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बांके बिहारी मंदिर नहीं है भूकंप निरोधी, दीवारों में दरारें आने पर हुआ खुलासा

विश्न प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर परिसर की फर्श तीन माह पूर्व तीन फीट धंस गई थी. इस मामले में दिल्ली की टीम जांच कर रही थी. वहीं जांच रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि मंदिर भूकंप निरोधी नहीं था.

बांके बिहारी मंदिर नहीं है भूकंप निरोधी.
बांके बिहारी मंदिर नहीं है भूकंप निरोधी.
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Published : Aug 21, 2020, 9:42 PM IST

मथुरा: वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर परिसर की फर्श तीन माह पूर्व तीन फीट धंसने से हड़कंप मच गया था. परिसर में निर्माण कार्य तेज गति से कराया जा रहा है. इस संबंध में दिल्ली की एक टीम जांच कर रही थी, जिसकी जांच रिपोर्ट आ गई है. रिपोर्ट में काफी चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक मंदिर भूकंप निरोधी नहीं था. बता दें कि करीब डेढ़ सौ वर्ष पूर्व मंदिर का निर्माण कराया गया था. फिलहाल मंदिर में निर्माण कार्य चल रहा है. इसके चलते मंदिर को तीन महीने के लिए बंद किया गया है.

बांके बिहारी मंदिर नहीं है भूकंप निरोधी.

निर्माण कार्य में लगा प्रबंधन
वृंदावन का विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर 1864 में निर्माण कराया गया. तीन माह पूर्व परिसर का फर्श तीन फीट धस गया था. मंदिर परिसर के बाई तरफ का हिस्सा एक से डेढ़ इंच झुक गया है. मंदिर परिसर में कुल 53 पिलर हैं, इनमें से आधे से ज्यादा पिलर में दरारें आ चुकी है. मंदिर प्रबंधन निर्माण कार्य करवाने में लगा हुआ है. बताया जा रहा है कि मंदिर परिसर के अंदर जो फर्द तैयार की जाएगी, उसके नीचे सात परतें बनेंगी. दिल्ली जांच रिपोर्ट के लिए मिट्टी के नमूने भेजे गए थे. जांच रिपोर्ट आने के बाद काफी चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. जांच रिपोर्ट के मुताबिक मंदिर भूकंप विरोधी नहीं था. मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की आवाजाही होती तो बड़ा हादसा हो सकता था.

यह भी पढ़ें- 1200 स्तंभों पर खड़ा होगा एक हजार वर्ष तक अडिग रहने वाला राम मंदिर
मंदिर सेवायत गोपी गोस्वामी ने बताया मंदिर कि मंदिर का निर्माण करीब डेढ़ सौ साल पहले हुआ था. उनका कहना है कि उस समय भूकंप विरोधी इमारतें नहीं बनती थीं. मंदिर के आसपास आबादी नहीं हुआ करती थी, लेकिन अब मंदिर के चारों तरफ घनी आबादी बस चुकी है. मंदिर परिसर के अंदर जो ग्रिल लगाई गई थी, ग्रिल के माध्यम से जमीन के अंदर पानी चला जाता था, जिसके कारण मिट्टी गल गई. फिलहाल मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. मंदिर के फर्द के नीचे सात परतें बनाई जा रही हैं. इसके साथ ही जिन पिलरों में दरार आई थी, उनकी मरम्मत कराई जा रही है. मंदिर में चल रहे निर्माण कार्य के चलते मंदिर को भक्तों के लिए तीन महीनों तक बंद रहेगा.

मथुरा: वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर परिसर की फर्श तीन माह पूर्व तीन फीट धंसने से हड़कंप मच गया था. परिसर में निर्माण कार्य तेज गति से कराया जा रहा है. इस संबंध में दिल्ली की एक टीम जांच कर रही थी, जिसकी जांच रिपोर्ट आ गई है. रिपोर्ट में काफी चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक मंदिर भूकंप निरोधी नहीं था. बता दें कि करीब डेढ़ सौ वर्ष पूर्व मंदिर का निर्माण कराया गया था. फिलहाल मंदिर में निर्माण कार्य चल रहा है. इसके चलते मंदिर को तीन महीने के लिए बंद किया गया है.

बांके बिहारी मंदिर नहीं है भूकंप निरोधी.

निर्माण कार्य में लगा प्रबंधन
वृंदावन का विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर 1864 में निर्माण कराया गया. तीन माह पूर्व परिसर का फर्श तीन फीट धस गया था. मंदिर परिसर के बाई तरफ का हिस्सा एक से डेढ़ इंच झुक गया है. मंदिर परिसर में कुल 53 पिलर हैं, इनमें से आधे से ज्यादा पिलर में दरारें आ चुकी है. मंदिर प्रबंधन निर्माण कार्य करवाने में लगा हुआ है. बताया जा रहा है कि मंदिर परिसर के अंदर जो फर्द तैयार की जाएगी, उसके नीचे सात परतें बनेंगी. दिल्ली जांच रिपोर्ट के लिए मिट्टी के नमूने भेजे गए थे. जांच रिपोर्ट आने के बाद काफी चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. जांच रिपोर्ट के मुताबिक मंदिर भूकंप विरोधी नहीं था. मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की आवाजाही होती तो बड़ा हादसा हो सकता था.

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मंदिर सेवायत गोपी गोस्वामी ने बताया मंदिर कि मंदिर का निर्माण करीब डेढ़ सौ साल पहले हुआ था. उनका कहना है कि उस समय भूकंप विरोधी इमारतें नहीं बनती थीं. मंदिर के आसपास आबादी नहीं हुआ करती थी, लेकिन अब मंदिर के चारों तरफ घनी आबादी बस चुकी है. मंदिर परिसर के अंदर जो ग्रिल लगाई गई थी, ग्रिल के माध्यम से जमीन के अंदर पानी चला जाता था, जिसके कारण मिट्टी गल गई. फिलहाल मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. मंदिर के फर्द के नीचे सात परतें बनाई जा रही हैं. इसके साथ ही जिन पिलरों में दरार आई थी, उनकी मरम्मत कराई जा रही है. मंदिर में चल रहे निर्माण कार्य के चलते मंदिर को भक्तों के लिए तीन महीनों तक बंद रहेगा.

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