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ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बदल रहा है मानसून का मिजाज: मौसम विशेषज्ञ - monsoon mood is changing in up

उत्तर प्रदेश में बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों की फसल को नुकसान पहुंचाया है. मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार पश्चिमी विक्षोभ अधिक सक्रिय हो रहे हैं, इसकी मुख्य वजह ग्लोबल वार्मिंग का लोकल इफेक्ट है.

monsoon mood is changing due to global warming
जानकारी देते मौसम विशेषज्ञ.
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Published : Mar 17, 2020, 11:00 AM IST

मेरठ: मौसम की मार इस साल फिर किसानों को परेशान कर रही है. बेमौसम हो रही बारिश से फसलों का नुकसान हो रहा है. मौसम में यह बदलाव पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने की वजह से हो रहा है. मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार पश्चिमी विक्षोभ अधिक सक्रिय हो रहे हैं, इसकी मुख्य वजह ग्लोबल वार्मिंग का लोकल इफेक्ट है.

जानकारी देते मौसम विशेषज्ञ.

नुकसानदायक साबित हो रही बारिश
इस बार सर्दी के मौसम में बारिश सामान्य से अधिक हो रही है. दिसंबर से ही बारिश का दौर शुरू हुआ, जो अभी तक जारी है. मार्च में अमूमन बारिश नहीं होती, लेकिन इस बार मार्च महीने के शुरू से ही बारिश का दौर चला. बीते सप्ताह पश्चिमी विक्षोभ अधिक सक्रिय होने की वजह से बिन मौसम बारिश और ओलावृष्टि फसलों के लिए नुकसानदायक साबित हुई.

कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि बारिश के साथ ओलावृष्टि न होती और तेज हवा न चलती तो यह बारिश गेहूं की फसल के लिए लाभदायक साबित होती. जनवरी और फरवरी में भी सामान्य से अधिक बारिश हुई जो कई स्थानों पर फसलों के लिए नुकसानदायक साबित हुई. जनवरी महीने में हुई बारिश की वजह से गेहूं का कार्य प्रभावित हुआ. वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक डॉ. एन सुभाष ने बताया कि इस बार पश्चिमी विक्षोभ अधिक सक्रिय हुए, जिसकी मुख्य वजह ग्लोबल वार्मिंग का लोकल इफेक्ट रहा. यही कारण है कि कहीं पर तेज बारिश हुई, जबकि कुछ स्थानों पर हल्की बारिश हुई.

फिलहाल पश्चिम विक्षोभ का असर समाप्त हो गया है. अब नया पश्चिमी विक्षोभ फिलहाल नहीं है. 20 मार्च के पास एक सिस्टम बनता दिख रहा है, लेकिन उसका असर अधिक दिखाई नहीं दे रहा है. फिलहाल मौसम साफ रहेगा. दिन के तापमान में धीरे-धीरे बढ़ोतरी होगी और इस सप्ताह तापमान 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाएगा.
-डॉ. एन. सुभाष, वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक

मेरठ: मौसम की मार इस साल फिर किसानों को परेशान कर रही है. बेमौसम हो रही बारिश से फसलों का नुकसान हो रहा है. मौसम में यह बदलाव पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने की वजह से हो रहा है. मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार पश्चिमी विक्षोभ अधिक सक्रिय हो रहे हैं, इसकी मुख्य वजह ग्लोबल वार्मिंग का लोकल इफेक्ट है.

जानकारी देते मौसम विशेषज्ञ.

नुकसानदायक साबित हो रही बारिश
इस बार सर्दी के मौसम में बारिश सामान्य से अधिक हो रही है. दिसंबर से ही बारिश का दौर शुरू हुआ, जो अभी तक जारी है. मार्च में अमूमन बारिश नहीं होती, लेकिन इस बार मार्च महीने के शुरू से ही बारिश का दौर चला. बीते सप्ताह पश्चिमी विक्षोभ अधिक सक्रिय होने की वजह से बिन मौसम बारिश और ओलावृष्टि फसलों के लिए नुकसानदायक साबित हुई.

कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि बारिश के साथ ओलावृष्टि न होती और तेज हवा न चलती तो यह बारिश गेहूं की फसल के लिए लाभदायक साबित होती. जनवरी और फरवरी में भी सामान्य से अधिक बारिश हुई जो कई स्थानों पर फसलों के लिए नुकसानदायक साबित हुई. जनवरी महीने में हुई बारिश की वजह से गेहूं का कार्य प्रभावित हुआ. वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक डॉ. एन सुभाष ने बताया कि इस बार पश्चिमी विक्षोभ अधिक सक्रिय हुए, जिसकी मुख्य वजह ग्लोबल वार्मिंग का लोकल इफेक्ट रहा. यही कारण है कि कहीं पर तेज बारिश हुई, जबकि कुछ स्थानों पर हल्की बारिश हुई.

फिलहाल पश्चिम विक्षोभ का असर समाप्त हो गया है. अब नया पश्चिमी विक्षोभ फिलहाल नहीं है. 20 मार्च के पास एक सिस्टम बनता दिख रहा है, लेकिन उसका असर अधिक दिखाई नहीं दे रहा है. फिलहाल मौसम साफ रहेगा. दिन के तापमान में धीरे-धीरे बढ़ोतरी होगी और इस सप्ताह तापमान 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाएगा.
-डॉ. एन. सुभाष, वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक

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