लखनऊः यूपी एसटीएफ ने मंगलवार को एक ठग को गिरफ्तार किया है. यह ठग कई राज्य के सरकारी विभाग में नौकरी दिलाने का झांसा देकर करोड़ों की ठगी कर चुका है. आरोपी ठग अब तक 300 लोगों को ठगी का शिकार बना चुका है. फिलहाल आरोपी चंद्र भूषण दुबे को जेल भेज दिया गया है.
एसएसपी एसटीएफ विशाल विक्रम सिंह ने बताया कि दो महीने पहले राजधानी के महानगर थाने में पुनीत सिंह नामक युवक ने मुकदमा दर्ज कराया था. पुनीत सिंह ने बताया था कि 'आरोपी चंद्र भूषण दुबे से मेरा परिचय कन्हैया अग्रहरी के माध्यम से हुआ था. चंद्र भूषण ने बताया था कि वह सरकारी विभागों में नियुक्तियां कराने का काम करता है. नियुक्ति के अनुसार पैसा लगता है.'
साल 2019 में मेरे जानने वाले 6 युवकों को भारतीय खाद्य निगम में नियुक्ति कराने के लिए 3 लाख रुपये प्रति अभ्यर्थी, मंडी परिषद में भर्ती कराने के लिए 8 युवकों से 55 हजार रुपये प्रति अभ्यर्थी, ग्रामीण डाक सेवा में 3 व्यक्तियों से 1.50 लाख रुपये प्रति अभ्यर्थी, 108 एंबुलेंस सेवा में भर्ती कराने के नाम पर 1 युवक से 60 हजार रुपये लेकर उन्हें फर्जी नियुक्ति पत्र दे दिया था. वहीं, जब नियुक्ति पत्र लेकर लोग ज्वॉइन करने अपने-अपने विभाग में पहुंचे तो वहां पता चला कि यह सब फर्जी है.'
एसएसपी ने बताया कि पुलिस ने मंगलवार को आरोपी ठग चंद्र भूषण को लखनऊ के पॉलिटेक्निक चौराहा से गिरफ्तार किया. पूछताछ में गिरफ्तार आरोपी चंद्र भूषण दुबे ने बताया कि साल 2008 मे उसने ईगल सिक्योरिटी गार्ड सर्विसेज (Eagle Security Guard Services) के नाम से एक कंपनी बनाई, जिसका ऑफिस विकास नगर में खोला. लेकिन काम अच्छा न चलने के कारण साल 2016 में इस कंपनी को बंदकर प्रॉपर्टी का काम करने लगा.'
इसी दौरान उसकी मुलाकात अभिलाष मणि त्रिपाठी से हुई. अभिलाष त्रिपाठी ने बताया कि 'वह पोस्ट ऑफिस में नौकरी दिलाने का काम करता है, उसके साथ मनोज यादव व हरिवंष वर्मा भी काम करते थे, जिस पर हम लोगों ने मिलकर योजना बनाई कि बेरोजगार युवकों को अलग-अलग विभागों में नौकरी दिलाने का झांसा देकर उनसे मोटी रकम वसूली जा सकती है. इसके बाद हम लोगों ने वायरलेस चौराहा महानगर में एक फर्जी ऑफिस बनाया, जहां पर हम लोगों द्वारा बेरोजगार अभ्यर्थियों को बुलाकर विभाग के अनुसार पैसा लिया जाता था.'
चंद्रभूषण ने बताया कि 'अभ्यर्थियों को यह विश्वास दिलाने के लिए कि उनकी नौकरी लग लग गयी है. हम लोग कूटरचित नियुक्ति पत्र व पहचान पत्र बनाकर उनको देते थे और उनसे रुपये ले लेते थे व बाद में पैसे को हम लोग आपस में बराबर-बराबर बांट लेते थे. अभ्यर्थी अपने-अपने विभागों में ज्वॉइनिंग करने जाते थे, तो उनको पता चलता था कि यह फर्जीवाड़ा है, जिस पर हम लोग पहले उनको अलग-अलग बहाने बनाकर कुछ दिन टालते रहे. फिर 2020 में अपना आफिस बंदकर फरार हो गये और मोबाइल नंबर भी बदल दिए. चंद्र भूषण ने बताया कि 2016 से 2020 तक उन लोगों ने लगभग 300 व्यक्तियों से लगभग करोड़ों की ठगी की है'