लखनऊ : इस्लामिक कैलेंडर का तीसरा महीना यानी रबी-उल-अव्वल मुस्लिम समुदाय के लिए विशेष महत्व रखता है. यह महीना इस्लामिक इतिहास से भी बेहद महत्वपूर्ण है. इसी महीने की 12 तारीख को पैगंबर मोहम्मद की दुनिया में आमद हुई थी. इस्लाम धर्म मानने वाला एक बड़ा तबका उनके जन्मदिन पर जलसे व जुलूस निकालकर उन्हें याद करता है. इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया की ओर से इस महीने हर वर्ष एक सप्ताह तक हफ्ता-ए-रहमत यानी 'कंपैशन वीक' मनाया जाता है जिसमें बड़े पैमाने पर मुसलमान गरीबों की मदद कर पैगंबर मोहम्मद के पैगाम को आम करते है.
मस्जिदों में जलसों के आयोजन
शुक्रवार को इस्लामिक महीने रबी-उल-अव्वल का चांद नज़र आने के बाद से पूरे देश में माहे रबी-उल-अव्वल का आगाज़ हो गया है. राजधानी लखनऊ स्थित इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया में मुस्लिम धर्मगुरु और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बुधवार को जलसे को खिताब किया. पैगंबर मोहम्मद साहब की टिचिंग्स के बारे में लोगों को जागरूक किया.
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रबी-उल-अव्वल माह में हफ्ता-ए-रहमत के तौर एक पूरे सप्ताह गरीबों की मदद के लिए इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया की ओर से आयोजन किए जाएंगे. इसकी शुरुआत बुधवार से दारुल यलूम फरंगी महल से की गई. मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया कि इस वर्ष 6 रबी-उल-अव्वल से 12 रबी-उल-अव्वल तक हफ्ता-ए-रहमत मनाया जाएगा. मौलाना ने कहा कि इस हफ्ता-ए-रहमत के तहत बीमारों में दवा और इलाज कराने का भी काम शुरू किया गया है.
मौलाना खालिद रशीद ने कहा कि रबी-उल-अव्वल महीने की 11 और 12 तारीख़ के बीच अल्लाह ने इस दुनिया में तमाम इंसानों की रहनुमाई के लिए पैगंबर-ए-इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम को भेजा. मौलाना ने कहा कि अल्लाह ने तमाम इंसानों के लिए पैग़ंबर-ए-इस्लाम को इस दुनिया में रहमत बनाकर भेजा.
इस मुबारक महीने की 11 तारीख को रात में बड़े पैमाने पर जलसे, मिलाद आयोजित होते है. इसमें मोहम्मद साहब की ज़िंदगी, उनकी शिक्षा को लोगों के बीच आम किया जाता है. इसके बाद 12 तारीख यानी बारह रबी-उल-अव्वल को देश के विभिन्न शहरों में बड़े आयोजन होते हैं