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UP Vegetable price : बाजार में आते ही कैसे महंगी हो जाती है सब्जी, जानिए कारण व भाव - wholesale markets of Lucknow

लगातार आम आदमी का बजट बिगड़ता जा रहा है. चाहे सब्जी हो या फिर अनाज, खेत से किचन तक पहुंचने की प्रक्रिया में इनके दाम जमीन से आसमान (UP Vegetable price) तक पहुंच जाते हैं. आइये जानते हैं कि इन सब के पीछे का क्या कारण है...

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Published : Feb 14, 2023, 7:43 AM IST

लखनऊ : महंगी सब्जियों से लगातार आम आदमी का बजट बिगड़ता जा रहा है. खेत से लेकर मंडी, मंडी से लेकर थोक व्यापारी और थोक व्यापारी से रेहड़ी पटरी तक पहुंचने में सब्जियों और अनाज के दाम कई गुना बढ़ जाते हैं. किसान खेत से अपनी सब्जियों को मंडी तक लेकर आता है, लेकिन इस प्रक्रिया में वह खेत में लगी लागत मंडी तक लाने का ट्रांसपोर्टेशन चार्ज जोड़कर उसे मंडी में लाकर आढ़ती तक पहुंचाता है. आइये जानते हैं 14 फरवरी मंगलवार को क्या हैं सब्जियों के दाम.



उत्तर प्रदेश की अगर बात करें तो यहां पर मंडी समितियों में किसान के सामान पर 2.5 प्रतिशत लिया जाता था और आढ़ती भी अपना 2.5 परसेंट लेता है यानी सामान का कुल दाम का 5 प्रतिशत दाम अपने आप बढ़ जाता है. किसानों को सहूलियत देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने मंडी समिति के 2.5 प्रतिशत को कम करके 1.5 प्रतिशत कर दिया है, यानी कि किसानों को अब कुल दाम का 5 प्रतिशत की जगह 4 प्रतिशत ही देना होता है. इसके बावजूद खेत से निकलने वाला सामान जब आम जनता के किचन तक पहुंचता है तो उसका दाम आसमान तक पहुंच जाता है. मंडी समितियों में किसान के अनाज को बड़े और थोक विक्रेता व्यापारियों को बेचा जाता है और उनके साथ-साथ फुटकर व्यापारी भी सामान लेकर जाते हैं जो अपने ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा और साथ-साथ सामान को बेचने की पैकेजिंग के साथ सामान का दाम वसूल करते हैं.

ये भी हैं मुख्य कारण : खेत से लेकर किचन तक इन लंबी कड़ियों के चलते जिन सामान के दाम उदाहरण के तौर पर 10 रुपए हैं वह बढ़ते-बढ़ते 25 से 30 रुपए पहुंच जाते हैं. साथ ही कई बार खराब, मौसम ट्रांसपोर्टर्स की हड़ताल और पेट्रोल-डीजल के बढ़े दाम यह सभी बड़े कारण बन जाते हैं. जिनके चलते सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी देखने को मिलती है. इस दौरान भी कई ऐसी सब्जियां हैं जो खेत में पड़े-पड़े ही सड़ जाती हैं और वह मंडी तक नहीं पहुंच पाती हैं. जिसकी वजह से कई सब्जियों के दाम आसमान पर पहुंच जाते हैं. अंत में बात करें तो आम जनता को ही परेशानी झेलनी पड़ती है. खेत से किचन तक का सफर काफी महंगा होता जा रहा है और आम आदमी का बजट लगातार बिगड़ रहा है.

ऐसे बढ़ जाते हैं दाम : मंडी के आढ़ती लाला यादव ने बताया कि 'किसान जब अपने सामान को लेकर मंडी पहुंचता है तो वह उसमें खेत में लगने वाले दाम, लेबर का पैसा और मंडी तक लाने का शुल्क सभी जोड़कर यहां पहुंचाता है. यहां पर किसानों से आढ़ती ढाई परसेंट लेते हैं और मंडी समिति डेढ़ परसेंट लेती है जिसके बाद सामान के दाम बढ़ने लगते हैं.


सब्जियों के भाव प्रति किलो (मंडी भाव)

टमाटर- 5 रुपये

मटर- 12 रुपये

नीम्बू- 55 रुपये

बैंगन- 15 रुपये

गाजर- 10 रुपये

सेम- 40 रुपये

शिमला मिर्च- 20 रुपये

धनिया- 20 रुपये

बंद गोभी 8 रुपये

भिडी- 70 रुपये

अदरक-40 रुपये

लौकी- 25 रुपये

प्याज-15 रुपये

खीरा- 18 रुपये

कद्दु- 15 रुपये

फूल गोभी-10 रुपये

आलू नया- 8 रुपये

आलू पुराना-10 रुपये

पालक-20 रुपये

करेला-30 रुपये

तोरई- 50 रुपये

लहसुन- 50 रुपये

परवल-180 रुपये

लखनऊ : महंगी सब्जियों से लगातार आम आदमी का बजट बिगड़ता जा रहा है. खेत से लेकर मंडी, मंडी से लेकर थोक व्यापारी और थोक व्यापारी से रेहड़ी पटरी तक पहुंचने में सब्जियों और अनाज के दाम कई गुना बढ़ जाते हैं. किसान खेत से अपनी सब्जियों को मंडी तक लेकर आता है, लेकिन इस प्रक्रिया में वह खेत में लगी लागत मंडी तक लाने का ट्रांसपोर्टेशन चार्ज जोड़कर उसे मंडी में लाकर आढ़ती तक पहुंचाता है. आइये जानते हैं 14 फरवरी मंगलवार को क्या हैं सब्जियों के दाम.



उत्तर प्रदेश की अगर बात करें तो यहां पर मंडी समितियों में किसान के सामान पर 2.5 प्रतिशत लिया जाता था और आढ़ती भी अपना 2.5 परसेंट लेता है यानी सामान का कुल दाम का 5 प्रतिशत दाम अपने आप बढ़ जाता है. किसानों को सहूलियत देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने मंडी समिति के 2.5 प्रतिशत को कम करके 1.5 प्रतिशत कर दिया है, यानी कि किसानों को अब कुल दाम का 5 प्रतिशत की जगह 4 प्रतिशत ही देना होता है. इसके बावजूद खेत से निकलने वाला सामान जब आम जनता के किचन तक पहुंचता है तो उसका दाम आसमान तक पहुंच जाता है. मंडी समितियों में किसान के अनाज को बड़े और थोक विक्रेता व्यापारियों को बेचा जाता है और उनके साथ-साथ फुटकर व्यापारी भी सामान लेकर जाते हैं जो अपने ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा और साथ-साथ सामान को बेचने की पैकेजिंग के साथ सामान का दाम वसूल करते हैं.

ये भी हैं मुख्य कारण : खेत से लेकर किचन तक इन लंबी कड़ियों के चलते जिन सामान के दाम उदाहरण के तौर पर 10 रुपए हैं वह बढ़ते-बढ़ते 25 से 30 रुपए पहुंच जाते हैं. साथ ही कई बार खराब, मौसम ट्रांसपोर्टर्स की हड़ताल और पेट्रोल-डीजल के बढ़े दाम यह सभी बड़े कारण बन जाते हैं. जिनके चलते सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी देखने को मिलती है. इस दौरान भी कई ऐसी सब्जियां हैं जो खेत में पड़े-पड़े ही सड़ जाती हैं और वह मंडी तक नहीं पहुंच पाती हैं. जिसकी वजह से कई सब्जियों के दाम आसमान पर पहुंच जाते हैं. अंत में बात करें तो आम जनता को ही परेशानी झेलनी पड़ती है. खेत से किचन तक का सफर काफी महंगा होता जा रहा है और आम आदमी का बजट लगातार बिगड़ रहा है.

ऐसे बढ़ जाते हैं दाम : मंडी के आढ़ती लाला यादव ने बताया कि 'किसान जब अपने सामान को लेकर मंडी पहुंचता है तो वह उसमें खेत में लगने वाले दाम, लेबर का पैसा और मंडी तक लाने का शुल्क सभी जोड़कर यहां पहुंचाता है. यहां पर किसानों से आढ़ती ढाई परसेंट लेते हैं और मंडी समिति डेढ़ परसेंट लेती है जिसके बाद सामान के दाम बढ़ने लगते हैं.


सब्जियों के भाव प्रति किलो (मंडी भाव)

टमाटर- 5 रुपये

मटर- 12 रुपये

नीम्बू- 55 रुपये

बैंगन- 15 रुपये

गाजर- 10 रुपये

सेम- 40 रुपये

शिमला मिर्च- 20 रुपये

धनिया- 20 रुपये

बंद गोभी 8 रुपये

भिडी- 70 रुपये

अदरक-40 रुपये

लौकी- 25 रुपये

प्याज-15 रुपये

खीरा- 18 रुपये

कद्दु- 15 रुपये

फूल गोभी-10 रुपये

आलू नया- 8 रुपये

आलू पुराना-10 रुपये

पालक-20 रुपये

करेला-30 रुपये

तोरई- 50 रुपये

लहसुन- 50 रुपये

परवल-180 रुपये

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