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प्रशासनिक अधिकारी से ऐसे राजनेता बने एके शर्मा, जानें पूरी कहानी - administrative officer

यूपी के मऊ जिले के रहने वाले प्रशासनिक अधिकारी अरविंद शर्मा ने गुरुवार को अपनी राजनीतिक पारी का आगाज किया. उन्होंने मकर संक्रांति के मौके पर बीजेपी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली. जानिए उनके प्रशासनिक अधिकारी से राजनेता बनने तक के सफर को.

एके शर्मा के परिजनों में खुशी का माहौल.
एके शर्मा के परिजनों में खुशी का माहौल.
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Published : Jan 14, 2021, 7:51 PM IST

Updated : Jan 14, 2021, 7:59 PM IST

मऊ: प्रशासनिक अधिकारी से राजनेता बने अरविंद शर्मा ने मकर संक्रांति पर लखनऊ में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की. इस सूचना से उनके पैतृक गांव जनपद के रानीपुर थाना क्षेत्र के काझा खुर्द में परिजन व गांव वाले अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. परिजनों को उम्मीद है कि एके शर्मा उत्तर प्रदेश में बड़ी जिम्मेदारी निभाने वाले हैं. 1988 बैच के आईएएस अरविंद शर्मा प्रधानमंत्री मोदी के काफी करीबी माने जाते हैं.

जानकारी देते एके शर्मा के परिजन.

2 साल लेक्चरर के पद पर थे तैनात
अरविंद शर्मा का जन्म 11 अप्रैल 1962 को काजा खुर्द गांव में हुआ था. उनकी प्रारंभिक पढ़ाई गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में हुई थी. जिसके बाद उन्होंने डीएवी इंटर कॉलेज मऊ से इंटर की परीक्षा पास की और इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पॉलिटिकल साइंस में स्नातक की पढ़ाई पूरा किया. इस दौरान वे 2 साल लेक्चरर के पद पर कार्यरत थे. इस दौरान उन्होंने दूसरे प्रयास में आईएएस की परीक्षा 29 वर्ष की उम्र में पास कर ली और गुजरात कैडर में ज्वाइन किया और साल 2001 से अरविंद शर्मा पीएम मोदी के काफी करीबी माने जाते हैं.

2014 में जब केंद्र में मोदी सरकार बनी तब गुजरात से 7 आईएएस अधिकारियों को पीएमओ बुलाया गया. उन सात आईएएस अधिकारियों में एक थे अरविंद शर्मा. उन्होंने बहुत दिनों तक पीएमओ में सचिव का पद संभाला और बाद में नितिन गडकरी के साथ लघु उद्योग, रेलवे पर्यावरण जैसे अन्य संस्थानों में बड़ी जिम्मेदारी के पद पर काम किया.

अरविंद शर्मा 2022 में रिटायर होने वाले थे, लेकिन उन्होंने 2 साल पहले ही वीआरएस ले लिया और अब वे देश की सेवा के लिए राजनीति का दाम थामा है. अरविंद शर्मा के चाचा मथुरा राय ने बताया कि अरविंद तीन भाई है. वर्तमान में गांव में सबसे छोटे भाई की पत्नी जो प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाचार्य के रूप में कार्य करती है. वही गांव में मौजूद है. बाकी सब लोग बाहर रहते हैं.

सफलता से गांव में खुशी का माहौल
चाचा मथुरा राय ने बताया कि उन्हें विश्वास नहीं है कि एक साधारण व्यक्ति इतनी बड़ी ऊंचाई पर पहुंच जाएगा. उन्होंने बताया कि अरविंद की सफलता से गांव में खुशी का माहौल है.

छोटे भाई की पत्नी चेतना राय ने बताया कि भाई साहब इतने बड़े पद पर होने के बाद भी बहुत सरल और ईमानदार व्यक्ति हैं. उनकी ईमानदारी का फल ही उन्हें आज मिला है.

'अरविंद ने किया नाम रोशन'
अरविंद शर्मा के कुल पुरोहित संतोष कुमार उपाध्याय ने बताया कि अरविंद बचपन से ही लगनशील और कर्मठ प्रवृत्ति के हैं. उनकी इस उपलब्धि से पूरा जनपद में गर्व महसूस कर रहा है.

इसे भी पढे़ं- बुलंदशहर में गालीबाज सीएमएस पर गिरी गाज, गंवानी पड़ी कुर्सी

मऊ: प्रशासनिक अधिकारी से राजनेता बने अरविंद शर्मा ने मकर संक्रांति पर लखनऊ में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की. इस सूचना से उनके पैतृक गांव जनपद के रानीपुर थाना क्षेत्र के काझा खुर्द में परिजन व गांव वाले अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. परिजनों को उम्मीद है कि एके शर्मा उत्तर प्रदेश में बड़ी जिम्मेदारी निभाने वाले हैं. 1988 बैच के आईएएस अरविंद शर्मा प्रधानमंत्री मोदी के काफी करीबी माने जाते हैं.

जानकारी देते एके शर्मा के परिजन.

2 साल लेक्चरर के पद पर थे तैनात
अरविंद शर्मा का जन्म 11 अप्रैल 1962 को काजा खुर्द गांव में हुआ था. उनकी प्रारंभिक पढ़ाई गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में हुई थी. जिसके बाद उन्होंने डीएवी इंटर कॉलेज मऊ से इंटर की परीक्षा पास की और इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पॉलिटिकल साइंस में स्नातक की पढ़ाई पूरा किया. इस दौरान वे 2 साल लेक्चरर के पद पर कार्यरत थे. इस दौरान उन्होंने दूसरे प्रयास में आईएएस की परीक्षा 29 वर्ष की उम्र में पास कर ली और गुजरात कैडर में ज्वाइन किया और साल 2001 से अरविंद शर्मा पीएम मोदी के काफी करीबी माने जाते हैं.

2014 में जब केंद्र में मोदी सरकार बनी तब गुजरात से 7 आईएएस अधिकारियों को पीएमओ बुलाया गया. उन सात आईएएस अधिकारियों में एक थे अरविंद शर्मा. उन्होंने बहुत दिनों तक पीएमओ में सचिव का पद संभाला और बाद में नितिन गडकरी के साथ लघु उद्योग, रेलवे पर्यावरण जैसे अन्य संस्थानों में बड़ी जिम्मेदारी के पद पर काम किया.

अरविंद शर्मा 2022 में रिटायर होने वाले थे, लेकिन उन्होंने 2 साल पहले ही वीआरएस ले लिया और अब वे देश की सेवा के लिए राजनीति का दाम थामा है. अरविंद शर्मा के चाचा मथुरा राय ने बताया कि अरविंद तीन भाई है. वर्तमान में गांव में सबसे छोटे भाई की पत्नी जो प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाचार्य के रूप में कार्य करती है. वही गांव में मौजूद है. बाकी सब लोग बाहर रहते हैं.

सफलता से गांव में खुशी का माहौल
चाचा मथुरा राय ने बताया कि उन्हें विश्वास नहीं है कि एक साधारण व्यक्ति इतनी बड़ी ऊंचाई पर पहुंच जाएगा. उन्होंने बताया कि अरविंद की सफलता से गांव में खुशी का माहौल है.

छोटे भाई की पत्नी चेतना राय ने बताया कि भाई साहब इतने बड़े पद पर होने के बाद भी बहुत सरल और ईमानदार व्यक्ति हैं. उनकी ईमानदारी का फल ही उन्हें आज मिला है.

'अरविंद ने किया नाम रोशन'
अरविंद शर्मा के कुल पुरोहित संतोष कुमार उपाध्याय ने बताया कि अरविंद बचपन से ही लगनशील और कर्मठ प्रवृत्ति के हैं. उनकी इस उपलब्धि से पूरा जनपद में गर्व महसूस कर रहा है.

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Last Updated : Jan 14, 2021, 7:59 PM IST
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