मथुरा : जन्माष्टमी का पर्व पूरे देश में आज हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. ब्रज में भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन श्रद्धालु दूरदराज से दर्शन करने के लिए श्रीकृष्ण जन्मस्थान पहुंच रहे हैं. चारों ओर एक ही जयकारा लग रहा है, 'नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की, हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की'.
इस बार जन्माष्टमी पर 27 वर्ष पूर्व का संयोग बन रहा है. नक्षत्र और किन राशियों के लिए फलदायक हैं, किस समय पूजा करनी चाहिए. जानिए ज्योतिषाचार्य पंडित अजय तेलंग की राय.
जन्माष्टमी पर बना 27 वर्ष पूर्व का योग
प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित अजय कुमार तेलंग ने बताया जन्माष्टमी पर पंचांग के अनुसार देखा जाए तो 27 वर्ष बाद ऐसा योग बन रहा है जिसमें चंद्र वासने, सोमवार का दिन रोहिणी नक्षत्र भद्रपद, कृष्ण पक्ष की अष्टमी, चंद्रमा उनके सम्मुख है. ऐसा योग 27 वर्ष के बाद बना है. यह बहुत ही प्रबल योग है.
भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी समर्थ और वैष्णव संप्रदाय दोनों मनाते हैं. एक दिन पहले समर्थ संप्रदाय जन्माष्टमी मनाते हैं. उदया तिथि के दिन वैष्णव संप्रदाय के लोग जन्माष्टमी मनाते हैं. इस बार भाद्र पक्ष और कृष्ण पक्ष अष्टमी की बेला सोमवार के दिन ही पड़ रही है. रोहिणी की बेला रात्रि में प्रभु का जन्म हुआ. उस समय का योग बहुत ही सुंदर है. यह अद्भुत योग 27 वर्ष पूर्व मिला था.
किन राशियों को मिलेगा फल
हमारे जो जाति जातक जो राशि का योग बनाते हैं, उनमें मेष, वृष, मिथुन, कर्क, कन्या, सिंह, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन यह 12 राशियां हैं. यह कालचक्र में समावेशित होता है. अब आता है सोमवार का दिन जोकि भगवान शिव का दिन है. चंद्र भगवान श्रीकृष्ण और शिव दोनों ही के मस्तक पर विराजमान है.
चंद्र योग बहुत ही अच्छा माना जाता है क्योंकि भगवान में 16 कलाएं थीं, उन कलाओं के योग के अनुसार रोहिणी रात्रि बेला में ठाकुर जी का प्राकृतिक स्वरूप दिखाई देता है. यह बहुत ही प्रबल है. इसमें जो राशियां हैं, उसमें सबसे बड़ी सिंह राशि का स्वामी सूर्य है. इसके अलावा सूर्य और चंद्रमा जो दो प्रत्यक्ष देवता हैं, उनका भी प्रबल योग हो रहा है.
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सिंह राशि के जातकों को ऐसे योग में मान-सम्मान, प्रतिष्ठा व यश प्राप्ति होती है. वहीं बुधवार को भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था. उस समय करीब 5000 वर्ष पूर्व बुध उच्च राशि में था. अत: इस बार जिसका बुध अच्छा है, उसे अच्छा फल प्राप्त होगा. कन्या राशि के जातकों के लिए यह अच्छा दिन है.
मेष राशि का जिनका स्वामी मंगल है, उनके लिए भी अच्छा दिन है. यश प्राप्ति होगी. नए-नए लोगों से मुलाकात होगी. नया प्रोजेक्ट प्राप्त होगा भगवान का बहुत ही अद्भुत सहयोग प्राप्त होगा.
अब तीन बड़ी राशियों की बात करें जिनमें धनु, मकर और कुंभ शामिल हैं. इन तीन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है. इस दौरान ऐसी कौन सी सावधानी बरती जाए कि लाभ मिले. ऐसे राशि वाले जातक भीड़भाड़ से बचें.
कोई दुर्घटना होने की संभावना बढ़ जाती है. भीड़-भाड़ वाले इलाके में न जाएं कोई नुकसान हो सकता है. शनि की क्रूर दृष्टि बनी हुई है. ऐसे में सावधानी बरतने की जरूरत है.
जो धनु राशि के जातक हैं उनका स्वामी बृहस्पति है. उनका चंद्रमा यदि मजबूत नहीं है तो उन्हें जन्माष्टमी अपने घर परिवार के साथ मनानी चाहिए. हल्की भीड़भाड़ वाली जगहों पर जा सकते हैं. भगवान श्रीकृष्ण का अनुसरण करें. ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करें.
जन्माष्टमी पर पूजा का शुभ समय
पंडित अजय कुमार तैलंग ने बताया जन्माष्टमी के दिन अभिषेक करते समय दूध, दही, घी और जल से अभिषेक किया जाए. तीसरे पहर रात्रि 11:45 समस्त देवालय भगवान श्रीकृष्ण के जन्म उत्सव मनाया जाएगा. उस समय हरि गुण जागरण करें. पंचामृत का भोग लगाएं और प्रसाद ग्रहण करें
वैसे तो ठाकुर जी की पूजा सुबह से ही प्रारंभ हो जाती है जैसे ब्रज के प्रमुख मंदिर द्वारकाधीश महाराज श्रीकृष्ण जन्मभूमि बांके बिहारी मंदिर और राधा रमन मंदिर में सुबह से ठाकुर जी की पूजा प्रारंभ होती है. दूध, दही, घी शक्कर गुड़ पूरे विग्रह में अभिषेक किया जाता है. रात्रि 11:45 पर छोटे से रूप में विराजमान ठाकुरजी का अभिषेक करने के बाद पंचायत का भोग लगाया जाता है.