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लविवि के स्टूडेंट्स ही मेरी पहली प्राथमिकता : कुलपति प्रो.आलोक कुमार राय

लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने अपने एक वर्ष का कार्यकाल पूरा होने पर ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के स्टूडेंट्स ही मेरी पहली प्राथमिकता है. पेश है कुलपति से बातचीत के प्रमुख अंशः

कुलपति प्रो.आलोक कुमार राय.
कुलपति प्रो.आलोक कुमार राय.
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Published : Jan 1, 2021, 3:52 PM IST

लखनऊः लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने अपने एक वर्ष का कार्यकाल पूरा होने पर ईटीवी भारत से खास बातचीत की. कुलपति ने कहा कि ये एक साल शताब्दी वर्ष के लिए विश्वविद्यालय को तैयार करना एक चुनौती थी. विश्वविद्यालय के स्टूडेंट्स ही मेरी पहली प्राथमिकता है. कुलपति ने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत विश्वविद्यालय 60 प्रतिशत से ज्यादा काम कर चुका है.

लविवि के कुलपति प्रो.आलोक कुमार राय से खास बातचीत.

विश्वविद्यालय में सेलेक्शन प्रक्रिया पेपरलेस
प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने कहा कि हाल ही में लविवि में जो भर्ती प्रक्रिया निकाली गई है. उसे पेपरलेस करते हुए पूरी तरह कंप्यूटराइज किया गया है. इस बार सेलेक्शन कमेटी के लिए विभागीय स्तर पर एक तीन सदस्य स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया गया है, इसके बाद डीन के लेवल पर सेलेक्शन की स्क्रीनिंग की जाएगी. इसमें भी तीन मुख्य अधिकारी डीन, आईक्यूएससी मेंबर व रजिस्ट्रार स्क्रीनिंग करेंगे, जिसके बाद सेलेक्शन प्रक्रिया पूरी की जाएगी. इसमें अगर किसी व्यक्ति को कोई शंका होती है तो वह मेल के माध्यम से अपनी आपत्ति दर्ज करा रहा है और उसे रिप्लाई किया जा रहा है. यह पहली बार है कि विश्वविद्यालय में सेलेक्शन प्रक्रिया पेपरलेस हुई है.

कई नई फैकल्टी की होगी स्थापना
कुलपति ने शिक्षा नीति के तहत विश्वविद्यालय 60 प्रतिशत से ज्यादा काम कर चुका है. विश्वविद्यालय में एक नई फैकेल्टी योग एंड अल्टरनेटिव मेडिसिन की स्थापना की जा रही है. इस फैकेल्टी में डिपार्टमेंट ऑफ योग और डिपार्टमेंट ऑफ नेचुरोपैथी जैसे तमाम विभाग खोले जाएंगे. इन डिपार्टमेंट में यूजी, पीजी और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों का संचालन होगा. इसके अलावा डिपार्टमेंट ऑफ मॉलिकुलर एंड ह्यूमन जेनेटिक्स, डिपार्टमेंट ऑफ नैनो साइंस की भी स्थापना की गई है. वहीं डिपार्टमेंट ऑफ डाटा साइंस की भी स्थापना की जाएगी. यह पाठ्यक्रम विज्ञान संकाय के बीएससी के स्टूडेंट्स के लिए होगा. उन्होंने बताया कि संस्कृत विभाग में मौजूद इंस्टिट्यूट ऑफ अभिनव गुप्त योजनाओं की प्राथमिकता पर है,जिसको अभिनव गुप्त लैंग्वेज ऑफ स्कूल खोला जाएगा.

टास्क फोर्स तीन महीने में देगी रिपोर्ट
कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने बताया कि जिन जिलों को विश्वविद्यालय के शैक्षणिक दायरे में जोड़ा गया है. पीएम के निर्देशानुसार वहां के लोकल उत्पादों, लोकल विधाओं और उनसे जुड़े कोर्सेज के लिए टास्क फोर्स का गठन किया गया है. इस टास्क फोर्स के अंतर्गत एक कोर कमेटी होगी और उसके दायरे में पांच सब कमेटियां काम करेंगी, जिसमें हर जिले से 2 लोग शामिल किए जाएंगे. लखनऊ विश्वविद्यालय इन जिलों के उत्पादों पर अपने स्तर पर काम करेगा. वहां के विशेष उत्पादों को लेकर शोध किए जाएंगे ताकि यह उत्पाद आगे बढ़ाए जा सके. कमेटी तीन महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी.

वर्ष 2047 के लिए लक्ष्य निर्धारित करेगी पांच सदस्यीय टीम
कुलपित ने कहा कि पीएम ने कहा था कि लखनऊ विश्वविद्यालय अपने 100 साल पूरे कर चुका है और देश 2047 में अपनी आजादी के 100 वर्ष मनाएगा. इसलिए विश्वविद्यालय 2047 के लिए एक लक्ष्य निर्धारित करें. 2047 में लखनऊ विश्वविद्यालय देश के किन आवश्यकता की पूर्ति के लिए नेतृत्व कर रहा होगा, उसका क्या योगदान होगा, इसके लिए पांच सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन किया गया है.

इन जिलों को विश्वविद्यालय से जोड़ा गया
प्रदेश सरकार ने लखनऊ विश्वविद्यालय के क्षेत्राधिकार में रायबरेली, हरदोई, लखीमपुर खीरी और सीतापुर को जोड़ा है. पहले इन जिलों के डिग्री कॉलेज छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर से संबंद्ध थे. बता दें कि अब तक लखनऊ विश्वविद्यालय का क्षेत्राधिकार सिर्फ लखनऊ जिले तक ही सीमित था.

लखनऊः लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने अपने एक वर्ष का कार्यकाल पूरा होने पर ईटीवी भारत से खास बातचीत की. कुलपति ने कहा कि ये एक साल शताब्दी वर्ष के लिए विश्वविद्यालय को तैयार करना एक चुनौती थी. विश्वविद्यालय के स्टूडेंट्स ही मेरी पहली प्राथमिकता है. कुलपति ने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत विश्वविद्यालय 60 प्रतिशत से ज्यादा काम कर चुका है.

लविवि के कुलपति प्रो.आलोक कुमार राय से खास बातचीत.

विश्वविद्यालय में सेलेक्शन प्रक्रिया पेपरलेस
प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने कहा कि हाल ही में लविवि में जो भर्ती प्रक्रिया निकाली गई है. उसे पेपरलेस करते हुए पूरी तरह कंप्यूटराइज किया गया है. इस बार सेलेक्शन कमेटी के लिए विभागीय स्तर पर एक तीन सदस्य स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया गया है, इसके बाद डीन के लेवल पर सेलेक्शन की स्क्रीनिंग की जाएगी. इसमें भी तीन मुख्य अधिकारी डीन, आईक्यूएससी मेंबर व रजिस्ट्रार स्क्रीनिंग करेंगे, जिसके बाद सेलेक्शन प्रक्रिया पूरी की जाएगी. इसमें अगर किसी व्यक्ति को कोई शंका होती है तो वह मेल के माध्यम से अपनी आपत्ति दर्ज करा रहा है और उसे रिप्लाई किया जा रहा है. यह पहली बार है कि विश्वविद्यालय में सेलेक्शन प्रक्रिया पेपरलेस हुई है.

कई नई फैकल्टी की होगी स्थापना
कुलपति ने शिक्षा नीति के तहत विश्वविद्यालय 60 प्रतिशत से ज्यादा काम कर चुका है. विश्वविद्यालय में एक नई फैकेल्टी योग एंड अल्टरनेटिव मेडिसिन की स्थापना की जा रही है. इस फैकेल्टी में डिपार्टमेंट ऑफ योग और डिपार्टमेंट ऑफ नेचुरोपैथी जैसे तमाम विभाग खोले जाएंगे. इन डिपार्टमेंट में यूजी, पीजी और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों का संचालन होगा. इसके अलावा डिपार्टमेंट ऑफ मॉलिकुलर एंड ह्यूमन जेनेटिक्स, डिपार्टमेंट ऑफ नैनो साइंस की भी स्थापना की गई है. वहीं डिपार्टमेंट ऑफ डाटा साइंस की भी स्थापना की जाएगी. यह पाठ्यक्रम विज्ञान संकाय के बीएससी के स्टूडेंट्स के लिए होगा. उन्होंने बताया कि संस्कृत विभाग में मौजूद इंस्टिट्यूट ऑफ अभिनव गुप्त योजनाओं की प्राथमिकता पर है,जिसको अभिनव गुप्त लैंग्वेज ऑफ स्कूल खोला जाएगा.

टास्क फोर्स तीन महीने में देगी रिपोर्ट
कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने बताया कि जिन जिलों को विश्वविद्यालय के शैक्षणिक दायरे में जोड़ा गया है. पीएम के निर्देशानुसार वहां के लोकल उत्पादों, लोकल विधाओं और उनसे जुड़े कोर्सेज के लिए टास्क फोर्स का गठन किया गया है. इस टास्क फोर्स के अंतर्गत एक कोर कमेटी होगी और उसके दायरे में पांच सब कमेटियां काम करेंगी, जिसमें हर जिले से 2 लोग शामिल किए जाएंगे. लखनऊ विश्वविद्यालय इन जिलों के उत्पादों पर अपने स्तर पर काम करेगा. वहां के विशेष उत्पादों को लेकर शोध किए जाएंगे ताकि यह उत्पाद आगे बढ़ाए जा सके. कमेटी तीन महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी.

वर्ष 2047 के लिए लक्ष्य निर्धारित करेगी पांच सदस्यीय टीम
कुलपित ने कहा कि पीएम ने कहा था कि लखनऊ विश्वविद्यालय अपने 100 साल पूरे कर चुका है और देश 2047 में अपनी आजादी के 100 वर्ष मनाएगा. इसलिए विश्वविद्यालय 2047 के लिए एक लक्ष्य निर्धारित करें. 2047 में लखनऊ विश्वविद्यालय देश के किन आवश्यकता की पूर्ति के लिए नेतृत्व कर रहा होगा, उसका क्या योगदान होगा, इसके लिए पांच सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन किया गया है.

इन जिलों को विश्वविद्यालय से जोड़ा गया
प्रदेश सरकार ने लखनऊ विश्वविद्यालय के क्षेत्राधिकार में रायबरेली, हरदोई, लखीमपुर खीरी और सीतापुर को जोड़ा है. पहले इन जिलों के डिग्री कॉलेज छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर से संबंद्ध थे. बता दें कि अब तक लखनऊ विश्वविद्यालय का क्षेत्राधिकार सिर्फ लखनऊ जिले तक ही सीमित था.

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