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यूपी में अधिकारियों के मोटे कमीशन के चलते महंगी दर पर मिल रहे वेंटिलेटर

उत्तर प्रदेश सरकार कोरोना से निपटने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. लेकिन तमाम तैयारियों पर स्वास्थ्य विभाग के अफसर जमकर बट्टा लगा रहे हैं. इस दौरान अधिकारी अपनी चहेती कंपनियों को टेंडर प्रक्रिया में शामिल कर जमकर कमीशन खोरी का काम कोरोना काल के दौरान कर रहे हैं.

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Published : Jul 23, 2020, 2:10 PM IST

उत्तर प्रदेश मेडिकल कॉरपोरेशन.
उत्तर प्रदेश मेडिकल कॉरपोरेशन.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार कोरोना से निपटने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. लेकिन तमाम तैयारियों पर स्वास्थ्य विभाग के अफसर जमकर बट्टा लगा रहे हैं. इस दौरान अधिकारी अपनी चहेती कंपनियों को टेंडर प्रक्रिया में शामिल कर जमकर कमीशन खोरी का काम कोरोना काल के दौरान कर रहे हैं.

जानकारी देते संवाददाता.

उत्तर प्रदेश मेडिकल कॉरपोरेशन द्वारा अपनी चहेती कंपनी को टेंडर दिलवाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे. इसका जीता जागता उदाहरण मेडिकल कॉरपोरेशन में टेंडर वेंटिलेटर खरीद की प्रक्रिया से साफ हो जाता है. दरअसल, उत्तर प्रदेश में बने सरकारी मेडिकल कॉलेज में कोरोना काल के दौरान वेंटिलेटर लगाए जाने थे. इसको लेकर चिकित्सा शिक्षा विभाग के महानिदेशक कार्यालय की तरफ से मेडिकल कॉरपोरेशन को खरीद के लिए पत्र लिख दिया था. इसके बाद लगभग 4 महीने गुजर जाने के बाद भी मेडिकल कॉरपोरेशन प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाया. इसके पीछे की वजह साफ है कि मेडिकल कॉर्पोरेशन के अधिकारी अपनी कमीशन खोरी की वजह से इस पूरी प्रक्रिया को पूरा नहीं होने दे रहे हैं. और अब 4 महीने पश्चात टेंडर प्रक्रिया पूरी करने के लिए अपनी चाहेती कंपनी का नाम आगे कर दिया, जिससे कि अधिकारियों को उनका मोटा कमीशन मिल सके.

मोटे कमीशन के चलते यूपी को मिल रहे महंगी दर पर वेंटिलेटर
दरअसल, जिस कंपनी के माध्यम से मेडिकल कॉरपोरेशन के अधिकारी वेंटिलेटर खरीदना चाहती हैं. उस कंपनी ने महाराष्ट्र को बीते 6 महीने पहले ही 3 लाख कम के मूल्य पर वेंटिलेटर उपलब्ध कराए थे. लेकिन 6 महीने पश्चात उत्तर प्रदेश आते-आते इस कंपनी के वेंटिलेटर की कीमत में 3 लाख की बढ़ोतरी हो गई. अधिकारियों की चहेती कंपनी ने महाराष्ट्र को 11 लाख 13 हजार 153 रुपये में यही वेंटिलेटर उपलब्ध कराए हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार को मेडिकल कॉरपोरेशन के अधिकारियों की कमीशन खोरी की वजह से महंगी दरों पर उत्तर प्रदेश को मिल रहा है. इसके बाद अब इस वेंटिलेटर की कीमत 13 लाख 92 हजार रुपये हो गई है. इससे स्पष्ट हो जाता है कि अधिकारियों को जनता की चिंता बिल्कुल भी नहीं है. इन्हें सिर्फ अपने मोटे कमीशन से ही मतलब रह गया है.

चिकित्सा शिक्षा विभाग ने मेडिकल कॉर्पोरेशन से नियमों को मानने के लिए दिया निर्देश
चिकित्सा शिक्षा विभाग ने उत्तर प्रदेश के मेडिकल कॉरपोरेशन को टेंडर नियमों का हवाला देते हुए टेंडर प्रक्रिया में हो रही गड़बड़ियों की ओर ध्यान भी दिलाया है. टेंडर प्रक्रिया के खास नियम के तहत सिंगल बेड पर टेंडर प्रक्रिया नहीं की जा सकती. लेकिन उत्तर प्रदेश मेडिकल कॉरपोरेशन के शीर्ष अधिकारी इन सभी नियमों को ताक पर रखकर एक ही कंपनी को करोड़ों का टेंडर देने में लगे हुए हैं. जिसके बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग की तरफ से इन नियमों को याद भी कराया गया. लेकिन अभी तक मेडिकल कॉरपोरेशन अपनी जिद पर अड़ा हुआ है.

कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए आने थे 121 वेंटिलेटर
कोरोना संक्रमित मरीजों को बेहतर इलाज मिल पाए. वह गंभीर मरीजों को किसी भी तरह से कोई समस्या का सामना ना करना पड़े. इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश भर के सभी मेडिकल कॉलेज में 121 वेंटिलेटर खरीद के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग को कहा था. इसके बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग की तरफ से उत्तर प्रदेश मेडिकल कॉरपोरेशन को उसको लेकर के नोटिस दिया था, कि टेंडर प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाए. लेकिन अप्रैल में दिए गए इस नोटिस का संज्ञान कोरोना काल के चार महीने बीत जाने के बाद तक उत्तर प्रदेश मेडिकल कॉरपोरेशन के द्वारा नहीं लिया गया. जाहिर सी बात है कि मेडिकल ऑपरेशन के अधिकारी कमीशन खोरी में जमकर लगे हुए हैं. इसकी वजह से टेंडर प्रक्रिया लगातार टलती जा रही है।

कोरोना के गंभीर मरीजों की संख्या मे भी हुई जबरदस्त बढ़ोतरी
बीते 1 महीने में उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमित गंभीर मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है. मौत का आंकड़ा भी उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों का बढ़ा है. कोरोना संक्रमित आ रहे मरीज अब गंभीर स्थिति में जा रहे हैं. हालात ऐसे हो चले हैं उत्तर प्रदेश सरकार ने अब होम आइसोलेशन करने के आदेश दे दिए हैं. जिससे कि कोरोना के गंभीर मरीजों को अस्पतालों में भर्ती हो पाए. लेकिन इन सबसे इतर मेडिकल कॉर्पोरेशन अपना गैर जिम्मेदाराना व्यवहार अभी भी बनाए हुए हैं. जिसमें वेंटिलेटर की खरीद प्रक्रिया में ही कोरोना काल के 4 महीने निकाल दिए हैं. इससे साफ हो जाता है कि मेडिकल कॉरपोरेशन आम जन मानस की सेहत को लेकर के कितना चिंतित है.


इसे भी पढ़ें- लखनऊ में किन नेताओं से मिला था जय वाजपेयी और क्या थी मंशा

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार कोरोना से निपटने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. लेकिन तमाम तैयारियों पर स्वास्थ्य विभाग के अफसर जमकर बट्टा लगा रहे हैं. इस दौरान अधिकारी अपनी चहेती कंपनियों को टेंडर प्रक्रिया में शामिल कर जमकर कमीशन खोरी का काम कोरोना काल के दौरान कर रहे हैं.

जानकारी देते संवाददाता.

उत्तर प्रदेश मेडिकल कॉरपोरेशन द्वारा अपनी चहेती कंपनी को टेंडर दिलवाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे. इसका जीता जागता उदाहरण मेडिकल कॉरपोरेशन में टेंडर वेंटिलेटर खरीद की प्रक्रिया से साफ हो जाता है. दरअसल, उत्तर प्रदेश में बने सरकारी मेडिकल कॉलेज में कोरोना काल के दौरान वेंटिलेटर लगाए जाने थे. इसको लेकर चिकित्सा शिक्षा विभाग के महानिदेशक कार्यालय की तरफ से मेडिकल कॉरपोरेशन को खरीद के लिए पत्र लिख दिया था. इसके बाद लगभग 4 महीने गुजर जाने के बाद भी मेडिकल कॉरपोरेशन प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाया. इसके पीछे की वजह साफ है कि मेडिकल कॉर्पोरेशन के अधिकारी अपनी कमीशन खोरी की वजह से इस पूरी प्रक्रिया को पूरा नहीं होने दे रहे हैं. और अब 4 महीने पश्चात टेंडर प्रक्रिया पूरी करने के लिए अपनी चाहेती कंपनी का नाम आगे कर दिया, जिससे कि अधिकारियों को उनका मोटा कमीशन मिल सके.

मोटे कमीशन के चलते यूपी को मिल रहे महंगी दर पर वेंटिलेटर
दरअसल, जिस कंपनी के माध्यम से मेडिकल कॉरपोरेशन के अधिकारी वेंटिलेटर खरीदना चाहती हैं. उस कंपनी ने महाराष्ट्र को बीते 6 महीने पहले ही 3 लाख कम के मूल्य पर वेंटिलेटर उपलब्ध कराए थे. लेकिन 6 महीने पश्चात उत्तर प्रदेश आते-आते इस कंपनी के वेंटिलेटर की कीमत में 3 लाख की बढ़ोतरी हो गई. अधिकारियों की चहेती कंपनी ने महाराष्ट्र को 11 लाख 13 हजार 153 रुपये में यही वेंटिलेटर उपलब्ध कराए हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार को मेडिकल कॉरपोरेशन के अधिकारियों की कमीशन खोरी की वजह से महंगी दरों पर उत्तर प्रदेश को मिल रहा है. इसके बाद अब इस वेंटिलेटर की कीमत 13 लाख 92 हजार रुपये हो गई है. इससे स्पष्ट हो जाता है कि अधिकारियों को जनता की चिंता बिल्कुल भी नहीं है. इन्हें सिर्फ अपने मोटे कमीशन से ही मतलब रह गया है.

चिकित्सा शिक्षा विभाग ने मेडिकल कॉर्पोरेशन से नियमों को मानने के लिए दिया निर्देश
चिकित्सा शिक्षा विभाग ने उत्तर प्रदेश के मेडिकल कॉरपोरेशन को टेंडर नियमों का हवाला देते हुए टेंडर प्रक्रिया में हो रही गड़बड़ियों की ओर ध्यान भी दिलाया है. टेंडर प्रक्रिया के खास नियम के तहत सिंगल बेड पर टेंडर प्रक्रिया नहीं की जा सकती. लेकिन उत्तर प्रदेश मेडिकल कॉरपोरेशन के शीर्ष अधिकारी इन सभी नियमों को ताक पर रखकर एक ही कंपनी को करोड़ों का टेंडर देने में लगे हुए हैं. जिसके बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग की तरफ से इन नियमों को याद भी कराया गया. लेकिन अभी तक मेडिकल कॉरपोरेशन अपनी जिद पर अड़ा हुआ है.

कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए आने थे 121 वेंटिलेटर
कोरोना संक्रमित मरीजों को बेहतर इलाज मिल पाए. वह गंभीर मरीजों को किसी भी तरह से कोई समस्या का सामना ना करना पड़े. इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश भर के सभी मेडिकल कॉलेज में 121 वेंटिलेटर खरीद के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग को कहा था. इसके बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग की तरफ से उत्तर प्रदेश मेडिकल कॉरपोरेशन को उसको लेकर के नोटिस दिया था, कि टेंडर प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाए. लेकिन अप्रैल में दिए गए इस नोटिस का संज्ञान कोरोना काल के चार महीने बीत जाने के बाद तक उत्तर प्रदेश मेडिकल कॉरपोरेशन के द्वारा नहीं लिया गया. जाहिर सी बात है कि मेडिकल ऑपरेशन के अधिकारी कमीशन खोरी में जमकर लगे हुए हैं. इसकी वजह से टेंडर प्रक्रिया लगातार टलती जा रही है।

कोरोना के गंभीर मरीजों की संख्या मे भी हुई जबरदस्त बढ़ोतरी
बीते 1 महीने में उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमित गंभीर मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है. मौत का आंकड़ा भी उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों का बढ़ा है. कोरोना संक्रमित आ रहे मरीज अब गंभीर स्थिति में जा रहे हैं. हालात ऐसे हो चले हैं उत्तर प्रदेश सरकार ने अब होम आइसोलेशन करने के आदेश दे दिए हैं. जिससे कि कोरोना के गंभीर मरीजों को अस्पतालों में भर्ती हो पाए. लेकिन इन सबसे इतर मेडिकल कॉर्पोरेशन अपना गैर जिम्मेदाराना व्यवहार अभी भी बनाए हुए हैं. जिसमें वेंटिलेटर की खरीद प्रक्रिया में ही कोरोना काल के 4 महीने निकाल दिए हैं. इससे साफ हो जाता है कि मेडिकल कॉरपोरेशन आम जन मानस की सेहत को लेकर के कितना चिंतित है.


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