लखनऊ : शारीरिक कुरूपता विकार (Body Dysmorphic Disorder) एक मानसिक बीमारी है. जिसमें रोगी अपना रूप-रंग खराब होने के वहम या बहुत मामूली खराबी पर जुनूनी तरीके से ध्यान देने लगते हैं. हालांकि खुद में मामूली कमी या कमी होने का सिर्फ भ्रम हो सकता है, लेकिन व्यक्ति उसे ठीक करने की कोशिश में दिन में कई घंटे बिता सकते हैं. लोग सुंदरता बढ़ाने वाली कई तरह की कॉस्मेटिक समान आजमाते हैं या बहुत ज्यादा व्यायाम कर सकते हैं. युवा वर्ग के लोग फिर चाहे वह लड़की हो या लड़का हर कोई बॉडी शेमिंग का शिकार हो रहा है और बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर से पीड़ित हो रहे हैं.
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सिविल अस्पताल की मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. दीप्ति सिंह के मुताबिक आज के समय में बहुत सारी चीज बदल चुकी हैं. लोग सोशल मीडिया की चीजों को बहुत ही गंभीरता से ले रहे हैं. सोशल मीडिया पर लोग जिस तरह से दिख रहे उसकी कॉपी करने की होड़ मची हुई है. हर कोई खूबसूरत और आकर्षक देखना चाहता है खासकर युवा लड़कियां. सोशल मीडिया लोगों को बहुत सारे आयाम तो दे ही रहा है, लेकिन टेंशन भी बहुत दे रहा है. बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिनके अंदर कोई कमी है या फिर वह कमी है ही नहीं के बावजूद उस पर फोकस करता है और अपना काफी समय इसी बात पर बिता देता है. ओपीडी में इस तरह के चार से पांच केस रोज आते हैं. बहुत सारे मामलों में मरीज की काउंसिलिंग करनी पड़ती है.
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डॉ. दीप्ति सिंह ने बताया कि कुछ लोग काले रंग से अधिक परेशान होते हैं तो कुछ लोग गोरे रंग से अधिक परेशान होते हैं. कोई पतले होने से परेशान है तो कोई अधिक वजन की वजह से परेशान है. इस तरह के बहुत सारे केस हैं, जिनकी अलग-अलग समस्याएं हैं. कोई अपनी नाक टेढ़ी होने की बात करता है तो कोई बाल झड़ने की समस्या को लेकर परेशान है. इस तरह के मरीज किसी एक समस्या को लेकर अपना घंटों समय बर्बाद करते हैं जबकि यह ऐसी कोई बड़ी समस्या नहीं होती हैं. खास कर उन लोगों को अधिक समस्या होती है जो ग्लैमर की दुनिया में जाना चाहते हैं. बहुत सी ऐसी लड़कियां है जो मॉडलिंग या एक्टिंग की दुनिया में जाना चाहती है, लेकिन अपने सांवले रंग से परेशान हैं या फिर अपनी नापसंद नाक से परेशान हैं. और उन मरीजों को ऐसा लगता है कि शायद उनमें यह कमी है इस वजह से वह अपने कॅरियर में आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं. जबकि कोई ऐसी बड़ी समस्या नहीं होती है.
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