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देश के अलग-अलग हिस्सों में उड़ेगा मथुरा का गुलाल

होली का त्योहार धीरे-धीरे नजदीक आ रहा है. इसकी महक ब्रज में भी महसूस की जाने लगी है. दूसरी तरफ होली पर्व को लेकर प्राइवेट फैक्ट्रियों में रंग-बिरंग गुलाल तैयार किए जा रहे हैं. ये गुलाल देश के अलग-अलग हिस्सों में भेजे जाते हैं. देखिए हमारी इस स्पेशल रिपोर्ट में कारीगर अरारोट से कैसे गुलाल तैयार करते हैं...

मथुरा का गुलाल
मथुरा का गुलाल
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Published : Feb 11, 2021, 12:12 PM IST

मथुरा : कान्हा की नगरी में होली महोत्सव 40 दिनों तक बड़े ही धूमधाम के साथ खेला जाता है. होली खेलने के लिए यहां देश ही नहीं विदेशों से लाखों लोग मथुरा पहुंचते हैं. वहीं होली त्योहार को लेकर यहां की प्राइवेट फैक्ट्रियों में अगल-अलग प्रकार के रंगों को बड़ी तेजी से तैयार किया जा रहा है. हरा, पीला, नीला, लाल सभी प्रकार के रंगों को बनाने में कारीगर जुटे हुए हैं. फैक्ट्रियों के कारीगर अरारोट से गुलाल तैयार करने में लगे हुए हैं. मथुरा के बने रंग-बिरंगे गुलाल यूपी, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और पंजाब तक सप्लाई किए जाते हैं. प्राइवेट फैक्ट्रियों में हर रोज हजारों किलो गुलाल तैयार किया जा रहा है.

होली के लिए रंग-बिरंगे गुलाल तैयार

अलग-अलग रंगों को बनाने के लिए आगरा-दिल्ली राजमार्ग पर प्राइवेट फैक्ट्रियां हैं. होली को देखते हुए कारीगर इन फैक्ट्रियों में रंग-बिरंगे गुलाल तैयार करने में जुटे हैं. फैक्ट्री मालिक के अनुसार, उनकी फैक्ट्री में काम करने वाले 6 कारीगर मिलकर हर रोज पांच टन गुलाल तैयार कर लेते हैं. रंगों को तैयार करने के बाद इनकी पैकिंग की जाती है.

कई राज्यों में गुलाल की होती है सप्लाई

बृज में होली विभिन्न रंगों के साथ खेली जाती है. यहां की होली दुनियां भर में प्रसिद्ध है. यहां भगवान के मंदिरों, साधु संतों के आश्रम और आम जनमानस में होली का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है. दूसरी तरफ मथुरा की फैक्ट्रियों में बनने वाले गुलाल भी पूरे देश में प्रसिद्ध हैं. यहां के रंग-बिरंगे गुलाल की सप्लाई यूपी, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली पंजाब में सप्लाई की जाती है. होली के दिन नजदीक आते ही यहां के गुलाल और रंगों के आर्डर मिलने लगते हैं, जिसके बाद यहां की फैक्ट्रियों में रंगों को बनाने की प्रक्रिया तेज हो जाती है.

40 दिनों तक खेली जाती है बृज में होली

हर साल बसंत पंचमी के दिन से ब्रज में होली महोत्सव का आगाज होता है. इस साल 16 फरवरी को बसंत पंचमी है. इसी दिन से मथुरा, वृंदावन, बरसाना, नंदगांव, दाऊजी गोवर्धन के मंदिरों में ठाकुर जी गुलाल से होली खेलते हैं. फिर एकादशी के दिन ब्रज में रंगों की होली शुरू होती है, जो इस बार 9 मार्च से शुरू होगी.

  • 16 फरवरी बसंत पंचमी के दिन बांके बिहारी मंदिर में ठाकुर जी को गुलाल लगाया जाएगा.
  • 16 फरवरी को ही भगवान कृष्ण की क्रीड़ा स्थली गोकुल के रमन रेती गुरु शरणानंद महाराज के आश्रम में होली, येसु के फूलों से रंग बनाकर होली खेली जाएगी.
  • 22 मार्च को बरसाना के राधा रानी मंदिर में लड्डू मार होली.
  • 23 मार्च को बरसाना में लठ मार होली.
  • 24 मार्च को नंद गांव में लठ मार होली.
  • 25 मार्च को श्रीकृष्ण जन्म परिसर में लठमार होली, शहर के द्वारकाधीश ऑफ बांके बिहारी मंदिर में होली.
  • 27 मार्च को गोकुल में छड़ीमार होली.

    फैक्ट्रियों में रंगों को बनाने को लेकर सुपरवाइजर शैलेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि होली जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, रंग-बिरंगे गुलालों को अधिक मात्रा में तैयार किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि मथुरा की उनकी फैक्ट्री में बने हुए गुलाल की कई राज्यों में सप्लाई की जाती है. फैक्ट्री में जो गुलाल तैयार हो रहे हैं उसमें केमिकल नहीं डाला जाता. केमिकल डालने से स्किन खराब हो जाती है. फैक्ट्रियों में कारीगर अरारोट से रंग-बिरंगे गुलाल तैयार किए जा रहे हैं.

मथुरा : कान्हा की नगरी में होली महोत्सव 40 दिनों तक बड़े ही धूमधाम के साथ खेला जाता है. होली खेलने के लिए यहां देश ही नहीं विदेशों से लाखों लोग मथुरा पहुंचते हैं. वहीं होली त्योहार को लेकर यहां की प्राइवेट फैक्ट्रियों में अगल-अलग प्रकार के रंगों को बड़ी तेजी से तैयार किया जा रहा है. हरा, पीला, नीला, लाल सभी प्रकार के रंगों को बनाने में कारीगर जुटे हुए हैं. फैक्ट्रियों के कारीगर अरारोट से गुलाल तैयार करने में लगे हुए हैं. मथुरा के बने रंग-बिरंगे गुलाल यूपी, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और पंजाब तक सप्लाई किए जाते हैं. प्राइवेट फैक्ट्रियों में हर रोज हजारों किलो गुलाल तैयार किया जा रहा है.

होली के लिए रंग-बिरंगे गुलाल तैयार

अलग-अलग रंगों को बनाने के लिए आगरा-दिल्ली राजमार्ग पर प्राइवेट फैक्ट्रियां हैं. होली को देखते हुए कारीगर इन फैक्ट्रियों में रंग-बिरंगे गुलाल तैयार करने में जुटे हैं. फैक्ट्री मालिक के अनुसार, उनकी फैक्ट्री में काम करने वाले 6 कारीगर मिलकर हर रोज पांच टन गुलाल तैयार कर लेते हैं. रंगों को तैयार करने के बाद इनकी पैकिंग की जाती है.

कई राज्यों में गुलाल की होती है सप्लाई

बृज में होली विभिन्न रंगों के साथ खेली जाती है. यहां की होली दुनियां भर में प्रसिद्ध है. यहां भगवान के मंदिरों, साधु संतों के आश्रम और आम जनमानस में होली का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है. दूसरी तरफ मथुरा की फैक्ट्रियों में बनने वाले गुलाल भी पूरे देश में प्रसिद्ध हैं. यहां के रंग-बिरंगे गुलाल की सप्लाई यूपी, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली पंजाब में सप्लाई की जाती है. होली के दिन नजदीक आते ही यहां के गुलाल और रंगों के आर्डर मिलने लगते हैं, जिसके बाद यहां की फैक्ट्रियों में रंगों को बनाने की प्रक्रिया तेज हो जाती है.

40 दिनों तक खेली जाती है बृज में होली

हर साल बसंत पंचमी के दिन से ब्रज में होली महोत्सव का आगाज होता है. इस साल 16 फरवरी को बसंत पंचमी है. इसी दिन से मथुरा, वृंदावन, बरसाना, नंदगांव, दाऊजी गोवर्धन के मंदिरों में ठाकुर जी गुलाल से होली खेलते हैं. फिर एकादशी के दिन ब्रज में रंगों की होली शुरू होती है, जो इस बार 9 मार्च से शुरू होगी.

  • 16 फरवरी बसंत पंचमी के दिन बांके बिहारी मंदिर में ठाकुर जी को गुलाल लगाया जाएगा.
  • 16 फरवरी को ही भगवान कृष्ण की क्रीड़ा स्थली गोकुल के रमन रेती गुरु शरणानंद महाराज के आश्रम में होली, येसु के फूलों से रंग बनाकर होली खेली जाएगी.
  • 22 मार्च को बरसाना के राधा रानी मंदिर में लड्डू मार होली.
  • 23 मार्च को बरसाना में लठ मार होली.
  • 24 मार्च को नंद गांव में लठ मार होली.
  • 25 मार्च को श्रीकृष्ण जन्म परिसर में लठमार होली, शहर के द्वारकाधीश ऑफ बांके बिहारी मंदिर में होली.
  • 27 मार्च को गोकुल में छड़ीमार होली.

    फैक्ट्रियों में रंगों को बनाने को लेकर सुपरवाइजर शैलेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि होली जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, रंग-बिरंगे गुलालों को अधिक मात्रा में तैयार किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि मथुरा की उनकी फैक्ट्री में बने हुए गुलाल की कई राज्यों में सप्लाई की जाती है. फैक्ट्री में जो गुलाल तैयार हो रहे हैं उसमें केमिकल नहीं डाला जाता. केमिकल डालने से स्किन खराब हो जाती है. फैक्ट्रियों में कारीगर अरारोट से रंग-बिरंगे गुलाल तैयार किए जा रहे हैं.
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