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श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामला: प्रतिवादी पक्ष को मिला नोटिस, 18 नवंबर को होनी है सुनवाई

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में कोर्ट ने अगली सुनवाई 18 नवंबर निर्धारित की है. जन्मभूमि मामले को लेकर चारों प्रतिवादी पक्ष को नोटिस जारी किया गया था, जो इन्हें मिल गया है. प्रतिवादी पक्ष ने कहा कि कमेटी की तरफ से समय पर जवाब दाखिल किया जाएगा.

next hearing of sri krishna janmabhoomi case
श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर 13.37 एकड़ में बना हुआ है
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Published : Oct 23, 2020, 12:13 PM IST

मथुरा: श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक और परिसर को मस्जिद मुक्त बनाने की मांग को लेकर 16 अक्टूबर को वादी पक्ष की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई 18 नवंबर निर्धारित की है. जन्मभूमि मामले को लेकर चार प्रतिवादी पक्ष सुन्नी वक्फ बोर्ड, शाही ईदगाह कमेटी, श्री कृष्ण सेवा संस्थान, श्रीकृष्ण सेवा ट्रस्ट को नोटिस जारी किया गया है. प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ताओं ने कहा कि "हमारे पास नोटिस आ चुका है. हम उसका समय पर जवाब देंगे. हमारी तरफ से तैयारी पूरी है. वादी पक्ष द्वारा जो दस्तावेज कोर्ट में रखे गए थे उसकी कॉपी लेने के बाद हम अपना जवाब दाखिल करेंगे."

मस्जिद हटाने की मांग
श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर 13.37 एकड़ में बना हुआ है, जिसमें श्रीकृष्ण जन्मभूमि लीला मंच, भागवत भवन और डेढ़ एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, रंजना अग्निहोत्री सहित पांच अधिवक्ताओं ने 25 सितंबर को श्री कृष्ण जन्मस्थान के मालिकाना हक को लेकर कोर्ट में याचिका डाली थी, जिसमें श्री कृष्ण सेवा संस्थान और शाही ईदगाह कमेटी सुन्नी वक्फ बोर्ड और श्री कृष्ण जन्मभूमि सेवा ट्रस्ट को प्रतिवादी पक्ष बनाया गया. अधिवक्ताओं ने कोर्ट से मांग की है कि श्री कृष्ण जन्मस्थान से मस्जिद हटाकर वहां मंदिर बनाया जाए. श्री कृष्ण जन्मभूमि मामले को लेकर 18 नवंबर को जिला न्यायालय कोर्ट में सुनवाई होनी है.

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में प्रतिवादी पक्षों का बयान


प्रतिवादी पक्षों का बयान
सुन्नी वक्फ बोर्ड अधिवक्ता शैलेंद्र दुबे ने कहा कि"श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मामले को लेकर न्यायालयने नोटिस जारी किया है. पुराने दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं. हम लोगों की तरफ से तैयारी पूरी है. कमेटी की तरफ से समय पर जवाब दाखिल किया जाएगा.

शाही ईदगाह कमेटी सचिव अधिवक्ता तनवीर अहमद ने कहा कि "जन्मभूमि प्रकरण को लेकर न्यायालय से प्रतिवादी पक्षों को नोटिस जारी कर दिया गया है नोटिस पढ़ने के बाद पुराने जो दस्तावेज हैं उनको अध्ययन किया जा रहा है 18 नवंबर जिला न्यायालय कोर्ट में जन्म भूमि के मामले की सुनवाई होनी है समय पर दस्तावेजों का जवाब दिया जाएगा."

श्रीकृष्ण सेवा संस्थान सदस्य गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने कहा कि "मुस्लिम शासक आए उन्होंने मंदिर तोड़कर उसी स्थान पर मस्जिद बनवाई, शाही ईदगाह मस्जिद में जो पत्थर लगे हुए हैं वही पत्थर श्री कृष्ण जन्मभूमि के हैं. श्री कृष्ण जन्मभूमि पर एक 1 इंच जगह भी भगवान श्री कृष्ण की जगह है. जन्मभूमि मंदिर चार बार तोड़ा गया और चार बार बनवाया गया अब समय आ चुका है. श्री कृष्ण जन्मभूमि परिसर मस्जिद मुक्त बनेगा."

जब मथुरा पहुंचे पंडित थे मदन मोहन मालवीय
ब्रिटिश शासन काल में 1815 में नीलामी के दौरान बनारस के राजा पटनी मल ने इस जगह को खरीदा था. सन् 1940 में पंडित मदन मोहन मालवीय जब मथुरा आए तो श्रीकृष्ण जन्म स्थान की दुर्दशा को देखकर काफी दुखित हुए. मदन मोहन मालवीय जी ने मथुरा के उद्योगपति जुगल किशोर बिरला को जन्मभूमि पुनरुद्वार के लिए पत्र लिखा, 21 फरवरी सन् 1951 में श्रीकृष्ण जन्म भूमि ट्रस्ट की स्थापना की गई. 12 अक्टूबर 1968 को कटरा केशव देव मंदिर की जमीन का समझौता श्रीकृष्ण जन्मस्थान सोसायटी द्वारा किया गया. 20 जुलाई 1973 को इस जमीन बेंच दिया गया. जमीन की बिक्री को रद्द करने की मांग को लेकर अधिवक्ता ने कोर्ट मे याचिका डाली थी.

इस भूमि पर क्या था पहले
श्रीकृष्ण के मामा कंस मथुरा का राजा हुआ करता था. श्री कृष्ण जन्मस्थान का प्राचीन केशव देव मंदिर जो पहले मलपुरा के नाम से जाना जाता था. चार किलोमीटर के क्षेत्र को केशव देव की संपत्ति मानी जाती है. प्राचीन केशव देव मंदिर के पास कंस का कारागार हुआ करता था. 5247 वर्ष पूर्व भगवान श्रीकृष्ण का यहां जन्म हुआ. भगवान श्री कृष्ण के प्रपौत्र ब्रजनाभ ने उसी स्थान पर केशव देव मंदिर की प्रथम स्थापना की. मुगल साम्राज्य के दौरान औरंगजेब ने सन् 1669 में मंदिर को ध्वस्त कर दिया और शाही ईदगाह मस्जिद बनवाई, जो कि वर्तमान में बनी हुई है. कटरा केशव देव को ही श्री कृष्ण जन्म स्थान माना जाता है.

सबसे पहले मंदिर तोड़ा गया था
सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य द्वारा बनवाए गए मंदिरों को मोहम्मद गजनवी ने 1017 ईसवी में आक्रमण करने के बाद मंदिर तोड़े गए थे. विक्रमादित्य ने दोबारा मंदिर का निर्माण कराया संस्कृति और कला के बड़े केंद्र के रूप में स्थापित किया गया मथुरा को हिंदू धर्म के साथ-साथ बौद्ध धर्म और जैन धर्म का भी मथुरा में विकास हुआ. मथुरा में तीसरी बार मंदिर सिकंदर लोदी के शासनकाल में तोड़े गए थे. शासक जहांगीर के शासनकाल में चौथी बार मंदिर का निर्माण कराया गया, लेकिन मुगल शासक औरंगजेब ने 1669 में मथुरा के मंदिरों को तोड़ कर और मस्जिद का निमार्ण करवाया.

मथुरा: श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक और परिसर को मस्जिद मुक्त बनाने की मांग को लेकर 16 अक्टूबर को वादी पक्ष की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई 18 नवंबर निर्धारित की है. जन्मभूमि मामले को लेकर चार प्रतिवादी पक्ष सुन्नी वक्फ बोर्ड, शाही ईदगाह कमेटी, श्री कृष्ण सेवा संस्थान, श्रीकृष्ण सेवा ट्रस्ट को नोटिस जारी किया गया है. प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ताओं ने कहा कि "हमारे पास नोटिस आ चुका है. हम उसका समय पर जवाब देंगे. हमारी तरफ से तैयारी पूरी है. वादी पक्ष द्वारा जो दस्तावेज कोर्ट में रखे गए थे उसकी कॉपी लेने के बाद हम अपना जवाब दाखिल करेंगे."

मस्जिद हटाने की मांग
श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर 13.37 एकड़ में बना हुआ है, जिसमें श्रीकृष्ण जन्मभूमि लीला मंच, भागवत भवन और डेढ़ एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, रंजना अग्निहोत्री सहित पांच अधिवक्ताओं ने 25 सितंबर को श्री कृष्ण जन्मस्थान के मालिकाना हक को लेकर कोर्ट में याचिका डाली थी, जिसमें श्री कृष्ण सेवा संस्थान और शाही ईदगाह कमेटी सुन्नी वक्फ बोर्ड और श्री कृष्ण जन्मभूमि सेवा ट्रस्ट को प्रतिवादी पक्ष बनाया गया. अधिवक्ताओं ने कोर्ट से मांग की है कि श्री कृष्ण जन्मस्थान से मस्जिद हटाकर वहां मंदिर बनाया जाए. श्री कृष्ण जन्मभूमि मामले को लेकर 18 नवंबर को जिला न्यायालय कोर्ट में सुनवाई होनी है.

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में प्रतिवादी पक्षों का बयान


प्रतिवादी पक्षों का बयान
सुन्नी वक्फ बोर्ड अधिवक्ता शैलेंद्र दुबे ने कहा कि"श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मामले को लेकर न्यायालयने नोटिस जारी किया है. पुराने दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं. हम लोगों की तरफ से तैयारी पूरी है. कमेटी की तरफ से समय पर जवाब दाखिल किया जाएगा.

शाही ईदगाह कमेटी सचिव अधिवक्ता तनवीर अहमद ने कहा कि "जन्मभूमि प्रकरण को लेकर न्यायालय से प्रतिवादी पक्षों को नोटिस जारी कर दिया गया है नोटिस पढ़ने के बाद पुराने जो दस्तावेज हैं उनको अध्ययन किया जा रहा है 18 नवंबर जिला न्यायालय कोर्ट में जन्म भूमि के मामले की सुनवाई होनी है समय पर दस्तावेजों का जवाब दिया जाएगा."

श्रीकृष्ण सेवा संस्थान सदस्य गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने कहा कि "मुस्लिम शासक आए उन्होंने मंदिर तोड़कर उसी स्थान पर मस्जिद बनवाई, शाही ईदगाह मस्जिद में जो पत्थर लगे हुए हैं वही पत्थर श्री कृष्ण जन्मभूमि के हैं. श्री कृष्ण जन्मभूमि पर एक 1 इंच जगह भी भगवान श्री कृष्ण की जगह है. जन्मभूमि मंदिर चार बार तोड़ा गया और चार बार बनवाया गया अब समय आ चुका है. श्री कृष्ण जन्मभूमि परिसर मस्जिद मुक्त बनेगा."

जब मथुरा पहुंचे पंडित थे मदन मोहन मालवीय
ब्रिटिश शासन काल में 1815 में नीलामी के दौरान बनारस के राजा पटनी मल ने इस जगह को खरीदा था. सन् 1940 में पंडित मदन मोहन मालवीय जब मथुरा आए तो श्रीकृष्ण जन्म स्थान की दुर्दशा को देखकर काफी दुखित हुए. मदन मोहन मालवीय जी ने मथुरा के उद्योगपति जुगल किशोर बिरला को जन्मभूमि पुनरुद्वार के लिए पत्र लिखा, 21 फरवरी सन् 1951 में श्रीकृष्ण जन्म भूमि ट्रस्ट की स्थापना की गई. 12 अक्टूबर 1968 को कटरा केशव देव मंदिर की जमीन का समझौता श्रीकृष्ण जन्मस्थान सोसायटी द्वारा किया गया. 20 जुलाई 1973 को इस जमीन बेंच दिया गया. जमीन की बिक्री को रद्द करने की मांग को लेकर अधिवक्ता ने कोर्ट मे याचिका डाली थी.

इस भूमि पर क्या था पहले
श्रीकृष्ण के मामा कंस मथुरा का राजा हुआ करता था. श्री कृष्ण जन्मस्थान का प्राचीन केशव देव मंदिर जो पहले मलपुरा के नाम से जाना जाता था. चार किलोमीटर के क्षेत्र को केशव देव की संपत्ति मानी जाती है. प्राचीन केशव देव मंदिर के पास कंस का कारागार हुआ करता था. 5247 वर्ष पूर्व भगवान श्रीकृष्ण का यहां जन्म हुआ. भगवान श्री कृष्ण के प्रपौत्र ब्रजनाभ ने उसी स्थान पर केशव देव मंदिर की प्रथम स्थापना की. मुगल साम्राज्य के दौरान औरंगजेब ने सन् 1669 में मंदिर को ध्वस्त कर दिया और शाही ईदगाह मस्जिद बनवाई, जो कि वर्तमान में बनी हुई है. कटरा केशव देव को ही श्री कृष्ण जन्म स्थान माना जाता है.

सबसे पहले मंदिर तोड़ा गया था
सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य द्वारा बनवाए गए मंदिरों को मोहम्मद गजनवी ने 1017 ईसवी में आक्रमण करने के बाद मंदिर तोड़े गए थे. विक्रमादित्य ने दोबारा मंदिर का निर्माण कराया संस्कृति और कला के बड़े केंद्र के रूप में स्थापित किया गया मथुरा को हिंदू धर्म के साथ-साथ बौद्ध धर्म और जैन धर्म का भी मथुरा में विकास हुआ. मथुरा में तीसरी बार मंदिर सिकंदर लोदी के शासनकाल में तोड़े गए थे. शासक जहांगीर के शासनकाल में चौथी बार मंदिर का निर्माण कराया गया, लेकिन मुगल शासक औरंगजेब ने 1669 में मथुरा के मंदिरों को तोड़ कर और मस्जिद का निमार्ण करवाया.

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