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महिलाओं ने तैयार की 120 मीटर की पट्टी, फुटप्रिंट्स से कुचले गए CAA, NRC और NPR

राजधानी लखनऊ के हुसैनाबाद के घंटाघर पर सीएए को लेकर महिलाओं का प्रदर्शन जारी है. गुरुवार को प्रदर्शनकारियों ने एक पट्टी पर चलकर अपने फुटप्रिंट्स बनाकर अपना विरोध दर्ज कराया.

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फुटप्रिंट्स से कुचले गए सीएए और एनपीआर.
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Published : Jan 24, 2020, 8:48 AM IST

लखनऊ: हुसैनाबाद के घंटाघर पर लगातार 7 दिन से महिलाओं ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. यहां पर लगातार दिन प्रतिदिन महिलाओं की संख्या बढ़ती जा रही है. यहां आने वाली महिलाएं नारेबाजी के साथ अगल-अलग ढंग से सीएए और एनआरसी के खिलाफ अपना विरोध जता रही हैं. गुरुवार को प्रदर्शनकारी ने एक पट्टी पर चलकर अपने फुटप्रिंट्स बनाए.

घंटाघर पर प्रदर्शन के दौरान लगातार नई एक्टिविटीज और क्रियाकलाप होते रहते हैं. सातवें दिन यहां पर महिलाओं और कुछ कॉलेज जाने वाली छात्राओं ने मिलकर 120 मीटर की एक पट्टी तैयार की. मकसद था कि कुछ अलग कर अपने प्रदर्शन को एक बेहतरीन रूप दे सकें और आंदोलन की बात लोगों तक पहुंचा सकें.

फुटप्रिंट्स से कुचले गए सीएए और एनपीआर.

इस पट्टी को तैयार करवाने वाले इंसानी बिरादरी संस्था के आदि योग कहते हैं कि इस पट्टी के दोनों किनारों से महिलाओं ने चलकर अपने फुटप्रिंट्स बनाए हैं. इसके साथ ही बीच में सीएए, एनपीआर और एनआरसी को काटा गया है. यहां अब घंटाघर के किनारों पर लगाया गया है, ताकि लोग इसे देखकर उसके भाव को समझ सकें.

पट्टी बनाने में लगे 3-4 घंटे
इस पट्टी को तैयार करने में मदद करने वाली अरीशा कहती हैं कि इसे बनाने में कुल 3 से 4 घंटे लगे हैं. कई लोगों ने इसमें हमारी मदद की है. इसके रंग को जुटाने से लेकर इसमें फुटप्रिंट्स तक बनाने में कई लोगों का योगदान रहा है.

वहीं आदि योग कहते हैं कि इस पट्टी को बनाने में कुल 6000 रुपये तक का खर्चा आया है. इसको किसी एक ने नहीं बल्कि कई लोगों ने मिलकर लगाया है. इसको बनाने का मकसद यह था कि कुछ प्रभावी और सकारात्मक बनाया जा सके, जिससे अपना विरोध-प्रदर्शन भी लोगों को समझ आ सके और हम बेहतरी की तरफ भी बढ़ें. महिलाओं का प्रदर्शन अपनी जगह चल रहा है. वहीं इस प्रदर्शन को हर तरह से अलग बनाए जाने और नए रंग शामिल किए जाने की जुगत भी वाकई काबिले तारीफ है.

लखनऊ: हुसैनाबाद के घंटाघर पर लगातार 7 दिन से महिलाओं ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. यहां पर लगातार दिन प्रतिदिन महिलाओं की संख्या बढ़ती जा रही है. यहां आने वाली महिलाएं नारेबाजी के साथ अगल-अलग ढंग से सीएए और एनआरसी के खिलाफ अपना विरोध जता रही हैं. गुरुवार को प्रदर्शनकारी ने एक पट्टी पर चलकर अपने फुटप्रिंट्स बनाए.

घंटाघर पर प्रदर्शन के दौरान लगातार नई एक्टिविटीज और क्रियाकलाप होते रहते हैं. सातवें दिन यहां पर महिलाओं और कुछ कॉलेज जाने वाली छात्राओं ने मिलकर 120 मीटर की एक पट्टी तैयार की. मकसद था कि कुछ अलग कर अपने प्रदर्शन को एक बेहतरीन रूप दे सकें और आंदोलन की बात लोगों तक पहुंचा सकें.

फुटप्रिंट्स से कुचले गए सीएए और एनपीआर.

इस पट्टी को तैयार करवाने वाले इंसानी बिरादरी संस्था के आदि योग कहते हैं कि इस पट्टी के दोनों किनारों से महिलाओं ने चलकर अपने फुटप्रिंट्स बनाए हैं. इसके साथ ही बीच में सीएए, एनपीआर और एनआरसी को काटा गया है. यहां अब घंटाघर के किनारों पर लगाया गया है, ताकि लोग इसे देखकर उसके भाव को समझ सकें.

पट्टी बनाने में लगे 3-4 घंटे
इस पट्टी को तैयार करने में मदद करने वाली अरीशा कहती हैं कि इसे बनाने में कुल 3 से 4 घंटे लगे हैं. कई लोगों ने इसमें हमारी मदद की है. इसके रंग को जुटाने से लेकर इसमें फुटप्रिंट्स तक बनाने में कई लोगों का योगदान रहा है.

वहीं आदि योग कहते हैं कि इस पट्टी को बनाने में कुल 6000 रुपये तक का खर्चा आया है. इसको किसी एक ने नहीं बल्कि कई लोगों ने मिलकर लगाया है. इसको बनाने का मकसद यह था कि कुछ प्रभावी और सकारात्मक बनाया जा सके, जिससे अपना विरोध-प्रदर्शन भी लोगों को समझ आ सके और हम बेहतरी की तरफ भी बढ़ें. महिलाओं का प्रदर्शन अपनी जगह चल रहा है. वहीं इस प्रदर्शन को हर तरह से अलग बनाए जाने और नए रंग शामिल किए जाने की जुगत भी वाकई काबिले तारीफ है.

Intro:लखनऊ। हुसैनाबाद के घंटाघर पर लगातार 7 दिन से महिलाओं ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। यहां पर लगातार दिन प्रतिदिन महिलाओं की संख्या बढ़ती जा रही है और वह नारेबाजी और कुछ अन्य तरीकों से सीएए और एनआरसी के खिलाफ अपना विरोध व्यक्त कर रही हैं जहां पर आज सुबह से ही कुछ क्रियाकलाप भी हो रहे थे।


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घंटाघर पर प्रदर्शन के दौरान लगातार नई एक्टिविटीज और क्रियाकलाप होते रहते हैं । सातवें दिन पर यहां पर महिलाओं और कुछ कॉलेज जाने वाली छात्राओं ने मिलकर 120 मीटर की एक पट्टी तैयार की मकसद था कि कुछ अलग कर अपने प्रदर्शन को एक बेहतरीन रूप दे सकें और आंदोलन की बात लोगों तक पहुंचा सके।

इस पट्टी को तैयार करवाने वाले इंसानी बिरादरी संस्था के आदि योग कहते हैं कि इस पट्टी के दोनों किनारों से महिलाओं ने चलकर अपने फुटप्रिंट्स बनाए हैं और बीच में सीएए, एनपीआर और एनआरसी को काटा गया है। जाहिर है एनपीआरसी का विरोध किया जा रहा है और यहां अब घंटा घर के किनारों पर लगाया गया है ताकि लोग इसे देखकर उसके भाव को समझ सके।

इस पट्टी को तैयार करने में मदद करने वाली अरीशा कहती हैं कि इसे बनाने में कुल 3 से 4 घंटे लगे हैं और कई लोगों ने इसमें हमारी मदद की है। इसके रंग को जुटाने से लेकर इसमें फुटप्रिंट्स तक बनाने में कई लोगों का योगदान रहा है। आदि योग कहते हैं कि इस पट्टी को बनाने में कुल ₹6000 तक का खर्चा आया है जिसको किसी एक ने नहीं बल्कि कई लोगों ने मिलकर लगाया है। इसको बनाने का मकसद यह था कि कुछ प्रभावी और सकारात्मक बनाया जा सके जिससे अपना विरोध प्रदर्शन भी लोगों को समझ आ सके और हम बेहतरी की तरफ भी बढ़े।


Conclusion:महिलाओं का प्रदर्शन अपनी जगह चल रहा है और इस प्रदर्शन को हर तरह से अलग बनाए जाने और नए रंग शामिल किए जाने की जुगत भी वाकई काबिले तारीफ है।

पट्टी बनाने वाले लोगों से बातचीत।

रामांशी मिश्रा
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