लखनऊ: सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव 2022 के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने का सपना देख रहे हैं, लेकिन यह सपना कैसे पूरा होगा, जब वह अपने की कार्यकर्ताओं के लिए सुलभ नहीं हैं. हालात यह है कि अखिलेश से मिलने दूसरे जिलों से लखनऊ पहुंच रहे पार्टी कार्यकर्ता मायूस लौट रहे हैं. यही नहीं अपने ही अध्यक्ष से मिलने के लिए पार्टी पदाधिकारियों को घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ता है. बावजूद इसके उनकी मुलाकात अखिलेश यादव से नहीं हो पा रही है.
अखिलेश का यह कैसा समाजवाद ?
समाजवादी पार्टी के प्रदेश मुख्यालय पर प्रदेश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में समाजवादी पार्टी के पदाधिकारी व कार्यकर्ता समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलने आ रहे हैं. इन पदाधिकारियों कार्यकर्ताओं को अपने नेता से मिलने के लिए घंटों लाइन भी लगानी पड़ रही है. बावजूद इसके कई नेताओं की अखिलेश से मुलाकात भी नहीं हो पा रही है. हालांकि इस बारे में समाजवादी पार्टी के पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं ने ईटीवी भारत से बोलने से इनकार कर दिया. लेकिन जिस तरह से दूसरे जनपदों से आने वाले यह नेता लाइन में लगे रहे इससे इनके दर्द को समझा जा सकता है.
फॉर्च्यूनर वाले नेता दिखा रहे हैं सपना
इस बारे में राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर रवि कांत का कहना है कि समाजवादी पार्टी को फॉर्च्यूनर वाले नेता 351 सीटों का सपना दिखा रहे हैं. आज सड़क पर फॉर्चूनर वाले नेता संघर्ष करते कहीं नहीं दिखते और ना ही अखिलेश यादव दिखते हैं. चुनाव अंकगणित से नहीं केमिस्ट्री से जीते जाते हैं और प्रदेश की जनता की नाराजगी को भी अखिलेश यादव नहीं भुना पा रहे हैं.
शिक्षक कोटे एमएलसी के चुनाव में मिली हार
2022 में प्रदेश में सरकार बनाने का सपना देख रहे अखिलेश यादव को विगत माह हुए 7 विधानसभा उपचुनाव में भी 7 सीटों में एकमात्र सीट ही हासिल हुई थी. जबकि शिक्षक कोटे के तहत 6 सीटों के चुनाव परिणाम में अभी तक समाजवादी पार्टी को एक ही सीट मिली है. विधानसभा के 7 सीटों में हुए उपचुनाव पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने किसी भी प्रत्याशी का प्रचार तक भी नहीं किया.