लखनऊ : उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद की मुंशी-मौलवी (सेकेण्ड्री), आलिम (सीनियर सेकेण्ड्री), कामिल और फाजिल की वार्षिक परीक्षाएं 13 फरवरी से शुरू होकर 21 फरवरी तक चलेंगी. दो पालियों में आयोजित होने वाली परीक्षा के लिए इस वर्ष एक लाख 19 हजार परीक्षार्थियों ने आवेदन किया है. यह निर्णय शुक्रवार को बोर्ड की परीक्षा समिति की ऑनलाइन बैठक में लिया गया. यह जानकारी बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने दी.
बोर्ड की रजिस्ट्रार डॉ. प्रियंका अवस्थी ने बताया कि लोकसभा चुनाव और मदरसों के वार्षिक अवकाश की वजह से अन्य बोर्डों की तरह मदरसा परिषद की परीक्षाएं फरवरी के दूसरे सप्ताह में कराना बेहतर होगा. उक्त वर्ष एकल विषय की परीक्षा भी सम्पन्न कराई जानी है. बैठक में उपस्थित समिति पदाधिकारियों के विचार-विमर्श के बाद मदरसा परीक्षाएं 13 फरवरी से 21 फरवरी के बीच कराए जाने का निर्णय लिया गया. बैठक में रजिस्ट्रार को नकलविहीन, शुचितापूर्ण और शांतिपूर्ण ढंग से परीक्षाएं कराने के लिए सभी कार्रवाई समय से पूरी करने के लिए निर्देशित किया गया. बैठक में विशेष सचिव अल्पसंख्यक कल्याण रमेश, मदरसा शिक्षा परिषद उपाध्यक्ष व निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण जे. रीभा, बोर्ड सदस्य कमर अली, ओरिएण्टल कॉलेज रामपुर के प्रधानाचार्य और बोर्ड सदस्य जुबैर खान व बोर्ड रजिस्ट्रार डॉ. प्रियंका अवस्थी शामिल थीं.
प्रदेश में बोर्ड से तहतानिया कक्षा 1 से 5, फौकानिया कक्षा 5 से 8 और आलिया व उच्च आलिया स्तर यानी हाई स्कूल या इससे ऊपर के 16,460 मदरसे मान्यता प्राप्त हैं. इनमें सरकार से आर्थिक सहायता प्राप्त 560 मदरसे हैं. इन मदरसों में मुंशी-मौलवी हाईस्कूल समकक्ष, आलिम इंटर समकक्ष, कामिल स्नातक और फाजिल परास्नातक के समकक्ष पढ़ाई होती है, लेकिन मदरसा बोर्ड की परीक्षाओं में हर साल परीक्षार्थियों की संख्या घटती जा रही है. इस साल प्रदेशभर के मदरसों से सिर्फ एक लाख 72 हजार आवेदन आए थे. इसकी वजह मदरसा बोर्ड के नए नियम को माना जा रहा है. इसके तहत अन्य बोर्ड के विद्यार्थियों के लिए आलिम में आवेदन करने के लिए हाईस्कूल और कामिल में आवेदन करने के लिए इंटरमीडिएट या समकक्ष परीक्षा में उर्दू/अरबी/फारसी से उत्तीर्ण होना अनिवार्य कर दिया है.
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