मेरठ: देश में गाय पर हो रही रिसर्च में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान को बड़ी कामयाबी मिली है. यहां पहली बार भ्रूण प्रत्यारोपण संकर नस्ल की गाय से साहिवाल बछिया का जन्म हुआ है. इस कामयाबी को दूध क्रांति की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है.
केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. अभिजीत मित्रा का कहना है कि प्रयोगशाला का लक्ष्य भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक के माध्यम से अधिक से अधिक संख्या में उचित गुणवत्ता वाले स्वदेशी बछड़े बच्चे का जन्म कराना है. इससे देश में कम समय में उच्च गुणवत्ता वाली गायों की संख्या में बढ़त के साथ-साथ दूध उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा.
डॉ. अभिजीत मित्रा ने बताया कि केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान में पहली बार भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक से संकर नस्ल की गाय से साहिवाल नस्ल की बछिया का जन्म हुआ है. पहली बार भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक से फ्रीस्वाल यानि संकर नस्ल गाय को सेरोगेट बनाकर उसमें शुद्ध देसी नस्ल साहिवाल बछिया का जन्म हुआ है. नवजात बछिया पूरी तरह स्वस्थ है. साइंटिस्ट के मुताबिक, तकनीक के माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाले बछड़े और बछिया को प्राप्त किया जा सकता है. यह तकनीक भारतीय नस्ल की गाय की नस्ल सुधारने के लिए प्रभावशाली रहेगी.
केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान का मानना है कि निराश्रित पशु विशेष तौर पर संकर नस्ल की गाय आज की ज्वलंत समस्या है. इससे निपटना बड़ी चुनौती है. इन अनुत्पादक संकर नस्ल की गायों का उपयोग भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक से सेरोगेट के रूप में करके उन्हें उत्पादक बनाया जा सकता है. देश के दुग्ध उत्पादन को इससे गति मिलेगी. सामान्य गाय अपने जीवन में 6-7 बार बच्चा देती हैं. 7 बार के बाद गाय की प्रजनन क्षमता घटने लगती है. लेकिन, सरोगेसी की मदद से हम गाय को 7 बार के नेचुरल प्रजनन के बाद भी प्रजनन करा सकते हैं. इससे हमारे पशुधन में भी वृद्धि होगी और गायों की अच्छी नस्ल खत्म होने से बचेगी.
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