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मथुरा: देवी मां का एक ऐसा मंदिर जहां लट्ठों से की जाती है पूजा - नवरात्रि

थाना छाता कोतवाली के अंतर्गत आने वाले गांव सेमरी के मंदिर में चैत नवरात्रि में मेला लगता है. मंदिर में नरी गांव के लोगों द्वारा देवी मां की लट्ठों से पूजा की जाती है. कहानी के अनुसार देवी ने भक्तों को सपना दिया कि नरी गांव वाले उनकी पूजा करें. तब से ग्रामीण लट्ठों से देवी की पूजा कर रहे हैं.

लट्ठों से की जाती है देवी की पूजा
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Published : Apr 14, 2019, 11:17 AM IST

मथुरा: थाना छाता कोतवाली के अंतर्गत आने वाले गांव सेमरी में इन दिनों मेला लगा हुआ है. यह मेला चैत मास के नवरात्रि में लगता है. नवमी के दिन इस गांव के मंदिर में एक अलग ही तरह से पूजा की जाती है. मंदिर में नरी गांव के लोगों द्वारा देवी मां की लट्ठों से पूजा की जाती है.

लट्ठों से की जाती है देवी की पूजा

लोगों का कहना है कि यह पूजा वर्षों से चली आ रही है. इस पूजा से जुड़ी एक कहानी है. लोगों ने बताया कि एक धांधू नाम का भगत था, जो आगरा का रहने वाला था. वह देवी की पूजा-अर्चना करता था. इससे खुश होकर देवी ने उसे वरदान मांगने के लिए कहा. धांधू ने वरदान मांगा कि देवी मां उसके साथ उसके गांव चले. इस दौरान देवी मां ने एक शर्त रखी. देवी मां उसके संग चलने को तैयार हो गईं, लेकिन उन्होंने शर्त रखा कि जहां भी वह पीछे मुड़कर देखेगा देवी मां वहीं पर विराजमान हो जाएंगी. धांधू भगत इस बात के लिए राजी हो गया और देवी मां को अपने साथ लेकर चल दिया.

वैसे इस देवी को हिमाचल के कांगड़ा देवी के नाम से भी जाना जाता है. धांधू भगत ने सेमरी में आकर देखा तो देवी मां की आहट कम लगने लगी और उसने पीछे मुड़कर देख लिया. शर्त के मुताबिक देवी वहीं पर विराजमान हो गईं. इसके बाद अकबरपुर के रहने वाले सिसोदिया देवी को वहां से ले जाने लगे. इसके कारण वहां पर लोगों द्वारा इसका विरोध किया गया. जिसके कारण काफी झगड़ा हुआ, कई लोगों की मौत हुई. उस दिन से ही यहां पर उनकी लट्ठों से पूजा की जाती है. देवी मां ने अपने भक्तों को सपना दिया और कहा कि नरी गांव वालों द्वारा उनकी पूजा की जाए. गांव वालों ने कहा कि वो केवल लट्ठों से ही पूजा करेंगे और तभी से यह प्रथा चली आ रही है.

मथुरा: थाना छाता कोतवाली के अंतर्गत आने वाले गांव सेमरी में इन दिनों मेला लगा हुआ है. यह मेला चैत मास के नवरात्रि में लगता है. नवमी के दिन इस गांव के मंदिर में एक अलग ही तरह से पूजा की जाती है. मंदिर में नरी गांव के लोगों द्वारा देवी मां की लट्ठों से पूजा की जाती है.

लट्ठों से की जाती है देवी की पूजा

लोगों का कहना है कि यह पूजा वर्षों से चली आ रही है. इस पूजा से जुड़ी एक कहानी है. लोगों ने बताया कि एक धांधू नाम का भगत था, जो आगरा का रहने वाला था. वह देवी की पूजा-अर्चना करता था. इससे खुश होकर देवी ने उसे वरदान मांगने के लिए कहा. धांधू ने वरदान मांगा कि देवी मां उसके साथ उसके गांव चले. इस दौरान देवी मां ने एक शर्त रखी. देवी मां उसके संग चलने को तैयार हो गईं, लेकिन उन्होंने शर्त रखा कि जहां भी वह पीछे मुड़कर देखेगा देवी मां वहीं पर विराजमान हो जाएंगी. धांधू भगत इस बात के लिए राजी हो गया और देवी मां को अपने साथ लेकर चल दिया.

वैसे इस देवी को हिमाचल के कांगड़ा देवी के नाम से भी जाना जाता है. धांधू भगत ने सेमरी में आकर देखा तो देवी मां की आहट कम लगने लगी और उसने पीछे मुड़कर देख लिया. शर्त के मुताबिक देवी वहीं पर विराजमान हो गईं. इसके बाद अकबरपुर के रहने वाले सिसोदिया देवी को वहां से ले जाने लगे. इसके कारण वहां पर लोगों द्वारा इसका विरोध किया गया. जिसके कारण काफी झगड़ा हुआ, कई लोगों की मौत हुई. उस दिन से ही यहां पर उनकी लट्ठों से पूजा की जाती है. देवी मां ने अपने भक्तों को सपना दिया और कहा कि नरी गांव वालों द्वारा उनकी पूजा की जाए. गांव वालों ने कहा कि वो केवल लट्ठों से ही पूजा करेंगे और तभी से यह प्रथा चली आ रही है.

Intro:थाना छाता कोतवाली के अंतर्गत आने वाले गांव सेमरी में इन दिनों मेला लगा हुआ है ।यह मेला चैत मास के नवरात्रों में लगाया जाता है नवमी के दिन इस मंदिर में एक अलग ही तरह से पूजा की जाती है। वैसे तो सभी जगह अपनी अपनी प्रथाओं के हिसाब से ही पूजा अर्चना की जाती है। उसी तरह इस मंदिर में नरी गांव के लोगों द्वारा देवी मां की लट्ठों से पूजा की जाती है।


Body:लोगों का मानना है यह पूजा वर्षों से चली आ रही है और इस पूजा से जुड़ी हुई एक कहानी भी है ।कहानी है कि एक धांधू भगत था जो आगरा का रहने वाला था वह देवी की पूजा-अर्चना करता था ।जिससे उसने देवी ने उससे खुश होकर उसे वरदान मांगने के लिए कहा धांधू ने वरदान मांगा वह मां को अपने साथ अपने गांव ले जाना चाहता है ।लेकिन इस दौरान देवी मां ने उससे एक शर्त रखी, जिसके मुताबिक ही वह उनके संग चलने को तैयार हो गई शर्त यह थी कि जहां भी आप पीछे मुड़कर देखो गे मैं वहीं पर विराजमान हो जाऊंगी। धांधू भगत इस बात के लिए राजी हो गया और देवी मां को अपने साथ लेकर चल दीया।


Conclusion:वैसे इस देवी को हिमाचल के कांगड़ा देवी के नाम से भी जाना जाता है ।धांधू भगत ने सेमरी में आकर देखा तो देवी मां की आहट कम लगने लगी और उसने पीछे मुड़कर देख लिया। शर्त के मुताबिक देवी वहीं पर विराजमान हो गई। उसके बाद अकबरपुर के रहने वाले सिसोदिया देवी को वहां से ले जाने लगे जिसके कारण वहां पर लोगों द्वारा इसका विरोध किया गया। जिसके कारण काफी झगड़ा हुआ कई लोगों की जानें गई उस दिन से ही यहां पर इनकी लट्ठों से पूजा की जाती है ।देवी मां ने अपने भक्तों को सपना दिया और कहा कि गांव नरी द्वारा उनकी पूजा की जाए। गांव वालों ने कहा कि हम केवल लट्ठों से ही पूजा करेंगे और तभी से यह प्रथा चली आ रही है।
बाइट- प्रमोद कुमार
स्ट्रिंगर मथुरा
राहुल खरे
mb-9897000608
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