मेरठ: आमतौर पर चर्चाओं में रहने वाला मेरठ विकास प्राधिकरण (Meerut Development Authority) एक बार फिर सुर्खियों में है. अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस विकास प्राधिकरण का एक अर्ध निर्मित बंगला सीएजी ऑडिट की जांच में फंस गया है, जिससे अब इसकी निलामी प्रक्रिया रुक सकती है.
दरअसल, सीएजी ऑडिट की जांच में पाया गया कि मेरठ विकास प्राधिकरण ने अप्रैल 2013 में गंगानगर योजना में आवास बनाने के लिए 21,528 वर्ग फीट जमीन चिन्हित की थी. वर्ष 2014 में तत्कालीन वीसी राजेश यादव ने इसे बदलकर शताब्दी नगर आवासीय योजना 50,208 वर्ग फीट जमीन पर बनाने का फैसला किया. उस समय वक्त जमीन की कीमत 5.36 करोड़ रुपये थी.
इस पर सितंबर 2015 में 25 कमरों का एक बंगला बनाने का फैसला हुआ, जिसका निर्माण कार्य भी मई 2015 में शुरू हो गया. 24 जुलाई 2016 को तत्कालीन मेरठ विकास प्राधिकरण के वीसी राजेश यादव का ट्रांसफर हो गया. जब उनका ट्रांसफर हुआ तब निर्माण कार्य चल रहा था. प्राधिकरण के नए वीसी के आने पर बोर्ड की बैठक हुई. बैठक में शताब्दी नगर आवासीय योजना में बन रहे बंगले के निर्माण कार्य को रोकने पर फैसला हुआ. तब से लेकर अब तक निर्माण कार्य रुका हुआ है. आवास को बनाने में करीब 3 करोड़ रुपये खर्च हुआ. अभी फिनिसिंग का काम बाकी है.
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तत्कालीन वीसी राजेश यादव के ट्रांसफर के बाद 2017 में मेरठ डेवलपमेंट अथॉरिटी की बोर्ड बैठक में निर्णय लेकर इसके काम को तुरंत रुकवा दिया गया. तब से अर्ध निर्मित बंगले को बेचने के लिए कई बार ऑनलाइन नीलामी की गई, लेकिन कोई खरीदार नहीं आया. इन बंगले को जिस जमीन पर बनाया जा रहा था, उस जमीन की कीमत वर्तमान में करीब 6 करोड़ रुपये बताई जा रही है. हालांकि 12 करोड़ 81 लाख रुपये में प्राधिकरण इस बंगले को बेचना चाहता है. 25 कमरों का यह बंगला अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस हैं.