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मेरठ: किसानों के लिए लाभकारी साबित होगा ई-नाम!

किसानों को उनकी फसल का उचित दाम दिलाने के लिए 'नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट' बेहतर साबित हो सकता है. प्रोफेसर डॉ. विजेंद्र सिंह ने बताया कि इस सिस्टम के माध्यम से किसान की फसल को ऑनलाइन ही देश की मंडियों में बेचा जाता है.

लाभकारी साबित होगा ई-नाम.
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Published : Aug 28, 2019, 8:38 PM IST

मेरठ: किसानों को उनकी फसल का उचित दाम दिलाने के लिए ई-नाम यानी नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट लाभकारी साबित हो सकता है. ई-नाम के माध्यम से किसानों को उनकी फसल का बाजार में सीधी बोली के माध्यम से अधिक दाम मिलेगा. इसके माध्यम से न केवल किसानों को उचित दाम मिलेगा बल्कि उसे उत्पादन को बाजार में बेचने के लिए एक प्लेटफार्म भी उपलब्ध हो जाएगा.

जानकारी देते प्रोफेसर सत्य प्रकाश.
  • सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में विशेषज्ञों ने किसानों को इसके बारे में जानकारी दी.
  • इस दौरान किसानों को बताया गया कि ई-नाम कैसे काम करता है.
  • किसान कैसे इसके साथ सीधे जुड़कर अपनी फसल का बेहतर दाम कमा सकते हैं.
  • प्रोफेसर डॉ. विजेंद्र सिंह ने बताया कि इस सिस्टम के माध्यम से किसान की फसल को ऑनलाइन ही देश की मंडियों में बेचा जाता है.
  • शेयर बाजार की तरह किसान की फसल के सबसे अधिक दाम किसने लगाए यह भी ऑनलाइन देखा जा सकता है.


किसान को करना होगा रजिस्ट्रेशन
किसान को ई-नाम से जुड़ने के लिए पहले अपना रजिस्ट्रेशन करना होगा. उसके बाद उसकी जो फसल है उसे ई-नाम के माध्यम से मंडी में बेचा जा सकेगा. किसान की फसल की लैब में जांच के बाद ही मंडी में बोली लगाई जाती है. सीधी बोली लगाने से किसान को उसकी फसल का उचित दाम मिलता है. इसमें कोई बिचौलिया नहीं होता.

किसानों को दी जा रही है जानकारी
कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सत्य प्रकाश ने बताया कि ई-नाम के बारे में किसानों को जानकारी दी जा रही है. गोष्ठी आदि के माध्यम से किसानों को इसके बारे में बताया जा रहा है. किसानों को इसके माध्यम से होने वाले लाभ की जानकारी दी जा रही है. बताया जा रहा है कि कैसे वह फसल का मंडी में लाभ ले सकते हैं. किसानों के लिए मंडी में भेजने का यह उचित माध्यम है. किसान इस प्लेटफार्म से जुड़ सकें, इसके लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है. यह उपक्रम भारत सरकार के तत्वधान में चलाया जा रहा है.

मेरठ: किसानों को उनकी फसल का उचित दाम दिलाने के लिए ई-नाम यानी नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट लाभकारी साबित हो सकता है. ई-नाम के माध्यम से किसानों को उनकी फसल का बाजार में सीधी बोली के माध्यम से अधिक दाम मिलेगा. इसके माध्यम से न केवल किसानों को उचित दाम मिलेगा बल्कि उसे उत्पादन को बाजार में बेचने के लिए एक प्लेटफार्म भी उपलब्ध हो जाएगा.

जानकारी देते प्रोफेसर सत्य प्रकाश.
  • सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में विशेषज्ञों ने किसानों को इसके बारे में जानकारी दी.
  • इस दौरान किसानों को बताया गया कि ई-नाम कैसे काम करता है.
  • किसान कैसे इसके साथ सीधे जुड़कर अपनी फसल का बेहतर दाम कमा सकते हैं.
  • प्रोफेसर डॉ. विजेंद्र सिंह ने बताया कि इस सिस्टम के माध्यम से किसान की फसल को ऑनलाइन ही देश की मंडियों में बेचा जाता है.
  • शेयर बाजार की तरह किसान की फसल के सबसे अधिक दाम किसने लगाए यह भी ऑनलाइन देखा जा सकता है.


किसान को करना होगा रजिस्ट्रेशन
किसान को ई-नाम से जुड़ने के लिए पहले अपना रजिस्ट्रेशन करना होगा. उसके बाद उसकी जो फसल है उसे ई-नाम के माध्यम से मंडी में बेचा जा सकेगा. किसान की फसल की लैब में जांच के बाद ही मंडी में बोली लगाई जाती है. सीधी बोली लगाने से किसान को उसकी फसल का उचित दाम मिलता है. इसमें कोई बिचौलिया नहीं होता.

किसानों को दी जा रही है जानकारी
कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सत्य प्रकाश ने बताया कि ई-नाम के बारे में किसानों को जानकारी दी जा रही है. गोष्ठी आदि के माध्यम से किसानों को इसके बारे में बताया जा रहा है. किसानों को इसके माध्यम से होने वाले लाभ की जानकारी दी जा रही है. बताया जा रहा है कि कैसे वह फसल का मंडी में लाभ ले सकते हैं. किसानों के लिए मंडी में भेजने का यह उचित माध्यम है. किसान इस प्लेटफार्म से जुड़ सकें, इसके लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है. यह उपक्रम भारत सरकार के तत्वधान में चलाया जा रहा है.

Intro:स्पेशल: मेरठ- किसानों के लिए लाभकारी साबित हो सकता है ई-नैम
मेरठ। किसानों को उनकी फसल का उचित दाम दिलाने के लिए ई-नैम यानी नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट लाभकारी साबित हो सकता है। ई-नैम के माध्यम से किसानों को उनकी फसल का बाजार में सीधी बोली के माध्यम से अधिक दाम मिलेगा। इसके माध्यम से न केवल किसानों को उचित दाम मिलेगा बल्कि उसे उत्पादन को बाजार में बेचने के लिए एक प्लेटफार्म भी उपलब्ध हो जाएगा।



Body:सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में विशेषज्ञों ने किसानों को इसके बारे में जानकारी दी। इस दौरान किसानों को बताया गया कि ई-नैम कैसे काम करता है। किसान कैसे इसके साथ सीधे जुड़ कर अपनी फसल का बेहतर दाम कमा सकते हैं। प्रोफेसर डॉ विजेंद्र सिंह ने बताया कि इस सिस्टम के माध्यम से किसान की फसल को ऑनलाइन ही देश की मंडियों में बेचा जाता है। शेयर बाजार की तरह किसान की फसल के सबसे अधिक दाम किसने लगाए यह भी ऑनलाइन देखा जा सकता है।

किसान को करना होगा रजिस्ट्रेशन
किसान को ई'नैम से जुड़ने के लिए पहले अपना रजिस्ट्रेशन करना होगा। उसके बाद उसकी जो फसल है उसे ई-नैम के माध्यम से मंडी में बेचा जा सकेगा। किसान की फसल की लैब में जांच के बाद ही मंडी में बोली लगाई जाती है। सीधी बोली लगाने से किसान को उसकी फसल का उचित दाम मिलता है। इसमें कोई बिचौलिया नहीं होता।




Conclusion:किसानों को दी जा रही है जानकारी
कॄषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सत्य प्रकाश ने बताया कि ई-नैम के बारे में किसानों को जानकारी दी जा रही है। गोष्ठी आदि के माध्यम से किसानों को इसके बारे में बताया जा रहा है। किसानों को इसके माध्यम से होने वाले लाभ की जानकारी दी जा रही है। बताया जा रहा है कि कैसे वह फसल का मंडी में लाभ ले सकते हैं।किसानों के लिए मंडी में भेजने का यह उचित माध्यम है। किसान इस प्लेटफार्म से जुड़ सकें इसके लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है। यह उपक्रम भारत सरकार के तत्वधान में चलाया जा रहा है। वेस्ट यूपी में भी इसका काफी रुझान किसानों में देखने को मिल रहा है।

बाइट- सत्यप्रकाश

अजय चौहान
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