लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट जफरयाब जिलानी ने मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए लाइसेंसी हथियार देने की पैरवी की है. ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने यह बात कही. उन्होंने कहा कि आत्मरक्षा के लिए हथियार का इस्तेमाल करना कानूनन जायज है. हालांकि उन्होंने इस व्यवस्था के व्यवहारिक रूप से लागू होने में तमाम अड़चनें गिनाईं, लेकिन इसे मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने में कारगर तरीका बताया.
क्या बोले जफरयाब जिलानी
एडवोकेट जिलानी का कहना है कि देश में होने वाली मॉब लिंचिंग की घटनाएं ज़्यादातर किसानों, गाय पालने वालों या फिर मुस्लिम तबक़े के गरीब लोगों के साथ हो रही हैं. ऐसे में उनके पास इतना पैसा कहां से आएगा कि वह लाइसेंसी हथियार खरीद सकें. इसके अलावा हर वक्त हथियार रखना मुमकिन भी नहीं होगा. जिलानी का मानना है कि इससे मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने में जरूर मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि अपनी जान बचाने के डिफेंस में किसी हमलावर को मारने की इजाज़त है. इंडियन पैनल कोड और हिंदुस्तान के संविधान के आर्टिकल 21 इसका प्रमाण है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमें यह सोचना होगा कि जो लोग हथियार रखने की हैसियत नहीं रखते हैं, उनको इन हमलों से कैसे बचाया जा सके.
बता दें कि बीते दिनों सीनियर एडवोकेट महमूद प्राचा ने देश में बढ़ती मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए अल्पसंख्यकों को हथियार रखने की बात कही थी. इसके लिए 26 जुलाई से लखनऊ में शिविर भी लगाया जाएगा. शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद की सरपरस्ती में इन शिविरों का आयोजन होना है.