मेरठ: जिले में कोरोना संक्रमण के साथ ब्लैक फंगस ने स्वास्थ्य विभाग की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. मेरठ में सोमवार को 11 मरीजों में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है. इसके साथ ही जिले में ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या 27 हो गई है. जबकि 3 लोगों की मौत हो चुकी है. कई गंभीर मरीजों को दिल्ली के अस्पतालों के लिए रेफर किया गया है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग इस बीमारी से निपटने के लिए लगातार प्रयास करने के दावे कर रहा है. कई गंभीर मरीजों के ऑपरेशन करने पड़ रहे हैं.
27 मरीजों में ब्लैक फंगस की पुष्टि
सोमवार शाम आई रिपोर्ट के मुताबिक, मेरठ में ब्लैक फंगस के 11 मामले आए हैं. इससे जिले में ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या 27 हो गई है. इनमें से 3 मरीजों की मौत हो चुकी है. स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज में 8, आनंद हॉस्पिटल में 4, न्यूटिमा हॉस्पिटल में 5, शुभारती मेडिकल कॉलेज में 1, सिरोही हॉस्पिटल में 1, साईं हॉस्पिटल में 1, केएमसी हॉस्पिटल में 2, कैलाश हॉस्पिटल में 1, लोकप्रिय हॉस्पिटल में 3 और मेरठ किडनी हॉस्पिटल में ब्लैक फंगस का 1 मरीज भर्ती हैं. स्वास्थ्य विभाग के मंडलीय सर्विलांस अधिकारी डॉ. अशोक तालियान ने बताया कि जिले में ब्लैक फंगस के 27 मामले आ चुके हैं. इनमें से 3 की मौत चुकी है, जबकि कई मरीजों को गंभीर हालत में दिल्ली हायर सेंटर के लिए रेफर किया गया है. ब्लैक फंगस के 27 मरीजों में से मेरठ के 14 मरीज, एक बरेली, एक गाजियाबाद, एक सहारनपुर, दो बागपत, एक शामली और दो मुजफ्फरनगर के रहने वाले हैं.
स्टेरॉयड दवाओं से बढ़ा फंगस का खतरा
मेडिकल के कोविड प्रभारी डॉ. सुधीर राठी ने बताया कि जिन लोगों को कोविड-19 के दौरान लंबे समय तक आईसीयू वार्ड में ऑक्सीजन पर रखकर स्टेरॉयड दवाएं जैसे डेक्सामेथासोन, मिथाइलप्रेडनीसोलोन आदि दी गई हैं, ऐसे मरीजों में ब्लैक फंगस होने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है. इसके अलावा डायबिटीज, कैंसर और किडनी जैसी गंभीर बीमारियों के मरीजों में भी ब्लैक फंगस हो सकता है. इसलिये कोरोना होने पर स्टेरॉयड दवाइयां बिना डॉक्टर की सलाह नहीं लेनी चाहिए.
जानिए, क्या है ब्लैक फंगस
विशेषज्ञों के मुताबिक, ब्लैक फंगस यानि म्यूकोर्मिकोसिस संक्रमण नाक से शुरू होता है और आंखों से लेकर दिमाग तक चला जाता है. ब्लैक फंगस को मरीज के गले में ही शरीर की एक बड़ी धमनी कैरोटिड आर्टरी मिल जाती है. आर्टरी का एक हिस्सा आंख में रक्त पहुंचाता है. फंगस रक्त में मिलकर आंख तक पहुंचता है.
ब्लैक फंगस के नुकसान
शुरुआती लक्षणों में ब्लैक फंगस के फंगल इंफेक्शन से गाल की हड्डी में एक तरफ या दोनों तरफ दर्द हो सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे ब्लैक फंगस इंफेक्शन किसी व्यक्ति के शरीर मे घुसता है, तो ज्यादातर मामलों में मरीज की आंखों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है. इससे आंखों में लाली, सूजन और रोशनी कमजोर होने लगती है. धीरे-धीरे यह फंगल इंफेक्शन मरीज के दिमाग तक पहुंचकर मस्तिष्क को भी नुकसान पंहुचा देता है.
ब्लैक फंगस के शुरुआती लक्षण-
- मरीज की नाक से काला कफ जैसा तरल पदार्थ निकलता है.
- आंख, नाक के पास लालिमा के साथ दर्द रहने लगता है.
- मरीज को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है.
- खून की उल्टी होने के साथ सिर दर्द और बुखार रहता है.
- मरीज को चेहरे में दर्द और सूजन का एहसास होता है.
- दांतों और जबड़ों में ताकत कम महसूस होने लगती है.
- कई मरीजों को धुंधला दिखने लगता है.
- मरीजों को सीने में दर्द होता है.
- स्थिति बेहद खराब होने पर मरीज बेहोश भी हो जाता है.
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बचाव के उपाय-
- नल का पानी और मिनरल वाटर बिना उबाले नहीं पीना चाहिए.
- धूल भरे निर्माण स्थलों पर जाने पर मास्क लगाना चाहिए.
- मिट्टी (बागवानी), काई या खाद को संभालते समय जूते, लंबी पतलून, फुल बाजू की कमीज और दस्ताने पहनने चाहिए.
- घर एवं शरीर की साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए.
- कोविड संक्रमित मरीज के डिस्चार्ज के बाद और शुगर के रोगियों में भी रक्त शर्करा के स्तर की निगरानी करें.
- स्टेरॉयड दवाओं का जरूरत के अनुसार डॉक्टरों की सलाह पर ही सेवन करना चाहिए.
- ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान ह्यूमिडिफायर के लिए स्वच्छ, जीवाणु रहित पानी प्रयोग करें.
- फंगल का पता लगाने के लिए जांच करानी चाहिए, इसमें कोई लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए.