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IPS अजय पाल शर्मा व हिमांशु के खिलाफ विजिलेंस ने दर्ज कराई FIR

विजिलेंस टीम ने आईपीएम अजय पाल शर्मा और हिमांशु के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. यह एफआईआर मेरठ में दर्ज की गई है. बता दें कि पूर्व एसएसपी वैभव कृष्ण के आरोपों के बाद विजिलेंस टीम मामले की जांच कर रही है.

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Published : Sep 23, 2020, 5:06 AM IST

विजिलेंस ने दर्ज की एफआईआर
विजिलेंस ने दर्ज की एफआईआर

लखनऊ: गौतम बुद्ध नगर के पूर्व एसएसपी वैभव कृष्ण के आरोपों की जांच कर रही विजिलेंस टीम ने आईपीएस अधिकारी अजय पाल शर्मा और हिमांशु के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज कराई है. यह एफआईआर विजिलेंस ने मेरठ में दर्ज कराई है. शासन के निर्देशों के तहत दोनों आईपीएस अधिकारियों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रही विजिलेंस टीम ने प्रथम दृष्ट्या ट्रांसफर पोस्टिंग के मामले में अनियमितताओं को लेकर अजय पाल शर्मा और हिमांशु कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है.

वैभव कृष्ण ने 5 आईपीएस अधिकारियों के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए शासन को एक रिपोर्ट भेजी थी. रिपोर्ट मिलने के बाद शासन के निर्देश पर जांच के लिए कमेटी का गठन किया गया था. एसआईटी ने इस पूरे मामले में जांच की. बाद में इस मामले को विजिलेंस को हैंडओवर कर दिया गया था. विजिलेंस लंबे समय से इस मामले में जांच कर रही थी. वही अब विजिलेंस ने प्रथम दृष्ट्या दोनों आईपीएस अधिकारियों को दोषी मानते हुए मेरठ में एफआईआर दर्ज कराई है.

वैभव कृष्ण के आपत्तिजनक वीडियो के बाद शुरू हुई थी कार्रवाई

गौतम बुद्ध नगर के पूर्व एसएसपी वैभव कृष्ण का एक आपत्तिजनक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. इसके बाद सफाई देते हुए वैभव कृष्ण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया था. इसमें उन्होंने बताया था कि 23 अगस्त 2019 को उनके द्वारा एक जांच रिपोर्ट शासन को भेजी गई है. इसमें 5 आईपीएस अधिकारी अजय पाल शर्मा, सुधीर कुमार सिंह, राजेश नारायण मिश्रा, हिमांशु कुमार और गणेश साहा के खिलाफ सबूत दिए गए हैं. इस रिपोर्ट के बाद ही उनके खिलाफ साजिश करते हुए इस तरह का फर्जी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया गया है.

हालांकि वीडियो की जांच कराने पर विभाग ने इस वीडियो को सही पाया था. इसके बाद वैभव कृष्ण के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें सस्पेंड कर दिया गया. वैभव कृष्ण द्वारा लगाए गए 5 आईपीएस अधिकारी पर आरोपों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था. एसआईटी ने जांच करने के बाद पांचों आईपीएस अधिकारियों पर लगे आरोपों की जांच विजलेंस से कराने की सिफारिश की थी. इसके बाद इस पूरे मामले को विजिलेंस को सौंप दिया गया था. जांच सौंपने के साथ ही योगी आदित्यनाथ की सरकार ने आरोपी पांचों आईपीएस अधिकारियों के ट्रांसफर किए थे.

लखनऊ: गौतम बुद्ध नगर के पूर्व एसएसपी वैभव कृष्ण के आरोपों की जांच कर रही विजिलेंस टीम ने आईपीएस अधिकारी अजय पाल शर्मा और हिमांशु के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज कराई है. यह एफआईआर विजिलेंस ने मेरठ में दर्ज कराई है. शासन के निर्देशों के तहत दोनों आईपीएस अधिकारियों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रही विजिलेंस टीम ने प्रथम दृष्ट्या ट्रांसफर पोस्टिंग के मामले में अनियमितताओं को लेकर अजय पाल शर्मा और हिमांशु कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है.

वैभव कृष्ण ने 5 आईपीएस अधिकारियों के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए शासन को एक रिपोर्ट भेजी थी. रिपोर्ट मिलने के बाद शासन के निर्देश पर जांच के लिए कमेटी का गठन किया गया था. एसआईटी ने इस पूरे मामले में जांच की. बाद में इस मामले को विजिलेंस को हैंडओवर कर दिया गया था. विजिलेंस लंबे समय से इस मामले में जांच कर रही थी. वही अब विजिलेंस ने प्रथम दृष्ट्या दोनों आईपीएस अधिकारियों को दोषी मानते हुए मेरठ में एफआईआर दर्ज कराई है.

वैभव कृष्ण के आपत्तिजनक वीडियो के बाद शुरू हुई थी कार्रवाई

गौतम बुद्ध नगर के पूर्व एसएसपी वैभव कृष्ण का एक आपत्तिजनक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. इसके बाद सफाई देते हुए वैभव कृष्ण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया था. इसमें उन्होंने बताया था कि 23 अगस्त 2019 को उनके द्वारा एक जांच रिपोर्ट शासन को भेजी गई है. इसमें 5 आईपीएस अधिकारी अजय पाल शर्मा, सुधीर कुमार सिंह, राजेश नारायण मिश्रा, हिमांशु कुमार और गणेश साहा के खिलाफ सबूत दिए गए हैं. इस रिपोर्ट के बाद ही उनके खिलाफ साजिश करते हुए इस तरह का फर्जी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया गया है.

हालांकि वीडियो की जांच कराने पर विभाग ने इस वीडियो को सही पाया था. इसके बाद वैभव कृष्ण के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें सस्पेंड कर दिया गया. वैभव कृष्ण द्वारा लगाए गए 5 आईपीएस अधिकारी पर आरोपों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था. एसआईटी ने जांच करने के बाद पांचों आईपीएस अधिकारियों पर लगे आरोपों की जांच विजलेंस से कराने की सिफारिश की थी. इसके बाद इस पूरे मामले को विजिलेंस को सौंप दिया गया था. जांच सौंपने के साथ ही योगी आदित्यनाथ की सरकार ने आरोपी पांचों आईपीएस अधिकारियों के ट्रांसफर किए थे.

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