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सपा के साथ ओमप्रकाश राजभर के आने से क्या होंगे सियासी समीकरण? - यूपी समाचार

संकल्प भागीदारी मोर्चे का नेतृत्व कर रहे ओमप्रकाश राजभर और समाजवादी पार्टी के साथ आने से उत्तर प्रदेश में क्या सियासी समीकरण होंगे? जानिए वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रतन मणिलाल से...

ओमप्रकाश राजभर.
ओमप्रकाश राजभर.
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Published : Oct 20, 2021, 8:32 PM IST

लखनऊः समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से बुधवार को सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने मुलाकात कर सियासी गठबंधन पर चर्चा करते हुए रणनीति बनाई. संकल्प भागीदारी मोर्चे का नेतृत्व कर रहे ओमप्रकाश राजभर के समाजवादी पार्टी के साथ आने से उत्तर प्रदेश में क्या सियासी समीकरण होंगे. दोनों के साथ गठबंधन को लेकर समाजवादी पार्टी या सुभासपा को कितना राजनीतिक फायदा होगा. इसको लेकर ETV BHARAT से वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रतन मणिलाल ने बातचीत की.

राजनीतिक विश्लेषक रतन मणिलाल.
राजनीतिक विश्लेषक रतन मणिलाल ने कहा कि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने जिस प्रकार से राजनीतिक दिशाएं निर्धारित की है, उससे लगता है कि इस पार्टी के सामने अपनी पहचान और अपने जनादेश के बारे में संशय है. शुरू में ओमप्रकाश राजभर की पार्टी भारतीय जनता पार्टी के साथ रही और सरकार का हिस्सा रही. इसके बाद लंबे समय से यह धारणा बनी रही कि वह शिवपाल सिंह यादव की पार्टी के साथ रहेंगे और छोटे-छोटे दलों को मिलाकर एक मोर्चा बनाकर चुनाव मैदान में उतरेंगे. वहीं, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के साथ भी साथ आने की कवायद हुई, लेकिन अब अचानक वह समाजवादी पार्टी के साथ आ रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि उनकी स्ट्रेंथ क्या है, उनकी मजबूती क्या है, वह अपने साथ गठबंधन करने वाली पार्टी को क्या दे सकते हैं. बाकी पार्टियां भी कह सकती हैं कि राजभर के आने से उनकी स्ट्रेंथ में कुछ वोट बैंक में बढ़ोतरी होगी. बाकी दलों ने भी अभी मन नहीं बनाया है कि वाकई यह अपने जनसमर्थन के आधार पर किसी को लाभ पहुंचा सकते हैं या नहीं.

इसे भी पढ़ें-UP Assembly Election 2022: समाजवादी पार्टी और सुभासपा में हुआ गठबंधन!

राजनीतिक विश्लेषक कहता हैं कि ओमप्रकाश राजभर के फैसले से सबसे अधिक नुकसान शिवपाल सिंह यादव की पार्टी को होगा. क्योंकि वह कई छोटी पार्टियों को साथ लेकर मोर्चा बनाकर अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद कर रहे थे. समाजवादी पार्टी अपने आप में प्रदेश व्यापी जन समर्थन पाकर सरकार बना चुकी है तो उन्हें ओमप्रकाश राजभर के साथ आने से बहुत ज्यादा फायदा नहीं होगा. बल्कि यूं कहें उतना ही नुकसान या फायदा होगा जितना भाजपा के साथ लेने से हुआ था.

राजनीतिक विश्लेषक रतन मणिलाल कहते हैं कि 4 से 6 जिलों में राजभर कम्युनिटी का अच्छा प्रभाव और वोट बैंक है और इनका आधार भी है. ऐसे में 20 से 25 सीटों पर इनका साथ समाजवादी पार्टी के लिए लाभदायक हो सकता है. हालांकि यह संख्या बहुत सुनिश्चित तौर पर नहीं कही जा सकती. वैसे, समाजवादी पार्टी अपने आप में हर जगह पहुंचने और जनसमर्थन हासिल करने की मजबूत कोशिश कर रही है. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी अगर सपा के साथ बनी रहती है तो स्वभाविक बात है कि समाजवादी पार्टी को इसका लाभ जरूर मिलेगा.

लखनऊः समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से बुधवार को सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने मुलाकात कर सियासी गठबंधन पर चर्चा करते हुए रणनीति बनाई. संकल्प भागीदारी मोर्चे का नेतृत्व कर रहे ओमप्रकाश राजभर के समाजवादी पार्टी के साथ आने से उत्तर प्रदेश में क्या सियासी समीकरण होंगे. दोनों के साथ गठबंधन को लेकर समाजवादी पार्टी या सुभासपा को कितना राजनीतिक फायदा होगा. इसको लेकर ETV BHARAT से वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रतन मणिलाल ने बातचीत की.

राजनीतिक विश्लेषक रतन मणिलाल.
राजनीतिक विश्लेषक रतन मणिलाल ने कहा कि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने जिस प्रकार से राजनीतिक दिशाएं निर्धारित की है, उससे लगता है कि इस पार्टी के सामने अपनी पहचान और अपने जनादेश के बारे में संशय है. शुरू में ओमप्रकाश राजभर की पार्टी भारतीय जनता पार्टी के साथ रही और सरकार का हिस्सा रही. इसके बाद लंबे समय से यह धारणा बनी रही कि वह शिवपाल सिंह यादव की पार्टी के साथ रहेंगे और छोटे-छोटे दलों को मिलाकर एक मोर्चा बनाकर चुनाव मैदान में उतरेंगे. वहीं, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के साथ भी साथ आने की कवायद हुई, लेकिन अब अचानक वह समाजवादी पार्टी के साथ आ रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि उनकी स्ट्रेंथ क्या है, उनकी मजबूती क्या है, वह अपने साथ गठबंधन करने वाली पार्टी को क्या दे सकते हैं. बाकी पार्टियां भी कह सकती हैं कि राजभर के आने से उनकी स्ट्रेंथ में कुछ वोट बैंक में बढ़ोतरी होगी. बाकी दलों ने भी अभी मन नहीं बनाया है कि वाकई यह अपने जनसमर्थन के आधार पर किसी को लाभ पहुंचा सकते हैं या नहीं.

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राजनीतिक विश्लेषक कहता हैं कि ओमप्रकाश राजभर के फैसले से सबसे अधिक नुकसान शिवपाल सिंह यादव की पार्टी को होगा. क्योंकि वह कई छोटी पार्टियों को साथ लेकर मोर्चा बनाकर अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद कर रहे थे. समाजवादी पार्टी अपने आप में प्रदेश व्यापी जन समर्थन पाकर सरकार बना चुकी है तो उन्हें ओमप्रकाश राजभर के साथ आने से बहुत ज्यादा फायदा नहीं होगा. बल्कि यूं कहें उतना ही नुकसान या फायदा होगा जितना भाजपा के साथ लेने से हुआ था.

राजनीतिक विश्लेषक रतन मणिलाल कहते हैं कि 4 से 6 जिलों में राजभर कम्युनिटी का अच्छा प्रभाव और वोट बैंक है और इनका आधार भी है. ऐसे में 20 से 25 सीटों पर इनका साथ समाजवादी पार्टी के लिए लाभदायक हो सकता है. हालांकि यह संख्या बहुत सुनिश्चित तौर पर नहीं कही जा सकती. वैसे, समाजवादी पार्टी अपने आप में हर जगह पहुंचने और जनसमर्थन हासिल करने की मजबूत कोशिश कर रही है. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी अगर सपा के साथ बनी रहती है तो स्वभाविक बात है कि समाजवादी पार्टी को इसका लाभ जरूर मिलेगा.

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