लखनऊ : उत्तर प्रदेश में पहली बार योगी आदित्यनाथ की सरकार ने किसानों के लिए गेहूं खरीद की व्यवस्था को इतना सरल, सुविधाजनक और पारदर्शी बना दिया है कि उनके चेहरे खिले हुए हैं. किसान स्वयं बढ़-चढ़कर इस व्यवस्था का हिस्सा बन रहे हैं. यही नहीं, एक अप्रैल से प्रदेश में शुरू की गई गेहूं खरीद की व्यवस्था ने मात्र 12 दिनों में एक लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का नया रिकार्ड भी बना दिया है, जो किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है.
गेहूं खरीद में तेजी लाते हुए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मंडियों में न केवल पहली बार अत्याधुनिक सुविधाओं को बढ़ाया, बल्कि किसानों के लिये मंडियों में पानी, बैठने के लिये छायादार व्यवस्था और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने के सख्त निर्देश भी दिए. सरकार ने कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) को गेहूं खरीद में शामिल कर प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया. साथ ही किसानों को उनके खेत के 10 किमी के दायरे में गेहूं खरीदकर उनकी दिक्कतों को भी कम करने का काम किया.
ई-पॉप मशीनों का किया गया इस्तेमाल
उत्तर प्रदेश सरकार ने गेंहू खरीद में पारदर्शिता लाने के लिए ई-पॉप मशीनों का इस्तेमाल कर क्रांति लाने का काम किया. इस व्यवस्था से गेहूं खरीद में धांधली और गड़बड़ी की आशंका पूरी तरह से समाप्त हो गई. किसानों को उनके अनाज के हर दाने का भुगतान उनके खातों में मिलना शुरू हो गया.
हर दिन गेहूं खरीद बना रहा नया इतिहास
उत्तर प्रदेश सरकार की एक अप्रैल से गेहूं खरीद शुरू की गई है. अभी 12 दिन ही बीते हैं कि एक लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का रिकॉर्ड बन गया है. गौरतलब हैं कि किसानों को भुगतान के मामले में योगी सरकार ने पिछली सरकारों को बहुत पीछे छोड़ दिया है. धान खरीद के मामले में भी योगी सरकार नए कीर्तिमान स्थापित कर चुकी है. राज्य सरकार ने 25,53,804 धान किसानों को 23,328.80 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया है, जो कि प्रदेश में अब तक का रिकॉर्ड है. आंकड़ों के मुताबिक, योगी सरकार ने चार साल के कार्यकाल में 33,45,065 किसानों से कुल 162.71 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की. प्रदेश में सबसे ज्यादा 24,256 क्रय केंद्रों के जरिये खरीदे गए गेहूं के लिए राज्य सरकार ने किसानों को कुल 29,017.71 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड भुगतान किया है.
एफपीओ को गेहूं खरीद का तोहफा देकर बढ़ाई प्रतिस्पर्धा
यूपी की योगी सरकार पहले ही कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) को गेहूं खरीद का खास तोहफा दिया है. इससे गेहूं खरीद में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिला है. देश के इतिहास में यह पहली बार है, जब कोई अनाज खरीद प्रक्रिया में कृषक उत्पादक संगठनों को भी शामिल किया गया है. प्रदेश के 150 से अधिक गेहूं केंद्रों पर एफपीओ खरीद प्रक्रिया का हिस्सा बन गए हैं. प्रदेश में एक अप्रैल से शुरू हुई गेहूं खरीद प्रक्रिया के तहत 8 अप्रैल तक 6000 केंद्रों पर कुल 14,544 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की जा चुकी है. राज्य सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1975 रुपये किया है.
मंडियो में कोविड प्रोटोकाल का किया जा रहा पालन
खरीद केंद्रों पर ऑक्सीमीटर, इफ्रारेड थर्मामीटर की व्यवस्था उपलब्ध कराने के निर्देश भी अफसरों को दिए गए हैं. खरीद केंद्रों पर पहुंचने वाले हर किसान का तापमान चेक किया जा रहा है. किसानों को पीने का स्वच्छ पानी, बैठने के लिए छायादार व्यवस्था भी की गई है.
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पहली बार 10 किलोमीटर के दायरे में गेहूं बेच पा रहे किसान
खरीद केंद्रों पर भीड़ न इकट्ठी हो, इसके लिए राज्य सरकार ने पहले से ही ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने के व्यवस्था की है. टोकन नंबर के हिसाब से किसान अपनी बारी आने पर खीद केंद्र पहुंच कर गेहूं बेच रहे हैं. इससे खरीद केंद्रों पर भीड़ नहीं लग रही है. योगी सरकार किसानों को उनके खेत के 10 किलोमीटर के दायरे में खरीद केंद्र उपलब्ध करा रही है, ताकि किसानों को गेहूं बेचने के लिए ज्यादा दूरी तय न करनी पड़े.
योगी सरकार के 04 साल ने किसानों को बना दिया मजबूत
राज्य सरकार ने किसानों की सुविधा के लिए तय किया है कि जब तक किसान गेहूं लेकर खरीद केंद्र पर आते रहेंगे, तब तक गेहूं खरीद होती रहेगी. सरकार की नई-नई योजनाओं ने किसानों को मजबूत बनाने का काम किया है. चार साल के कार्यकाल में राज्य सरकार ने 33 लाख से ज्यादा गेहूं किसानों की फसल के लिए रिकॉर्ड 29017.45 करोड़ रुपये का भुगतान किया है. योगी सरकार ने चार साल में प्रदेश के धान और गेहूं किसानों को अब तक के सबसे अधिक भुगतान का रिकॉर्ड बनाया है.