मथुरा: थाना छाता कोतवाली के अंतर्गत आने वाले गांव सेमरी में इन दिनों मेला लगा हुआ है. यह मेला चैत मास के नवरात्रि में लगता है. नवमी के दिन इस गांव के मंदिर में एक अलग ही तरह से पूजा की जाती है. मंदिर में नरी गांव के लोगों द्वारा देवी मां की लट्ठों से पूजा की जाती है.
लोगों का कहना है कि यह पूजा वर्षों से चली आ रही है. इस पूजा से जुड़ी एक कहानी है. लोगों ने बताया कि एक धांधू नाम का भगत था, जो आगरा का रहने वाला था. वह देवी की पूजा-अर्चना करता था. इससे खुश होकर देवी ने उसे वरदान मांगने के लिए कहा. धांधू ने वरदान मांगा कि देवी मां उसके साथ उसके गांव चले. इस दौरान देवी मां ने एक शर्त रखी. देवी मां उसके संग चलने को तैयार हो गईं, लेकिन उन्होंने शर्त रखा कि जहां भी वह पीछे मुड़कर देखेगा देवी मां वहीं पर विराजमान हो जाएंगी. धांधू भगत इस बात के लिए राजी हो गया और देवी मां को अपने साथ लेकर चल दिया.
वैसे इस देवी को हिमाचल के कांगड़ा देवी के नाम से भी जाना जाता है. धांधू भगत ने सेमरी में आकर देखा तो देवी मां की आहट कम लगने लगी और उसने पीछे मुड़कर देख लिया. शर्त के मुताबिक देवी वहीं पर विराजमान हो गईं. इसके बाद अकबरपुर के रहने वाले सिसोदिया देवी को वहां से ले जाने लगे. इसके कारण वहां पर लोगों द्वारा इसका विरोध किया गया. जिसके कारण काफी झगड़ा हुआ, कई लोगों की मौत हुई. उस दिन से ही यहां पर उनकी लट्ठों से पूजा की जाती है. देवी मां ने अपने भक्तों को सपना दिया और कहा कि नरी गांव वालों द्वारा उनकी पूजा की जाए. गांव वालों ने कहा कि वो केवल लट्ठों से ही पूजा करेंगे और तभी से यह प्रथा चली आ रही है.