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सरकारी स्कूलों में हों ऐसे प्रिंसिपल, तो सुधर जाएगा यूपी में शिक्षा का स्तर

मऊ के रकौली में एक प्राथमिक विद्यालय है, जो आईसीटी पैटर्न पर आधारित शिक्षा बच्चों को दे रहा है. स्कूल के प्रिंसिपल सतीश कुमार सिंह ने सरकारी मदद के इंतजार के बजाय अपने स्तर से इस स्कूल की सूरत ही बदल दी.

रकौली प्राथमिक विद्यालय
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Published : Mar 16, 2019, 12:56 PM IST

मऊ : सरकारी विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था को लेकर आमजन के मन में शंका बनी रहती है. अभिभावक भी इन विद्यालयों में अपने बच्चों का दाखिला कराने से हिचकते हैं. यूपी के मऊ में एक प्राथमिक विद्यालय है, जो सरकारी विद्यालय के प्रति लोगों में बनी इस धारणा को तोड़ रहा है. स्कूल के प्रिंसिपल सतीश कुमार सिंह ने सरकारी मदद के इंतजार के बजाय अपने स्तर से इस स्कूल की सूरत ही बदल दी. आज ये स्कूल प्राइवेट स्कूलों को टक्कर दे रहा है.

रकौली प्राथमिक विद्यालय बदल देगा आपकी सोच.

शिक्षा क्षेत्र परदहां के ग्राम रकौली का प्राथमिक विद्यालय इस गांव की पहचान बन गया है. मऊ के ग्राम रकौली में स्थित इस विद्यालय की साल 2013 में प्रधानाध्यापक सतीश कुमार सिंह ने कायाकल्प करने की ठानी. इसमें उनका साथ दिया विद्यालय में सहायक अध्यापिका सदफ कौसर ने. निजी संसाधनों से विद्यालय में सबसे पहले आईसीटी (ICT-Information and Communication Technology) पैटर्न आधारित पठन-पाठन की शुरुआत हुई. तब से आधुनिक उपकरणों का प्रयोग कर गुणवत्तायुक्त एवं मनोरंजक शिक्षा दी जा रही है. सभी कक्षाओं में प्रोजेक्टर की व्यवस्था भी की गई है.

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रकौली प्राथमिक विद्यालय.

शिक्षा के क्षेत्र में कुछ अलग करने का संकल्प लिए प्रधानाध्यापक सतीश सिंह ने निजी खर्च से सभी कक्षाओं में प्राइवेट स्कूल जैसे फर्नीचर, पंखे आदि की व्यवस्था कराई. स्कूल की दीवारें रंग-बिरंगी व प्रेरक पेंटिंग्स से रंगी हुई हैं और प्रांगण में दर्जनों पौधे लगाए गए हैं. विद्यालय के शौचालय व पानी पीने का प्लेटफॉर्म भी टाइल्स व मार्बल्स से चमचमाता है. विद्यालय की सुरक्षा व निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं. इसके अलावा बच्चों के पढ़ने व अध्यापकों को प्रचुर शिक्षण सामग्री के लिए पुस्तकालय भी बनाया गया है. पढ़ाई के साथ ही बच्चों को कंप्यूटर व संगीत की शिक्षा भी दी जाती है.

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सदफ कौसर को मिल चुका है आईसीटी उत्कृष्टता प्रमाण पत्र
बता दें कि विद्यालय को कई बार जिले व मंडल के साथ ही शासन स्तर पर भी उत्कृष्टता का पुरस्कार व प्रमाण पत्र मिल चुका है. वर्ष 2017 में राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद द्वारा सहायक अध्यापिका सदफ कौसर को आईसीटी (सूचना एवं संचार तकनीक) आधारित शिक्षा देने के लिए उत्कृष्टता प्रमाण पत्र मिला. उन्होंने बताया कि जब वह यहां आईं तो उस समय यहां पर बच्चों का पढ़ने में मन नहीं लगता था. इसलिए हमने बच्चों को पढ़ाने के तरीके में बदलाव लाया और उनको उनके ही अनुसार पढ़ाने लगे. पढ़ाई व खेलकूद के साथ कंप्यूटर व संगीत की शिक्षा भी दी जा रही है.

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प्रोजेक्टर से बढ़ती है बच्चों की समझ
प्रधानाध्यापक सतीश कुमार सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने खर्च व अन्य लोगों के सहयोग से विद्यालय में विशेष व्यवस्थाएं की हैं. चार कक्षाओं में प्रोजेक्टर लगाए गए हैं, जिसपर देखकर बच्चों की समझ बढ़ती है और कंप्यूटर लैब की सुविधा भी दी है. इसकी प्रेरणा उन्हें बच्चों को देखकर ही मिली, छोटे-छोटे बदलाव करने से बच्चों का मन लगने लगा और अभिभावक भी ध्यान देने लगे. इससे प्रतिवर्ष बच्चों की संख्या बढ़ने के साथ ही उनका मनोबल भी ऊंचा हुआ.

मऊ : सरकारी विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था को लेकर आमजन के मन में शंका बनी रहती है. अभिभावक भी इन विद्यालयों में अपने बच्चों का दाखिला कराने से हिचकते हैं. यूपी के मऊ में एक प्राथमिक विद्यालय है, जो सरकारी विद्यालय के प्रति लोगों में बनी इस धारणा को तोड़ रहा है. स्कूल के प्रिंसिपल सतीश कुमार सिंह ने सरकारी मदद के इंतजार के बजाय अपने स्तर से इस स्कूल की सूरत ही बदल दी. आज ये स्कूल प्राइवेट स्कूलों को टक्कर दे रहा है.

रकौली प्राथमिक विद्यालय बदल देगा आपकी सोच.

शिक्षा क्षेत्र परदहां के ग्राम रकौली का प्राथमिक विद्यालय इस गांव की पहचान बन गया है. मऊ के ग्राम रकौली में स्थित इस विद्यालय की साल 2013 में प्रधानाध्यापक सतीश कुमार सिंह ने कायाकल्प करने की ठानी. इसमें उनका साथ दिया विद्यालय में सहायक अध्यापिका सदफ कौसर ने. निजी संसाधनों से विद्यालय में सबसे पहले आईसीटी (ICT-Information and Communication Technology) पैटर्न आधारित पठन-पाठन की शुरुआत हुई. तब से आधुनिक उपकरणों का प्रयोग कर गुणवत्तायुक्त एवं मनोरंजक शिक्षा दी जा रही है. सभी कक्षाओं में प्रोजेक्टर की व्यवस्था भी की गई है.

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शिक्षा के क्षेत्र में कुछ अलग करने का संकल्प लिए प्रधानाध्यापक सतीश सिंह ने निजी खर्च से सभी कक्षाओं में प्राइवेट स्कूल जैसे फर्नीचर, पंखे आदि की व्यवस्था कराई. स्कूल की दीवारें रंग-बिरंगी व प्रेरक पेंटिंग्स से रंगी हुई हैं और प्रांगण में दर्जनों पौधे लगाए गए हैं. विद्यालय के शौचालय व पानी पीने का प्लेटफॉर्म भी टाइल्स व मार्बल्स से चमचमाता है. विद्यालय की सुरक्षा व निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं. इसके अलावा बच्चों के पढ़ने व अध्यापकों को प्रचुर शिक्षण सामग्री के लिए पुस्तकालय भी बनाया गया है. पढ़ाई के साथ ही बच्चों को कंप्यूटर व संगीत की शिक्षा भी दी जाती है.

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सदफ कौसर को मिल चुका है आईसीटी उत्कृष्टता प्रमाण पत्र
बता दें कि विद्यालय को कई बार जिले व मंडल के साथ ही शासन स्तर पर भी उत्कृष्टता का पुरस्कार व प्रमाण पत्र मिल चुका है. वर्ष 2017 में राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद द्वारा सहायक अध्यापिका सदफ कौसर को आईसीटी (सूचना एवं संचार तकनीक) आधारित शिक्षा देने के लिए उत्कृष्टता प्रमाण पत्र मिला. उन्होंने बताया कि जब वह यहां आईं तो उस समय यहां पर बच्चों का पढ़ने में मन नहीं लगता था. इसलिए हमने बच्चों को पढ़ाने के तरीके में बदलाव लाया और उनको उनके ही अनुसार पढ़ाने लगे. पढ़ाई व खेलकूद के साथ कंप्यूटर व संगीत की शिक्षा भी दी जा रही है.

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रकौली प्राथमिक विद्यालय.

प्रोजेक्टर से बढ़ती है बच्चों की समझ
प्रधानाध्यापक सतीश कुमार सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने खर्च व अन्य लोगों के सहयोग से विद्यालय में विशेष व्यवस्थाएं की हैं. चार कक्षाओं में प्रोजेक्टर लगाए गए हैं, जिसपर देखकर बच्चों की समझ बढ़ती है और कंप्यूटर लैब की सुविधा भी दी है. इसकी प्रेरणा उन्हें बच्चों को देखकर ही मिली, छोटे-छोटे बदलाव करने से बच्चों का मन लगने लगा और अभिभावक भी ध्यान देने लगे. इससे प्रतिवर्ष बच्चों की संख्या बढ़ने के साथ ही उनका मनोबल भी ऊंचा हुआ.

Intro:मऊ। सरकारी विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था को लेकर आमजन के मन में शंका बनी रहती है. अभिभावक भी इन विद्यालयों में अपने बच्चों का दाखिला कराने से हिचकते हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश के जनपद मऊ में एक प्राथमिक विद्यालय सरकारी विद्यालयों के प्रति लोगों में बनी इस धारणा को तोड़ रहा है. शिक्षा क्षेत्र परदहां के ग्राम रकौली का प्राथमिक विद्यालय इस गांव की पहचान बन गया है. यह सम्भव हो सका है विद्यालय के प्रधानाचार्य सतीश सिंह के प्रयासों से.


Body:यदि आपको कभी जनपद मऊ आने का मौका मिले तो ग्राम रकौली में स्थित इस विद्यालय को जरूर देखिए. आज यह विद्यालय जिस रूप में है, ऐसा शुरूआत से नहीं था. वर्ष 2013 में प्रधानाध्यापक सतीश कुमार सिंह ने विद्यालय का कायाकल्प करने की ठानी. जिसमें उनका साथ दिया विद्यालय में सहायक अध्यापिका सदफ कौसर ने. निजी संसाधनों से विद्यालय में सबसे पहले आईसीटी (ICT-Information and Communication Technology) पैटर्न आधारित पठन-पाठन की शुरुआत हुई. तब से आधुनिक उपकरणों का प्रयोग कर गुणवत्तायुक्त एवं मनोरंजक शिक्षा दी जा रही है. सभी कक्षाओं में प्रोजेक्टर की व्यवस्था भी की गई है.

शिक्षा के क्षेत्र में कुछ अलग करने का संकल्प लिए प्रधानाध्यापक सतीश सिंह ने निजी खर्च से सभी कक्षाओं में प्राइवेट स्कूल जैसे फर्नीचर, पंखे आदि की व्यवस्था कराई. स्कूल की दीवारें रंग-बिरंगी व प्रेरक पेंटिंग्स से रंगी हुई हैं और प्रांगण में दर्जनों पौधे लगाए गए हैं. विद्यालय के शौचालय व पानी पीने के प्लैटफॉर्म भी टाईल्स व मार्बल्स से चमचमाता है. विद्यालय की सुरक्षा व निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं. इसके अलावा बच्चों के पढ़ने व अध्यापकों को प्रचुर शिक्षण सामग्री के लिए पुस्तकालय भी बनाया गया है. पढ़ाई के साथ ही बच्चों को कम्प्यूटर व संगीत की शिक्षा भी दी जाती है.

बता दें कि विद्यालय को कई बार जिले व मंडल के साथ ही शासन स्तर पर भी उत्कृष्टता का पुरस्कार व प्रमाण पत्र मिल चुका है. वर्ष 2017 में राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद द्वारा सहायक अध्यापिका सदफ कौसर को आईसीटी (सूचना एवं संचार तकनीक) आधारित शिक्षा देने के लिए उत्कृष्टता प्रमाण पत्र मिला. उन्होंने बताया कि जब वह यहां आईं तो उस समय यहां पर बच्चों का पढ़ने में मन नहीं लगता था. इसलिए हमने बच्चों को पढ़ाने के तरीके में बदलाव लाया और उनको उनके ही अनुसार पढ़ाने लगे. पढ़ाई व खेलकूद के साथ कंप्यूटर व संगीत की शिक्षा भी दी जा रही है.

कक्षा पांच की छात्रा सोना सागर ने बताया कि उसे इस स्कूल में पढ़ना बहुत अच्छा लगता है. यहां पढ़ाई के साथ खेलकूद व संगीत भी सीखाया जाता है. खेलने के लिए जगह व फूल पौधौं हरा भरा वातावरण है. शौचालय व दीवारें हमेशा चमकती रहती हैं. छात्र रंजन व छात्रा गीता ने बताया कि वो अपने स्कूल से बहुत खुश है. यहां के अध्यापक बहुत अच्छे हैं और सारी सुविधाएं मिलती हैं


Conclusion:प्रधानाध्यापक सतीश कुमार सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने खर्च व अन्य लोगों के सहयोग से विद्यालय में विशेष व्यवस्थाएं की हैं. चार कक्षाओं में प्रोजेक्टर लगाए गए जिसपर देखकर बच्चों की समझ बढ़ती है और कम्प्यूटर लैब की सुविधा भी दी है. इसकी प्रेरणा उन्हें बच्चों को देखकर ही मिली, छोटे-छोटे बदलाव करने से बच्चों का मन लगने लगा और अभिभावक भी ध्यान देने लगे. इससे प्रतिवर्ष बच्चों की संख्या बढ़ने के साथ ही उनका मनोबल भी ऊंचा हुआ. अपने स्तर हर सम्भव प्रयास कर बच्चों को उच्चस्तरीय शिक्षा देने का प्रयास करता हूँ.
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