लखनऊ : उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान बुधवार को अपना 44वां स्थापना दिवस मना रहा है. हिंदी संस्थान को भारतीय संस्कृति के प्रबल समर्थक राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन के नाम से भी जाना जाता है. 30 दिसंबर 1976 को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान की स्थापना हुई थी, जिसमें तत्कालीन हिंदी समिति, उप्र हिंदी ग्रंथ अकादमी व शासन की योजनाओं का एकीकरण किया गया था.
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. सदानंद प्रसाद गुप्त ने बताया कि हिंदी भाषा और साहित्य के माध्यम से विभिन्न विषयों का ज्ञान समाज तक पहुंचाने का मुख्य उद्देश्य है. उन्होंने बताया कि हिंदी साहित्य के साथ राजनीतिक शास्त्र, संगीत, विज्ञान, दर्शनशास्त्र, मानव शास्त्र, धर्म शास्त्र, इतिहास, कला, पत्रकारिता, नीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, चिकित्सा शास्त्र, समाजशास्त्र, तकनीकी और बाल साहित्य विषय पर करीब 750 ग्रंथ प्रकाशित हुए हैं.
रचनाकारों को दिया जाता है अनुदान
डॉ. सदानंद प्रसाद गुप्त ने बताया कि विभिन्न योजनाओं के लिए शासन के भाषा विभाग से हर वर्ष अनुदान मिलता है. जिन रचनाकारों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होती है, उनकी किताबें छपवाने के लिए अनुदान दिया जाता है, जिसके लिए 30 हजार रुपये तक राशि निर्धारित की गई है. वहीं रामचंद्र शुक्ल सार्वजनिक पुस्तकालय में 50 हजार से अधिक पुस्तकों का संग्रह है. यहां आम लोगों के साथ ही विश्वविद्यालय में शोध करने वाले छात्र आकर अध्ययन करते हैं.
साहित्यसेवियों का होगा सम्मान
44वें स्थापना दिवस के अवसर पर बुधवार को साहित्यसेवियों का सम्मान किया जाएगा. हिंदी सेवा के लिए साहित्यकारों को भारत भारती सम्मान से नवाजा जाएगा. साहित्य में विशिष्ट योगदान के लिए लोहिया साहित्य सम्मान, महात्मा गांधी साहित्य सम्मान, हिंदी गौरव सम्मान, पंडित दीनदयाल उपाध्याय साहित्य सम्मान और अवंतीबाई साहित्य सम्मान संस्थान की ओर से दिया जाता है. इसके अलावा राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन सम्मान हर वर्ष देश के अहिंदी भाषी प्रांतों अथवा विदेशों में विगत 10 वर्षों से हिंदी सेवा में लगी संस्था को दिया जाता है. इसके अलावा अलग-अलग क्षेत्रों की बहुमुखी प्रतिभाओं का सम्मान किया जाता है.
साहित्य भारती और बालवाणी पत्रिका का हो रहा प्रकाशन
पत्रिका प्रकाशन योजना के अंतर्गत साहित्य भारती त्रैमासिक पत्रिका का प्रकाशन किया जा रहा है. वहीं बच्चों के लिए पत्रिका बाल वाणी का प्रकाशन हो रहा है. साथ ही साहित्यकार स्मृति संरक्षण योजना के तहत विष्णुकांत शास्त्री, रामविलास शर्मा, बद्रीनारायण चौधरी, घनआनंद, चंद्रबली पांडेय, बाबू कुंवर सिंह पर भी पुस्तकों का प्रकाशन हो रहा है.
स्थापना दिवस पर कवि सम्मेलन आयोजित
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर यशपाल सभागार में कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सूर्य प्रसाद दीक्षित शिरकत करेंगे. इसी तरह वरिष्ठ कवि उदय प्रताप सिंह, गोरखपुर से अनंत मिश्र, लखनऊ से मधुकर अस्थाना, विनय बाजपेई और कुमार तरल, मऊ से कमलेश राय, प्रयागराज से जयकृष्ण राय तुषार और डॉ. विनम्र सेन सिंह, बलरामपुर से प्रकाश चंद गिरी काव्य पाठ करेंगे.
हिंदी भाषा के सामने बड़ी चुनौतियां
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष प्रोफेसर सदानंद प्रसाद गुप्त ने कहा कि हिंदी का प्रचार-प्रसार हो रहा है. हालांकि वर्तमान समय में हिंदी भाषा के सामने बड़ी चुनौतियां हैं, लेकिन इसके लिए समाज के लोगों को आगे आना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब तक हिंदी न्याय, प्रशासन, तकनीक, चिकित्सा, उद्योग की भाषा नहीं बनेगी, तब तक इसका विकास संभव नहीं है. फिलहाल संस्थान इस दिशा में प्रयासरत है.