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बाजार तक आते ही महंगी हो जाती हैं सब्जियां, जानिए आज का भाव

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Published : May 18, 2023, 6:49 AM IST

आम आदमी का बजट बिगड़ता जा रहा है. चाहे सब्जियां हों या फिर अनाज, खेत से किचन तक पहुंचने की प्रक्रिया में इनके दाम जमीन से आसमान तक पहुंच जाते हैं.

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लखनऊ : लगातार आम आदमी का बजट बिगड़ता जा रहा है. चाहे सब्जियां हों या फिर अनाज, खेत से किचन तक पहुंचने की प्रक्रिया में इनके दाम जमीन से आसमान तक पहुंच जाते हैं. खेत से लेकर मंडी, थोक व्यापारी और रेहड़ी पटरी तक पहुंचने में सब्जियों और अनाज के दाम कई गुना बढ़ जाते हैं. किसान खेत से निकालकर अपनी सब्जियों को मंडी तक लेकर आता है, लेकिन इस प्रक्रिया में वह खेत में लगी लागत, मंडी तक लाने का ट्रांसपोर्टेशन चार्ज जोड़कर उसे मंडी में लाकर आढ़ती तक पहुंचाता है. आइये जानते हैं 18 मई को क्या रहे सब्जियों के दाम.


उत्तर प्रदेश की अगर बात करें तो यहां पर मंडी समितियों में किसान के सामान पर 2.5 प्रतिशत लिया जाता था और आढ़ती भी अपना 2.5 प्रतिशत लेता है, यानी सामान का कुल दाम का 5 प्रतिशत दाम अपने आप बढ़ जाता है. किसानों को सहूलियत देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने मंडी समिति के 2.5 प्रतिशत को कम करके 1.5 प्रतिशत कर दिया है. इसके बावजूद खेत से निकलने वाला सामान जब आम जनता के किचन तक पहुंचता है तो उसका दाम आसमान तक पहुंच जाता है. मंडी समितियों में किसान के अनाज को बड़े और थोक विक्रेता व्यापारियों को बेचा जाता है और उनके साथ-साथ फुटकर व्यापारी भी सामान लेकर जाते हैं जो अपने ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा और साथ-साथ सामान को बेचने की पैकेजिंग के साथ सामान का दाम वसूल करते हैं

ये भी हैं मुख्य कारण : खेत से लेकर किचन तक इन लंबी कड़ियों के चलते जिन सामान के दाम उदाहरण के तौर पर 10 रुपए हैं, वह बढ़ते-बढ़ते 25 से 30 रुपए पहुंच जाते हैं. साथ ही साथ कई बार खराब मौसम ट्रांसपोर्टर्स की हड़ताल और पेट्रोल डीजल के बढ़े दाम यह सभी बड़े कारण बन जाते हैं, जिनके चलते सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी देखने को मिलती है. इस दौरान भी कई ऐसी सब्जियां हैं जो खेत में पड़े-पड़े ही सड़ जाती हैं और वह मंडी तक नहीं पहुंच पाती हैं, जिसकी वजह से कई सब्जियों के दाम आसमान पर पहुंच जाते हैं. अंत में बात करें तो आम जनता को ही परेशानी झेलनी पड़ती है. खेत से किचन तक का सफर काफी महंगा होता जा रहा है और आम आदमी का बजट लगातार बिगड़ रहा है.

ऐसे बढ़ जाते हैं दाम : मंडी के आढ़ती एसपी यादव ने बताया कि 'किसान जब सब्जियों को लेकर मंडी पहुंचता है तो वह उसमें खेत में लगने वाले दाम, लेबर का पैसा और मंडी तक लाने का शुल्क सभी जोड़कर यहां पहुंचाता है. यहां पर किसानों से आढ़ती ढाई परसेंट लेते हैं और मंडी समिति डेढ़ परसेंट लेती है, जिसके बाद सामान के दाम बढ़ने लगते हैं.'

सब्जियों के भाव प्रति किलो (मंडी भाव)

टमाटर- 16 रुपये किलो

मटर- 60 रुपये

नीम्बू- 120 रुपये

बैंगन- 15 रुपये

गाजर- 10 रुपये

सेम- 30 रुपये

शिमला मिर्च- 18 रुपये

धनिया- 70 रुपये

बंद गोभी 10 रुपये

भिडी- 60 रुपये

अदरक-40 रुपये

लौकी- 20 रुपये

प्याज-15 रुपये

कद्दू- 12 रुपये

फूल गोभी-10 रुपये

आलू नया- 8 रुपये

आलू पुराना-10 रुपये

पालक-20 रुपये

करेला-40 रुपये

तोरई- 35 रुपये

लहसुन- 80 रुपये

परवल-50 रुपये

यह भी पढ़ें : सुधीर मिश्रा उर्फ एटीएम बाबा को बिहार के छपरा से लखनऊ पुलिस ने किया गिरफ्तार

लखनऊ : लगातार आम आदमी का बजट बिगड़ता जा रहा है. चाहे सब्जियां हों या फिर अनाज, खेत से किचन तक पहुंचने की प्रक्रिया में इनके दाम जमीन से आसमान तक पहुंच जाते हैं. खेत से लेकर मंडी, थोक व्यापारी और रेहड़ी पटरी तक पहुंचने में सब्जियों और अनाज के दाम कई गुना बढ़ जाते हैं. किसान खेत से निकालकर अपनी सब्जियों को मंडी तक लेकर आता है, लेकिन इस प्रक्रिया में वह खेत में लगी लागत, मंडी तक लाने का ट्रांसपोर्टेशन चार्ज जोड़कर उसे मंडी में लाकर आढ़ती तक पहुंचाता है. आइये जानते हैं 18 मई को क्या रहे सब्जियों के दाम.


उत्तर प्रदेश की अगर बात करें तो यहां पर मंडी समितियों में किसान के सामान पर 2.5 प्रतिशत लिया जाता था और आढ़ती भी अपना 2.5 प्रतिशत लेता है, यानी सामान का कुल दाम का 5 प्रतिशत दाम अपने आप बढ़ जाता है. किसानों को सहूलियत देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने मंडी समिति के 2.5 प्रतिशत को कम करके 1.5 प्रतिशत कर दिया है. इसके बावजूद खेत से निकलने वाला सामान जब आम जनता के किचन तक पहुंचता है तो उसका दाम आसमान तक पहुंच जाता है. मंडी समितियों में किसान के अनाज को बड़े और थोक विक्रेता व्यापारियों को बेचा जाता है और उनके साथ-साथ फुटकर व्यापारी भी सामान लेकर जाते हैं जो अपने ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा और साथ-साथ सामान को बेचने की पैकेजिंग के साथ सामान का दाम वसूल करते हैं

ये भी हैं मुख्य कारण : खेत से लेकर किचन तक इन लंबी कड़ियों के चलते जिन सामान के दाम उदाहरण के तौर पर 10 रुपए हैं, वह बढ़ते-बढ़ते 25 से 30 रुपए पहुंच जाते हैं. साथ ही साथ कई बार खराब मौसम ट्रांसपोर्टर्स की हड़ताल और पेट्रोल डीजल के बढ़े दाम यह सभी बड़े कारण बन जाते हैं, जिनके चलते सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी देखने को मिलती है. इस दौरान भी कई ऐसी सब्जियां हैं जो खेत में पड़े-पड़े ही सड़ जाती हैं और वह मंडी तक नहीं पहुंच पाती हैं, जिसकी वजह से कई सब्जियों के दाम आसमान पर पहुंच जाते हैं. अंत में बात करें तो आम जनता को ही परेशानी झेलनी पड़ती है. खेत से किचन तक का सफर काफी महंगा होता जा रहा है और आम आदमी का बजट लगातार बिगड़ रहा है.

ऐसे बढ़ जाते हैं दाम : मंडी के आढ़ती एसपी यादव ने बताया कि 'किसान जब सब्जियों को लेकर मंडी पहुंचता है तो वह उसमें खेत में लगने वाले दाम, लेबर का पैसा और मंडी तक लाने का शुल्क सभी जोड़कर यहां पहुंचाता है. यहां पर किसानों से आढ़ती ढाई परसेंट लेते हैं और मंडी समिति डेढ़ परसेंट लेती है, जिसके बाद सामान के दाम बढ़ने लगते हैं.'

सब्जियों के भाव प्रति किलो (मंडी भाव)

टमाटर- 16 रुपये किलो

मटर- 60 रुपये

नीम्बू- 120 रुपये

बैंगन- 15 रुपये

गाजर- 10 रुपये

सेम- 30 रुपये

शिमला मिर्च- 18 रुपये

धनिया- 70 रुपये

बंद गोभी 10 रुपये

भिडी- 60 रुपये

अदरक-40 रुपये

लौकी- 20 रुपये

प्याज-15 रुपये

कद्दू- 12 रुपये

फूल गोभी-10 रुपये

आलू नया- 8 रुपये

आलू पुराना-10 रुपये

पालक-20 रुपये

करेला-40 रुपये

तोरई- 35 रुपये

लहसुन- 80 रुपये

परवल-50 रुपये

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