मऊ: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी मऊ जनपद की इकाई के ने कलेक्ट्रेट परिसर में प्रदर्शन किया. कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन दिया. कार्यकताओं ने सरकार विरोधी नारे लगाते हुए भाजपा को किसान और गरीब विरोधी बताया. इन्होंने मांग की कि सरकार किसानों की हित के लिए फैसला ले न कि विरोध में. इसके साथ ही कहा कि दिल्ली दंगे में सरकार ने बेगुनाह लोगों को बदले के भावना से जेल में डाला है.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता वीरेन्द्र कुमार ने बताया कि केंद्र की सरकार ने किसान विरोधी विधेयक संसद में पारित कराया है. मंडी समितियां आने वाले समय मे बन्द हो जाएंगी. हमने राष्ट्रपति के नाम 12 सूत्रीय मांग पत्र दिया है. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार से मांग है कि किसानों के बिजली के बिल माफ किए जाएं. पूरे देश में सबसे महंगी बिजली उत्तर प्रदेश के किसानों को मिलती है.
कार्यकर्ताओं ने मांग की कि कोरोना महामारी काल के बिजली बकाए माफ किया जाएं, बिजली दरों को सस्ता किया जाए, गरीबों को निशुल्क बिजली दी जाए, किसानों-बुनकरों को फिक्स रेट पर बिजली बिल दिया जाए. पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का फैसला रद्द किया जाए, बिजली संशोधन अध्यादेश 2020 वापस लिया जाए.
इसके साथ ही मांग की कि खेती के लिए तीनों किसान विरोधी अध्यादेश तत्काल वापस लिए जाएं. मनरेगा में काम चाहने वाले सभी को 200 दिन का काम और 600 रुपये प्रतिदिन मजदूरी दिया जाए. बकाया मजदूरी अदा की जाए, शहरी बेरोजगारों को काम देने के लिए शहर में भी रोजगार गारंटी योजना लागू किया जाए. आवारा पशुओं की व्यवस्था की जाए, इनके द्वारा बर्बाद की गई फसलों का मुआवजा दिया जाए.
कार्यकर्ताओं ने मांग की कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए पूरा ध्यान केंद्रित किया जाए. अस्पतालों की संख्या एवं सुविधाएं बढ़ाई जाएं. दूसरी गंभीर बीमारियों के समुचित इलाज की व्यवस्था की जाए. जनता में जागरूकता के लिए राजनीतिक दलों की समितियां बनाई जाएं. बाढ़ प्रभावित लोगों को मुआवजे दिए जाएं. बर्बाद फसलों का 30,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया जाए. सरकारी विभागों में खाली पदों पर नियुक्तियां की जाएं.