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मॉब लिंचिंग से बचने के लिए दिए जाएं लाइसेंसी हथियार : जफरयाब जिलानी

देश में मॉब लिंचिंग का मुद्दा काफी सुर्खियों में रहा है. देश के अलग-अलग हिस्सों में भीड़ के हमलों की घटनाओं पर सड़क से संसद तक बवाल देखने को मिला. हाल ही में वरिष्ठ वकील जफरयाब जिलानी ने मॉब लिंचिंग से बचने के लिए लाइसेंसी हथियार दिए जाने की पैरवी की है. ईटीवी भारत से उन्होंने इस मुद्दे पर खास बातचीत की.

जफरयाब जिलानी ने ईटीवी भारत से की खास बातचीत.
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Published : Jul 16, 2019, 7:10 PM IST

Updated : Jul 16, 2019, 9:15 PM IST

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट जफरयाब जिलानी ने मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए लाइसेंसी हथियार देने की पैरवी की है. ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने यह बात कही. उन्होंने कहा कि आत्मरक्षा के लिए हथियार का इस्तेमाल करना कानूनन जायज है. हालांकि उन्होंने इस व्यवस्था के व्यवहारिक रूप से लागू होने में तमाम अड़चनें गिनाईं, लेकिन इसे मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने में कारगर तरीका बताया.

जफरयाब जिलानी ने ईटीवी भारत से की खास बातचीत.

क्या बोले जफरयाब जिलानी

एडवोकेट जिलानी का कहना है कि देश में होने वाली मॉब लिंचिंग की घटनाएं ज़्यादातर किसानों, गाय पालने वालों या फिर मुस्लिम तबक़े के गरीब लोगों के साथ हो रही हैं. ऐसे में उनके पास इतना पैसा कहां से आएगा कि वह लाइसेंसी हथियार खरीद सकें. इसके अलावा हर वक्त हथियार रखना मुमकिन भी नहीं होगा. जिलानी का मानना है कि इससे मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने में जरूर मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि अपनी जान बचाने के डिफेंस में किसी हमलावर को मारने की इजाज़त है. इंडियन पैनल कोड और हिंदुस्तान के संविधान के आर्टिकल 21 इसका प्रमाण है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमें यह सोचना होगा कि जो लोग हथियार रखने की हैसियत नहीं रखते हैं, उनको इन हमलों से कैसे बचाया जा सके.

बता दें कि बीते दिनों सीनियर एडवोकेट महमूद प्राचा ने देश में बढ़ती मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए अल्पसंख्यकों को हथियार रखने की बात कही थी. इसके लिए 26 जुलाई से लखनऊ में शिविर भी लगाया जाएगा. शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद की सरपरस्ती में इन शिविरों का आयोजन होना है.

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट जफरयाब जिलानी ने मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए लाइसेंसी हथियार देने की पैरवी की है. ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने यह बात कही. उन्होंने कहा कि आत्मरक्षा के लिए हथियार का इस्तेमाल करना कानूनन जायज है. हालांकि उन्होंने इस व्यवस्था के व्यवहारिक रूप से लागू होने में तमाम अड़चनें गिनाईं, लेकिन इसे मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने में कारगर तरीका बताया.

जफरयाब जिलानी ने ईटीवी भारत से की खास बातचीत.

क्या बोले जफरयाब जिलानी

एडवोकेट जिलानी का कहना है कि देश में होने वाली मॉब लिंचिंग की घटनाएं ज़्यादातर किसानों, गाय पालने वालों या फिर मुस्लिम तबक़े के गरीब लोगों के साथ हो रही हैं. ऐसे में उनके पास इतना पैसा कहां से आएगा कि वह लाइसेंसी हथियार खरीद सकें. इसके अलावा हर वक्त हथियार रखना मुमकिन भी नहीं होगा. जिलानी का मानना है कि इससे मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने में जरूर मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि अपनी जान बचाने के डिफेंस में किसी हमलावर को मारने की इजाज़त है. इंडियन पैनल कोड और हिंदुस्तान के संविधान के आर्टिकल 21 इसका प्रमाण है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमें यह सोचना होगा कि जो लोग हथियार रखने की हैसियत नहीं रखते हैं, उनको इन हमलों से कैसे बचाया जा सके.

बता दें कि बीते दिनों सीनियर एडवोकेट महमूद प्राचा ने देश में बढ़ती मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए अल्पसंख्यकों को हथियार रखने की बात कही थी. इसके लिए 26 जुलाई से लखनऊ में शिविर भी लगाया जाएगा. शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद की सरपरस्ती में इन शिविरों का आयोजन होना है.

Intro:नोट- फीड एफटीपी से भेजी गई है।

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कुछ रोज़ पहले सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील महमूद प्राचा का एक बयान सामने आया था जिसमे देश मे बढ़ती मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर प्राचा ने देश के दलित और मुसलमानों को असलहे का लाइसेंस मुहैय्या कराने की बात कही थी जिसके बाद से ही इस बयान पर सियासत तेज़ होती हुई दिखाई दे रही है हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट के सीनियर वकील जफरयाब जिलानी इसको कही से भी गलत नही ठहरा रहे लेकिन इस मुद्दे पर सवाल खड़ा करते हुए ज़रूर दिखाई दे रहे है।


Body:जिलानी का कहना है कि देश में होने वाली मॉब लिंचिंग की घटनाएं ज़्यादा तर किसानों, गाय पालने वालों या फिर मुस्लिम तबक़े के गरीब लोगों के साथ हो रही है ऐसे में उनके पास कहा से इतना पैसा आएगा कि वह लाइसेंसी हत्यार खरीद कर चल सके। जिलानी का मानना है कि इससे कुछ असर ज़रूर पड़ सकता है लेकिन मॉब लिंचिंग की वारदातों पर लगाम लगाने के लिए कारगर हल नही है। सीनियर एडवोकेट जफरयाब जिलानी ने कहा कि अपनी जान बचाने के डिफेंस में किसी हमलावर को मारने की इजाज़त है इंडियन पीनल कोड और हिंदुस्तान के संविधान के आर्टिकल 21 इसका प्रमाण है इसी के साथ सवाल खड़ा करते हुए जिलानी ने कहा कि हम सबको यह सोचना होगा कि जो लोग हतियार रखने की हैसियत नही रखते है उनको इन हमलों से कैसे बचाया जा सके।


Conclusion:ग़ौरतलब है कि बीते दिनों सीनियर एडवोकेट महमूद प्रचा द्वारा देश में बढ़ती भीड़तंत्र द्वारा हत्याओं से चिंतित होकर दलित और मुस्लिम समाज की रक्षा के लिए हत्यार रखने और उसके लिए लाइसेंस प्राप्त करने के तरीकों से अवगत कराने के मकसद से प्राचा ने बयान दिया और इसकी शुरुआत लखनऊ से 26 जुलाई को शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद की सरपरस्ती में होने की बात कही गई है।
Last Updated : Jul 16, 2019, 9:15 PM IST
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