लखनऊ: उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में कई दिनों से लगातार हो रही बरसात एक बार फिर मुसीबत का सबब बन गई है. पहाड़ों पर हो रही बरसात के कारण मैदानी इलाकों में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंच गया है. लगातार हो रही बारिश के कारण कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी के मैदानी क्षेत्रों में गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है. इस वजह से मैदानी इलाकों में लोगों की समस्याएं बढ़ गई हैं. प्रशासन ने इससे निपटने के लिए व्यवस्थाएं चाक चौबंद की है.
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हरिद्वार का भीमगौड़ा बैराज वो बैराज है जहां टिहरी के बाद गंगा के बहाव को थामा जाता है. मैदानी इलाकों में जाने वाले पानी को यहीं से काबू किया जाता है. यदि यहां पर गंगा का जलस्तर बढ़ता है तो इसका असर मैदानी इलाके पर पड़ता है, जो गंगा के किनारे बसा है.
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यूपी सिंचाई विभाग के एएक्सएन दिनेश कुमार का कहना है कि गंगा का जलस्तर 293.4 मीटर तक पहुंच गया है. इसका चेतावनी लेवल 293 मीटर है और डेंजर लेवल 294 मीटर है. उन्होनें कहा कि हम लगातार पहाड़ों पर हो रही बरसात को देखते हुए मॉनिटरिंग कर रहे हैं. जैसे ही बेराज में पानी भरता है वैसे ही गेट खोल कर पानी निकाल दिया जाता है.
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दिनेश कुमार का कहना है कि लगातार बढ़ रहे गंगा के जलस्तर को देखते हुए सीसीटीवी कैमरों से नजर रखी जा रही है. जलस्तर बढ़ने की पल-पल की जानकारी अधिकारियों को दी जा रही है. उन्होंने बताया कि भारी मात्रा में सिल्ट आने के कारण गंगनहर को भी बंद कर दिया गया है. पहाड़ों पर जिस तरह से लगातार बारिश हो रही है, उसे देखते हुए सिंचाई विभाग चिंतित दिखाई दे रहा है. यही कारण है कि गंगा के बढ़ते जलस्तर पर नजर रखने के लिए कर्मचारियों के साथ-साथ सीसीटीवी कैमरों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है.
ऋषिकेश में कमोबेश यही हालात है. गंगा नदी के बढ़े जलस्तर के कारण आस-पास बसी बस्तियों पर खतरे की आशंका बनी हुई है. हालांकि, किसी भी स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन ने व्यवस्थाएं चाक-चौबंद कर दी हैं. बता दें कि ऋषिकेश में अभी गंगा का जल स्तर 339.40 मीटर है जो कि चेतवानी रेखा से 10 सेंटीमीटर नीचे है. अगर बात की जाए खतरे के निशान की तो ये 340.50 मीटर है.