लखनऊः अक्सर ट्रेन से जब आप सफर करने जाते होंगे तो स्टेशन पर पहुंचते ही संबंधित स्टेशन के नाम वाला एक बोर्ड लगा आपको लगा दिख है. इस बोर्ड का रंग पीला होता है. पीले रंग वाले इस बोर्ड पर काले कलर से स्टेशन का नाम लिखा होता है. यह नाम हिंदी के साथ ही अंग्रेजी और उर्दू में लिखा रहता है. इसी स्टेशन के नाम के नीचे समुद्र तल से ऊंचाई भी अंकित रहती है. क्या आपको यह पता है कि आखिर इस बोर्ड पर समुद्र तल से ऊंचाई अंकित करने की क्या वजह है? आखिर इसकी जरूरत है क्या? तो 'ईटीवी भारत' के माध्यम से आपको यह जानकारी होगी कि ट्रेन के संचालन में समुद्र तल से ऊंचाई कितनी अहम भूमिका निभाती है.
रेलवे प्रशासन की तरफ से देश के सभी रेलवे स्टेशनों पर स्टेशन के नाम वाला बोर्ड लगाया जाता है. इस पर रेलवे स्टेशन का नाम और समुद्र तल से ऊंचाई (Mean Sea Level, MSL) लिखा होता है. अब हम आपको बताते हैं समुद्र तल से ऊंचाई के बारे में कि आखिर ये रेलवे स्टेशन बोर्ड पर क्यों लिखा होता है. भूगोल विषय में अपने पढ़ा होगा कि हमारी पृथ्वी गोल है. इसी वजह से पृथ्वी की सतह पर थोड़ा-थोड़ा कर्व आता है.
दरअसल, पृथ्वी की सतह से नापने के लिए वैज्ञानिकों को एक ऐसे पॉइंट की आवश्यकता थी, जिसमें किसी तरह की कोई असमानता न हो और इस मामले में वैज्ञानिकों को समुद्र से बेहतर कोई विकल्प नहीं मिला. ऐसे में वैज्ञानिकों ने समुद्र को ही सतह की सही माप के लिए चुन लिया. MSL की सहायता से ऊंचाई की गणना करना काफी आसान है. ऐसा इसलिए है क्योंकि समुद्र तल या समुद्र का पानी हर जगह एक समान रहता है. सिविल इंजीनियरिंग में ज्यादातर किसी इमारत की ऊंचाई नापने के लिए MSL का इस्तेमाल किया जाता है.
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ऊंचाई से लगता है कनेक्टिविटी का अनुमान
रेलवे स्टेशन पर लगे बोर्ड पर अंकित समुद्र तल से ऊंचाई से ट्रेन के लोको पायलट और गॉर्ड को भी ट्रेन को नियंत्रित करने में मदद मिलती है. इसकी सहायता से ट्रेन के ऊपर लगे बिजली के तारों को एक सामान ऊंचाई देने में भी मदद मिलती है. ट्रेन के तारों से बिजली के तार हर समय टच होते रहें जिससे कनेक्शन बनाए रखने में सहायता मिलती है. यही वजह है कि रेलवे के इंजीनियर ट्रेन के ऊंचाई पर चढ़ने के मुताबिक ही बिजली की लाइन भी तैयार करते हैं.
आरडीएसओ तय करता है मानक
बता दें कि अनुसंधान अभिकल्प और मानक संगठन यानी आरडीएसओ की तरफ से रेलवे से संबंधित तमाम मानक तय किए जाते हैं. इन्हीं में से एक यह भी मानक है कि संबंधित स्टेशन की समुद्र तल से ऊंचाई कितनी है.
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लोको पायलट को लग जाता है स्लोप का अंदाजा
रेलवे के गार्ड योगेश पाठक बताते हैं कि स्टेशनों पर समुद्र तल से ऊंचाई का बोर्ड इसलिए लगाया जाता है क्योंकि सी बोर्ड की मदद से ड्राइवर्स को यह पता लग सके कि दो स्टेशंस के बीच कोई स्लोप तो नहीं है. यदि स्लोप है तो कितना स्लोप है और उस स्लोप के लिए अपने लोको की कितनी स्पीड रखना आवश्यक है, जिससे गाड़ी आसानी से उस सेक्शन को पार कर सके.
रेल अपनी भाषा में ग्रेडियंट और स्लोप शब्द का इस्तेमाल करते हैं. कभी-कभी गाड़ियां बिना ब्रेक लगाए स्टेबल कर दी जाती हैं तो गाड़ियां अपने आप चलने लगती हैं, ऐसी खबरें हमें कभी-कभी सुनाई देती हैं. ऐसी समस्याओं को दूर करने के लिए सी लेवल को रिप्रेजेंट किया जाता है ताकि पता लगे कि यहां पर कोई ज्यादा स्लोप तो नहीं है.