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धार्मिक ग्रंथ पर हस्तक्षेप नहीं करता है सुप्रीम कोर्ट : जफरयाब जिलानी - उच्चतम न्यायालय

शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन सैयद वसीम रिजवी द्वारा उच्चतम न्यायालय में दी गई याचिका चर्चा में है. इसमें कुरान से 26 आयतें हटाने का निवेदन किया गया है. वसीम रिजवी की याचिका पर जफरयाब जिलानी ने कहा कि "सुप्रीम कोर्ट किसी धर्म की बुनियादी किताब पर दखलंदाजी नहीं करता है.

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जफरयाब जिलानी ने वसीम रिजवी की याचिका पर दी प्रतिक्रिया
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Published : Mar 24, 2021, 8:29 PM IST

लखनऊ: देश में इन दिनों सुप्रीम कोर्ट में दायर कुरान को लेकर याचिका विवादों में है. शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी द्वारा दायर याचिका का देश के अलग अलग हिस्सों में लगातार विरोध हो रहा है. वसीम रिजवी ने कुरान की 26 आयतों को हटाने की मांग को लेकर यह याचिका दायर की है, जिस पर देशभर में बहस छिड़ी हुई है. इस मामले पर ईटीवी भारत से खास बात करते हुए सीनियर एडवोकेट जफरयाब जिलानी ने कहा कि "सुप्रीम कोर्ट किसी धर्म की बुनियादी किताब पर हस्तक्षेप नहीं करता है, लिहाजा इसी पहलू पर यह याचिका का रद्द होना ही ठीक है"

जफरयाब जिलानी ने वसीम रिजवी की याचिका पर दी प्रतिक्रिया
वसीम रिजवी की याचिका पर मचे बवाल के बीच जफरयाब जिलानी ने कहा कि "सुप्रीम कोर्ट का एक लंबे समय से यह नजरिया रहा है कि वह किसी धर्म की बुनियादी किताब पर दखलंदाजी नहीं करें. इसी बुनियाद पर यह कहा जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट वसीम रिजवी की इस प्रार्थना को भी अपने अधिकार में नहीं पाएगा।. क्योंकि अगर यह सुप्रीम कोर्ट यह सब देखने लगा तो तमाम धर्मो की किताब को लेकर आपत्तियां आने लगेगी." उन्होंने कहा कि "मनुस्मृति को लेकर भी बहुत लोग आपत्ति उठाते हैं."पूर्व में भी सुप्रीम कोर्ट ने कुरान में नही दी थी दखलसीनियर एडवोकेट जफरयाब जिलानी ने कहा कि "इतिहास में सुप्रीम कोर्ट का यही रुख रहा है. कलकत्ता हाईकोर्ट में कुरान की कुछ आयतों को लेकर धार्मिक भावना आहत होने की बात को लेकर याचिका दायर हुई थी, जिसको कोर्ट ने खारिज कर दिया था और फिर सुप्रीम कोर्ट ने भी उसमें दखल नहीं दी थी. ऐसे में यही लगता है कि वसीम रिजवी की याचिका भी खारिज होगी, हालांकि सुप्रीम कोर्ट के सामने पहले यह मामला आएगा उसके बाद ही वह कोई फैसला लेगा."

लखनऊ: देश में इन दिनों सुप्रीम कोर्ट में दायर कुरान को लेकर याचिका विवादों में है. शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी द्वारा दायर याचिका का देश के अलग अलग हिस्सों में लगातार विरोध हो रहा है. वसीम रिजवी ने कुरान की 26 आयतों को हटाने की मांग को लेकर यह याचिका दायर की है, जिस पर देशभर में बहस छिड़ी हुई है. इस मामले पर ईटीवी भारत से खास बात करते हुए सीनियर एडवोकेट जफरयाब जिलानी ने कहा कि "सुप्रीम कोर्ट किसी धर्म की बुनियादी किताब पर हस्तक्षेप नहीं करता है, लिहाजा इसी पहलू पर यह याचिका का रद्द होना ही ठीक है"

जफरयाब जिलानी ने वसीम रिजवी की याचिका पर दी प्रतिक्रिया
वसीम रिजवी की याचिका पर मचे बवाल के बीच जफरयाब जिलानी ने कहा कि "सुप्रीम कोर्ट का एक लंबे समय से यह नजरिया रहा है कि वह किसी धर्म की बुनियादी किताब पर दखलंदाजी नहीं करें. इसी बुनियाद पर यह कहा जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट वसीम रिजवी की इस प्रार्थना को भी अपने अधिकार में नहीं पाएगा।. क्योंकि अगर यह सुप्रीम कोर्ट यह सब देखने लगा तो तमाम धर्मो की किताब को लेकर आपत्तियां आने लगेगी." उन्होंने कहा कि "मनुस्मृति को लेकर भी बहुत लोग आपत्ति उठाते हैं."पूर्व में भी सुप्रीम कोर्ट ने कुरान में नही दी थी दखलसीनियर एडवोकेट जफरयाब जिलानी ने कहा कि "इतिहास में सुप्रीम कोर्ट का यही रुख रहा है. कलकत्ता हाईकोर्ट में कुरान की कुछ आयतों को लेकर धार्मिक भावना आहत होने की बात को लेकर याचिका दायर हुई थी, जिसको कोर्ट ने खारिज कर दिया था और फिर सुप्रीम कोर्ट ने भी उसमें दखल नहीं दी थी. ऐसे में यही लगता है कि वसीम रिजवी की याचिका भी खारिज होगी, हालांकि सुप्रीम कोर्ट के सामने पहले यह मामला आएगा उसके बाद ही वह कोई फैसला लेगा."
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