मथुराः जर्मनी की फ्रेडरिक इरिना ब्रुनिंग उर्फ सु देवी को क्या पता था कि वो जिस सेवा भाव से वो भारत आईं, उसमें उन्हें काफी पापड़ बेलने पड़ेंगे. अफसरों के ऑफिस के चक्कर काटने में उनकी जूतियां तक घिस जायेंगी. दरअसल, विदेश से भारत में आई इस महिला ने गो-सेवा को पूरी तरीके से अपना लिया है. वे बिना किसी लालच के गोवर्धन के राधा कुंड में राधा सुरभि गौशाला ट्रस्ट में गायों की सेवा-सत्कार करती हैं. इसके साथ ही वे गायों की तबीयत खराब होने पर उनका उपचार भी खुद करती हैं. इस गोशाला में ढाई से तीन हजार गायें है. यहां काफी चोटिल गायें भी आती हैं. जिसका वे इलाज करती हैं. लेकिन कभी-कभी गायें बच नहीं पातीं, और कईयों की मौत हो जाती है. जिनकी समाधि लगाने की जगह यहां कही नहीं है. इसी को लेकर वो डीएम ऑफिस के चक्कर काट रही हैं.
डीएम से लगा रहीं गुहार
सु देवी दासी के मुताबिक गोशाला में एक्सीडेंट की कई गाय आती हैं. जिनका यहां इलाज किया जाता है. हमारी ओर से उनको सही करने की हर-संभव कोशिश होती है. लेकिन कभी-कभी वो बच नहीं पाती हैं. कई गायों की मौत हो जाती है. गायों की मौत के बाद उनके शव को गाड़ने की व्यवस्था यहां नहीं है. इसी को को लेकर वे डीएम से जगह की गुहार लगा रही हैं. वो काफी दिनों से जिलाधिकारी कार्यालय के चक्कर काट रही हैं, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हो पाया है. गोशाला के सामने एक मंदिर है, जिसने पब्लिक नॉनसेंस के नाम पर हाईकोर्ट में केस डाल दिया है. उनका कहना है कि मृतक गायों की वजह से वहां दुर्गंध आती है. ऐसे में गायों के शव लेकर कहां जायें, ये एक बड़ी समस्या बनी हुई है. पहले डीएम ने आश्वासन दिया था कि इसके लिए जगह दी जायेगी. लेकिन अभीतक जगह नहीं मिल पायी है.
पद्मश्री से सम्मानित हो चुकी हैं सु देवी दासी
आपको बता दें कि साल 2019 में 16 मार्च को भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने फ्रेडरिक इरिना ब्रुनिंग उर्फ सु देवी दासी को पद्मश्री से सम्मानित किया था. सु देवी दासी काफी सालों से भारत में रहकर बेसहारा असहाय गायों की सेवा करती हैं. लेकिन इन दिनों वो प्रशासन के आला अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर काटने पर मजबूर हैं. इसकी वजह है कि गोशाला की भूमि कम है, और मृत गायों को दफनाने के लिए समुचित व्यवस्था नहीं है. वो लगातार प्रशासन से मांग कर रही हैं कि उन्हें गायों की समाधि लगाने के लिए समुचित जगह उपलब्ध कराये जायें.