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मेरठ: गोबर से बने दीयों से जगमग होगी दिवाली

दिवाली के त्योहार को लेकर लोगों ने तैयारियां शुरू कर दी है. मेरठ जिले में गाय के गोबर से बनने वाले दीयों की मांग बढ़ रही है. दिवाली को पारंपरिक तरीके से मनाने के लिए जनता अब खुद को तैयार कर रही है.

गोबर से बने दिये.
गोबर से बने दिये.
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Published : Nov 13, 2020, 12:32 AM IST

मेरठ: एक ओर जहां बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए एनजीटी ने दीपावली के मौके पर पटाखे एवं चाइनीज आइटम पर प्रतिबंध लगाया हुआ है. वहीं बढ़ते वायु प्रदूषण और संक्रमण को रोकने के लिए अनोखी पहल की गई है.

जानकारी देती समाजसेविका श्रीमती अतुल शर्मा.

गाय के गोबर में हवन सामग्री, कपूर, चूने के साथ कई जड़ी बूटियां मिलाकर दिये बनाये गए हैं. इन दीयों की खास बात ये है कि तेल-बाती के साथ गोबर से बना दीपक भी स्वतः जलकर राख हो जाएगा. गोबर में मिली सामग्री, कपूर आदि जड़ी बूटियों के जलने से वातावरण तो प्रदूषण मुक्त होगा ही दीयों के जलने से हुई खुशबू से हवा में घूम रहे संक्रमण भी खत्म हो जाएगा. मेरठ में बने गोबर के इन दीयों के लिए ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी ऐमजॉन में भी टाइअप कर लिया है. ऐमजॉन पर गोबर से बने दीयों और कई प्रकार देसी प्रोडक्ट की गोबरी के नाम से खूब बिक्री हो रही है.

लॉकडाउन में बेरोजगारी ने दिया कंसेप्ट
22 मार्च 2020 से देश के सभी उधोग धंधे बंद हो गए थे, जिसके चलते कारखानों में काम करने दिहाड़ी मजदूर न सिर्फ बेरोजगार हो गए बल्कि भुखमरी के कगार पर पहुंच गए थे. समाज सेविका अतुल शर्मा ने गांव की महिलाओं के साथ जड़ी-बूटी युक्त गाय गोबर से न सिर्फ दिये बनाये हैं बल्कि गोबर से कई प्रकार के समान बनाकर महिलाओ को रोजगार देने का काम किया है.

कोरोना की वजह से भुखमरी की कगार पहुंची महिलाओं को रोजगार मिल गया. इन दीयों को बेचकर जो भी पैसा आता है. उसे दिया बनाने वाली महिलाओं में बांट दिया जाता है. इस पहल से यह भी कहना गलत नहीं होगा कि 'आवश्यकता अविष्कार की जननी है'.

पीएम मोदी से मिली प्रेरणा
समाज सेविका अतुल शर्मा ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी गांव की ओर लौटने की जो मुहिम छेड़ दी है. हर भारतीय को आत्मनिर्भर बनाने के लिए गांव देहात में कुटीर उधोगो को बढ़ावा देने का आह्वान किया है ताकि गांव की महिलाओं को भी रोजगार मिल जाये.

कोरोना काल में सब्जी, चाय आदि की ठेला लगाने वाली महिलाओं के साथ मिलकर गाय के गोबर से प्रदूषण मुक्त दिये और अन्य सामान बनाया गया है. इनके साथ दर्जनों महिलाएं इस रोजगार से जुड़ी हुई है.

प्रदूषण और बीमारियों से मिलेगी निजात
दिवाली के मौके पर मिट्टी के दिये जलाकर उन्हें फेंक दिया जाता है, लेकिन जड़ी-बूटी युक्त गोबर के ये दिये तेल बाती के साथ जलकर राख हो जाते है, जिसके बाद सुबह में इन दियों की राख को उठाकर खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके साथ ही जब ये दिये जलते है तो इनके साथ हवन सामग्री और जड़ी-बूटी भी जल जाती है. इसके जलने से खुशबू और महक से जहां संक्रमण के कीटाणु खत्म होते हैं वहीं वायु प्रदूषण से भी निजात मिलती है. साथ ही प्रदूषण से होने वाली बीमारियों से बचाव होता है.

मेरठ: एक ओर जहां बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए एनजीटी ने दीपावली के मौके पर पटाखे एवं चाइनीज आइटम पर प्रतिबंध लगाया हुआ है. वहीं बढ़ते वायु प्रदूषण और संक्रमण को रोकने के लिए अनोखी पहल की गई है.

जानकारी देती समाजसेविका श्रीमती अतुल शर्मा.

गाय के गोबर में हवन सामग्री, कपूर, चूने के साथ कई जड़ी बूटियां मिलाकर दिये बनाये गए हैं. इन दीयों की खास बात ये है कि तेल-बाती के साथ गोबर से बना दीपक भी स्वतः जलकर राख हो जाएगा. गोबर में मिली सामग्री, कपूर आदि जड़ी बूटियों के जलने से वातावरण तो प्रदूषण मुक्त होगा ही दीयों के जलने से हुई खुशबू से हवा में घूम रहे संक्रमण भी खत्म हो जाएगा. मेरठ में बने गोबर के इन दीयों के लिए ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी ऐमजॉन में भी टाइअप कर लिया है. ऐमजॉन पर गोबर से बने दीयों और कई प्रकार देसी प्रोडक्ट की गोबरी के नाम से खूब बिक्री हो रही है.

लॉकडाउन में बेरोजगारी ने दिया कंसेप्ट
22 मार्च 2020 से देश के सभी उधोग धंधे बंद हो गए थे, जिसके चलते कारखानों में काम करने दिहाड़ी मजदूर न सिर्फ बेरोजगार हो गए बल्कि भुखमरी के कगार पर पहुंच गए थे. समाज सेविका अतुल शर्मा ने गांव की महिलाओं के साथ जड़ी-बूटी युक्त गाय गोबर से न सिर्फ दिये बनाये हैं बल्कि गोबर से कई प्रकार के समान बनाकर महिलाओ को रोजगार देने का काम किया है.

कोरोना की वजह से भुखमरी की कगार पहुंची महिलाओं को रोजगार मिल गया. इन दीयों को बेचकर जो भी पैसा आता है. उसे दिया बनाने वाली महिलाओं में बांट दिया जाता है. इस पहल से यह भी कहना गलत नहीं होगा कि 'आवश्यकता अविष्कार की जननी है'.

पीएम मोदी से मिली प्रेरणा
समाज सेविका अतुल शर्मा ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी गांव की ओर लौटने की जो मुहिम छेड़ दी है. हर भारतीय को आत्मनिर्भर बनाने के लिए गांव देहात में कुटीर उधोगो को बढ़ावा देने का आह्वान किया है ताकि गांव की महिलाओं को भी रोजगार मिल जाये.

कोरोना काल में सब्जी, चाय आदि की ठेला लगाने वाली महिलाओं के साथ मिलकर गाय के गोबर से प्रदूषण मुक्त दिये और अन्य सामान बनाया गया है. इनके साथ दर्जनों महिलाएं इस रोजगार से जुड़ी हुई है.

प्रदूषण और बीमारियों से मिलेगी निजात
दिवाली के मौके पर मिट्टी के दिये जलाकर उन्हें फेंक दिया जाता है, लेकिन जड़ी-बूटी युक्त गोबर के ये दिये तेल बाती के साथ जलकर राख हो जाते है, जिसके बाद सुबह में इन दियों की राख को उठाकर खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके साथ ही जब ये दिये जलते है तो इनके साथ हवन सामग्री और जड़ी-बूटी भी जल जाती है. इसके जलने से खुशबू और महक से जहां संक्रमण के कीटाणु खत्म होते हैं वहीं वायु प्रदूषण से भी निजात मिलती है. साथ ही प्रदूषण से होने वाली बीमारियों से बचाव होता है.

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