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मऊ: पूरा हुआ टर्मिनल का निर्माण कार्य, सांसद ने की सरकार की तारीफ - modi governmnet

घोसी सांसद हरिनारायण राजभर ने इस मौके पर कहा कि मोदी सरकार में जिले में तेजी से विकास कार्य किए जा रहे हैं. रेलवे जंक्शन पर कोचिंग टर्मिनल बन जाने से लंबी दूरी की गाड़ियां चलाए जाने की उम्मीद बढ़ गई है.

नवनिर्मित कोचिंग टर्मिनल पर ट्रेनों की धुलाई का काम हुआ शुरु
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Published : Mar 9, 2019, 7:41 AM IST

मऊ: जनपद में मऊ जंक्शन पर नवनिर्मित कोचिंग टर्मिनल पर ट्रेनों की धुलाई का काम शुरू हो गया है. इस टर्मिनल के निर्माण की मंजूरी पूर्व की मनमोहन सरकार के समय ही मिल गई थी, लेकिन इसके लिए कोई धन आवंटित नहीं किया गया. साल 2014 में आई मोदी सरकार ने वर्ष 2015 में 14 करोड़ 60 लाख रुपये आवंटित किए थे जिसके बाद कुछ तकनीकी खामियों के चलते निर्माण का बजट और समय बढ़ा दिया गया और रेलवे बोर्ड की तरफ से नया टेंडर किया गया.

एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे घोसी सांसद हरिनारायण राजभर ने मीडिया से कहा कि मोदी सरकार में जिले में तेजी से विकास कार्य किए जा रहे हैं. रेलवे जंक्शन पर कोचिंग टर्मिनल बन जाने से लंबी दूरी की गाड़ियां चलाए जाने की उम्मीद बढ़ गई है. अब यहां से सरकार द्वारा कोलकाता, दिल्ली, मुंबई, चेन्नई आदि जगहों के लिए गाड़ियां चलाई जाएंगी. जिला पावरलूम व्यवसाय का केंद्र है, टर्मिनल हो जाने से यहां के व्यापारियों को व्यवसाय में बल मिलेगा और जिले का विकास तेज गति के साथ हो सकेगा.

जानकारी देते घोसी सांसद हरिनारायण राजभर

कोचिंग टर्मिनल के बन जाने से ट्रेनों के रख-रखाव और सफाई कार्य में सुविधा हो गई है. इससे पहले ट्रेनों को धुलाई के लिए गोरखपुर, छपरा या वाराणसी जाना पड़ता था. इसके चलते ट्रेनों के आने-जाने और सफाई में काफी समय लगता था, जिससे ट्रेनों के संचालन पर असर पड़ता था.

अब जंक्शन पर ही वॉशिंग पिट बन जाने से इस समस्या से निजात मिल गई है. तीस करोड़ की लागत से बने टर्मिनल का निर्माण पिछले चार वर्षों से चल रहा था, जिसे अब जाकर पूरा किया जा सका है.

मऊ: जनपद में मऊ जंक्शन पर नवनिर्मित कोचिंग टर्मिनल पर ट्रेनों की धुलाई का काम शुरू हो गया है. इस टर्मिनल के निर्माण की मंजूरी पूर्व की मनमोहन सरकार के समय ही मिल गई थी, लेकिन इसके लिए कोई धन आवंटित नहीं किया गया. साल 2014 में आई मोदी सरकार ने वर्ष 2015 में 14 करोड़ 60 लाख रुपये आवंटित किए थे जिसके बाद कुछ तकनीकी खामियों के चलते निर्माण का बजट और समय बढ़ा दिया गया और रेलवे बोर्ड की तरफ से नया टेंडर किया गया.

एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे घोसी सांसद हरिनारायण राजभर ने मीडिया से कहा कि मोदी सरकार में जिले में तेजी से विकास कार्य किए जा रहे हैं. रेलवे जंक्शन पर कोचिंग टर्मिनल बन जाने से लंबी दूरी की गाड़ियां चलाए जाने की उम्मीद बढ़ गई है. अब यहां से सरकार द्वारा कोलकाता, दिल्ली, मुंबई, चेन्नई आदि जगहों के लिए गाड़ियां चलाई जाएंगी. जिला पावरलूम व्यवसाय का केंद्र है, टर्मिनल हो जाने से यहां के व्यापारियों को व्यवसाय में बल मिलेगा और जिले का विकास तेज गति के साथ हो सकेगा.

जानकारी देते घोसी सांसद हरिनारायण राजभर

कोचिंग टर्मिनल के बन जाने से ट्रेनों के रख-रखाव और सफाई कार्य में सुविधा हो गई है. इससे पहले ट्रेनों को धुलाई के लिए गोरखपुर, छपरा या वाराणसी जाना पड़ता था. इसके चलते ट्रेनों के आने-जाने और सफाई में काफी समय लगता था, जिससे ट्रेनों के संचालन पर असर पड़ता था.

अब जंक्शन पर ही वॉशिंग पिट बन जाने से इस समस्या से निजात मिल गई है. तीस करोड़ की लागत से बने टर्मिनल का निर्माण पिछले चार वर्षों से चल रहा था, जिसे अब जाकर पूरा किया जा सका है.

Intro:मऊ। जिले में मऊ जंक्शन पर नवनिर्मित कोचिंग टर्मिनल पर ट्रेनों की धुलाई का काम शुरू हो गया है. इस टर्मिनल के निर्माण की मंजूरी पूर्व की मनमोहन सरकार के समय ही मिल गई थी लेकिन इसके लिए कोई धन आवंटित नहीं किया गया. जबकि वर्ष 2014 में आई मोदी सरकार ने वर्ष 2015 में 14 करोड़ 60 लाख रुपये आवंटित किए थे. वहीं कुछ तकनीकी कमियों के कारण निर्माण का बजट और समय बढ़ा दिया गया जिसके बाद रेलवे बोर्ड की तरफ से नया टेंडर किया गया.


Body:एक कार्यक्रम में आए घोसी सांसद हरिनारायण राजभर ने मीडिया से कहा कि मोदी सरकार में जिले में तेजी से विकास कार्य किए जा रहे हैं. रेलवे जंक्शन पर कोचिंग टर्मिनल बन जाने से लंबी दूरी की गाड़ियां चलाए जाने की उम्मीद बढ़ गई है. अब यहां से सरकार द्वारा कोलकाता, दिल्ली, मुंबई, चेन्नई आदि जगहों के लिए गाड़ियां चलाई जाएंगी. जिला पावरलूम व्यवसाय का केंद्र है, टर्मिनल हो जाने से यहां के व्यापारियों को व्यवसाय में बल मिलेगा. साथ ही जिले का विकास तेज गति के साथ होगा.


Conclusion:बता दें कि कोचिंग टर्मिनल के बन जाने से ट्रेनों के रखरखाव और सफाई कार्य में सुविधा हो गई है. इससे पहले ट्रेनों को धुलाई के लिए गोरखपुर, छपरा या वाराणसी जाना पड़ता था. इसके चलते ट्रेनों के आने-जाने और सफाई में काफी समय लगता था जिससे ट्रेनों के संचालन पर असर पड़ता था. अब जंक्शन पर ही वॉशिंग पिट बन जाने से इस समस्या से निजात मिल गई है. 30 करोड़ की लागत से बने टर्मिनल का निर्माण पिछले चार वर्षों से चल रहा था, जिसे अब जाकर पूरा किया जा सका है.
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