बर्ट ने बताया कि सर्वाधिक भक्त यहां पंजाब से आते हैं.

देश-विदेश से भी लोग आते हैं
सेंट मैरी कान्वेंट स्कूल मीठापुर की प्रिंसिपल सिस्टर डीना ने बताया कि कृपाओं की मां मरियम जो इस चर्च में आतें हैं, उनकी मुरादें अवश्य पूरी करती हैं. उन्होंने बताया कि मां मरियम सभी को प्रिय हैं. 100 वर्ष से अधिक पुराने इस चर्च के बारे में सभी को मालूम है. इस चर्च में देश-विदेश से भी लोग आते हैं. उन्होंने बताया कि इस चर्च में आने के बाद लोगों को साधारण जीवन जीने के लिए मां मरियम शक्ति देती हैं. यहां आए भक्तों पर मां मरियम की कृपा भक्तों पर बनी रहती है.

चर्च में आए भक्तों ने बताया
इस ऐतिहासिक चर्च में आने वाले तमाम लोगों से ईटीवी भारत की टीम ने खास बातचीत की. भक्तों ने बताया कि यहां आकर उन्हें अच्छा लगा और शांति मिली. दिल्ली से चर्च में दर्शन करने सपरिवार आई मोना राठी ने बताया कि वह तीसरी इस चर्च में आई हैं. उन्होंने यहां मां मरियम के सामने जाकर जो कुछ मांगा था, उनकी सभी मुरादें पूरी हुई हैं. वहीं बिहार के गया से आए प्रोफेसर ने बताया कि उन्हें जब भी मौका मिलता है, वह देश के प्रसिद्ध स्थानों पर जाने की कोशिश करते हैं. उन्होंने बताया कि यहां के बारे में काफी कुछ सुना हुआ था. इसलिए वह यहां बड़े ही उत्सुकता के साथ पहुंचे. यहां आने के बाद उन्हें अच्छा लग रहा है.

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