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निकाय चुनाव बाद यूपी कांग्रेस में होगा बड़ा फेरबदल, प्रांतीय अध्यक्ष कर रहे यह काम - यूपी कांग्रेस संगठन

यूपी निकाय चुनाव में कांग्रेस के सामने वजूद बचाने की चुनौती है. इसके पीछे कांग्रेस में भगदड़ और आंतरिक सामंजस्य की कमी सामने आ रही है. ऐसे में चुनाव बाद कांग्रेस में बड़े फेरबदल की पृष्ठभूमि तैयार हो चुकी है.

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Published : May 4, 2023, 10:18 AM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी में निकाय चुनाव के साथ ही अब संगठन को लेकर फिर से सवाल उठना शुरू हो गया है. खास तौर पर निकाय चुनाव के सबसे महत्वपूर्ण समय में राजधानी लखनऊ के दोनों नगर अध्यक्ष दिलप्रीत सिंह 'डीपी' व अजय श्रीवास्तव 'अज्जू' के भाजपा में चले जाने के बाद इसको लेकर फिर से मांग तेज हो गई है. बीते दिनों कांग्रेस के करीब डेढ़ दर्जन से अधिक पदाधिकारियों ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली. जिसकी रिपोर्ट केंद्रीय कमेटी को भी भेजी गई. जिसके बाद केंद्रीय कमेटी ने निकाय चुनाव के बाद प्रदेश में नए सिरे से संगठन तैयार करने के निर्देश प्रदेश के नेताओं को दिया है. केंद्रीय नेतृत्व ने अगले 3 महीने में हर हाल में जिले लेवल पर बनने वाले फ्रंटल संगठनों की लिस्ट तैयार कर भेजने को कहा है.

नए प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद नई कार्यकारिणी का पता नहीं


कांग्रेस के संविधान के अनुसार जब भी प्रदेश में नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त होता है तो उसके साथ ही नई प्रदेश कार्यकारिणी का भी गठन होता है. मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी को उत्तर प्रदेश का प्रदेश अध्यक्ष बने हु आए हुए करीब-करीब 1 साल का समय हो चुका है. इनके कार्यकाल में केवल 6 प्रांतीय अध्यक्ष की नियुक्ति के अलावा अभी तक प्रदेश का नया संगठन का गठन नहीं हो पाया है. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के समय जो प्रदेश का संगठन बना था. वही संगठन नए प्रदेश अध्यक्ष के समय भी काम कर रहा है. पार्टी नेताओं की मानें तो उस संगठन में जो लोग शामिल किए गए तो उसमें भी ज्यादातर लोग इस समय निष्क्रिय हो चुके हैं. इसका सबसे बड़ा कारण है कि सभी को नए प्रदेश अध्यक्ष की नई टीम गठन होने का इंतजार है. पार्टी में मौजूदा समय में अजय कुमार लल्लू के समय गठित प्रदेश संगठन में जो लोग उपाध्यक्ष, प्रदेश सचिव, जिला अध्यक्ष व जिला सचिव के पदों पर नियुक्त किए गए थे. वही लोग अभी भी काम कर रहे हैं, पर इन चुनाव में उनमें से भी ज्यादातर लोगों ने कोई खास रुचि नहीं दिखाई. जिसके कारण पार्टी को उनके स्थान पर कार्यवाहक लोगों को जिम्मेदारी देकर काम चलाना पड़ रहा है.

50 हजार से अधिक लोग छोड़ चुके हैं पार्टी

देश की सबसे बड़ी व पुरानी पार्टी कांग्रेस वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश में अब तक के सबसे हाशिए की स्थिति में पहुंच चुकी है. पार्टी अपने पुराने है जनाधार को लाने के लिए लगातार कशमकश में लगी हुई है. 70 साल तक देश की सत्ता पर काबिज रहने वाली कांग्रेस पार्टी आपसी गुटबाजी व पुराने कांग्रेसियों की उपेक्षा से उबर नहीं पा रही है. कांग्रेस पार्टी ने पुराने वर्चस्व को वापस लाने के लिए अन्य दलों के नेताओं को सहारा लेने के लिए विवश होना पड़ रहा है. हकीकत यह है कि कांग्रेस की महासचिव एवं प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी लंबे समय से प्रदेश के बाहर रहने और उनकी टीम के एक चर्चित निजी सचिव की कार्यप्रणाली से कांग्रेसियों ने पार्टी से पल्ला झाड़ लिया. पार्टी के सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस यूपी में किस तरह से आगे बढ़ना है. इसको लेकर स्पष्ट रणनीति नहीं तय कर पा रही है. पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव एवं प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी की नई टीम भी इसके लिए जिम्मेदार है. पार्टी नेताओं की माना जाए तो प्रियंका गांधी आने के बाद उत्तर प्रदेश कांग्रेस से करीब 50 हजार से अधिक कार्यकर्ता पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं.

चुनाव बाद होगा संगठन का विस्तार


पार्टी में जो भी पदाधिकारी पार्टी छोड़कर गए हैं, उसके स्थान पर दूसरे व्यक्ति को जिम्मेदारी सौंप दी गई है. प्रियंका गांधी के आने के बाद और बृजलाल खाबरी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के समय 17 जिलों में पार्टी के पास जिला अध्यक्ष तक नहीं थे, पर चुनाव से ऐन पहले पार्टी ने वहां कार्यवाहक जिला अध्यक्ष बनाकर चुनाव तैयारियां शुरू की थीं. लखनऊ में दोनों नगर अध्यक्षों के भाजपा ज्वाइन करने के बाद यहां जिला अध्यक्ष को कार्यवाहक नगर अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है. इसी तरह पार्टी ने प्रदेश के हर जिले में संगठन में खाली पदों को कार्यवाहक लोगों को बैठाकर किसी तरह निकाय चुनाव में अपनी नैया पार लगा रही है. इस मुद्दे पर कांग्रेस के प्रांतीय अध्यक्ष व संगठन सचिव अनिल यादव का कहना है कि चुनाव के बाद पार्टी नए सिरे से प्रदेश संगठन का गठन करेगी. यह हमारी प्राथमिकता में है. वर्ष 2024 के चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में एक मजबूत संगठन पार्टी द्वारा खड़ा किया जाएगा.

निकाय चुनाव से पहले इन लोगों ने छोड़ी कांग्रेस

दिलप्रीत सिंह 'डीपी' नगर अध्यक्ष
अजय श्रीवास्तव 'अज्जू' नगर अध्यक्ष
संजय श्रीवास्तव पूर्व संगठन मंत्री
अशोक उपाध्याय उत्तर विधानसभा प्रभारी
सर्वेश श्रीवास्तव संघर्षी पश्चिम विधानसभा प्रभारी
अशोक सोनकर मध्य विधानसभा प्रभारी
अमित चौधरी, मौजूदा पार्षद
प्रदीप कनौजिया, पूर्व पार्षद
सुमन उपाध्याय
रेखा सिंह
सुरेन्द्र पाल
इस्लामुद्दीन
रिंकी मिश्रा
मोहम्मद आरिफ
पूजा श्रीवास्तव
रीना यादव
अमित गुप्ता

यह भी पढ़ें : चीफ सेक्रेटरी ने की समीक्षा बैठक, मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को दिए ये निर्देश

लखनऊ : उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी में निकाय चुनाव के साथ ही अब संगठन को लेकर फिर से सवाल उठना शुरू हो गया है. खास तौर पर निकाय चुनाव के सबसे महत्वपूर्ण समय में राजधानी लखनऊ के दोनों नगर अध्यक्ष दिलप्रीत सिंह 'डीपी' व अजय श्रीवास्तव 'अज्जू' के भाजपा में चले जाने के बाद इसको लेकर फिर से मांग तेज हो गई है. बीते दिनों कांग्रेस के करीब डेढ़ दर्जन से अधिक पदाधिकारियों ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली. जिसकी रिपोर्ट केंद्रीय कमेटी को भी भेजी गई. जिसके बाद केंद्रीय कमेटी ने निकाय चुनाव के बाद प्रदेश में नए सिरे से संगठन तैयार करने के निर्देश प्रदेश के नेताओं को दिया है. केंद्रीय नेतृत्व ने अगले 3 महीने में हर हाल में जिले लेवल पर बनने वाले फ्रंटल संगठनों की लिस्ट तैयार कर भेजने को कहा है.

नए प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद नई कार्यकारिणी का पता नहीं


कांग्रेस के संविधान के अनुसार जब भी प्रदेश में नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त होता है तो उसके साथ ही नई प्रदेश कार्यकारिणी का भी गठन होता है. मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी को उत्तर प्रदेश का प्रदेश अध्यक्ष बने हु आए हुए करीब-करीब 1 साल का समय हो चुका है. इनके कार्यकाल में केवल 6 प्रांतीय अध्यक्ष की नियुक्ति के अलावा अभी तक प्रदेश का नया संगठन का गठन नहीं हो पाया है. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के समय जो प्रदेश का संगठन बना था. वही संगठन नए प्रदेश अध्यक्ष के समय भी काम कर रहा है. पार्टी नेताओं की मानें तो उस संगठन में जो लोग शामिल किए गए तो उसमें भी ज्यादातर लोग इस समय निष्क्रिय हो चुके हैं. इसका सबसे बड़ा कारण है कि सभी को नए प्रदेश अध्यक्ष की नई टीम गठन होने का इंतजार है. पार्टी में मौजूदा समय में अजय कुमार लल्लू के समय गठित प्रदेश संगठन में जो लोग उपाध्यक्ष, प्रदेश सचिव, जिला अध्यक्ष व जिला सचिव के पदों पर नियुक्त किए गए थे. वही लोग अभी भी काम कर रहे हैं, पर इन चुनाव में उनमें से भी ज्यादातर लोगों ने कोई खास रुचि नहीं दिखाई. जिसके कारण पार्टी को उनके स्थान पर कार्यवाहक लोगों को जिम्मेदारी देकर काम चलाना पड़ रहा है.

50 हजार से अधिक लोग छोड़ चुके हैं पार्टी

देश की सबसे बड़ी व पुरानी पार्टी कांग्रेस वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश में अब तक के सबसे हाशिए की स्थिति में पहुंच चुकी है. पार्टी अपने पुराने है जनाधार को लाने के लिए लगातार कशमकश में लगी हुई है. 70 साल तक देश की सत्ता पर काबिज रहने वाली कांग्रेस पार्टी आपसी गुटबाजी व पुराने कांग्रेसियों की उपेक्षा से उबर नहीं पा रही है. कांग्रेस पार्टी ने पुराने वर्चस्व को वापस लाने के लिए अन्य दलों के नेताओं को सहारा लेने के लिए विवश होना पड़ रहा है. हकीकत यह है कि कांग्रेस की महासचिव एवं प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी लंबे समय से प्रदेश के बाहर रहने और उनकी टीम के एक चर्चित निजी सचिव की कार्यप्रणाली से कांग्रेसियों ने पार्टी से पल्ला झाड़ लिया. पार्टी के सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस यूपी में किस तरह से आगे बढ़ना है. इसको लेकर स्पष्ट रणनीति नहीं तय कर पा रही है. पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव एवं प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी की नई टीम भी इसके लिए जिम्मेदार है. पार्टी नेताओं की माना जाए तो प्रियंका गांधी आने के बाद उत्तर प्रदेश कांग्रेस से करीब 50 हजार से अधिक कार्यकर्ता पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं.

चुनाव बाद होगा संगठन का विस्तार


पार्टी में जो भी पदाधिकारी पार्टी छोड़कर गए हैं, उसके स्थान पर दूसरे व्यक्ति को जिम्मेदारी सौंप दी गई है. प्रियंका गांधी के आने के बाद और बृजलाल खाबरी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के समय 17 जिलों में पार्टी के पास जिला अध्यक्ष तक नहीं थे, पर चुनाव से ऐन पहले पार्टी ने वहां कार्यवाहक जिला अध्यक्ष बनाकर चुनाव तैयारियां शुरू की थीं. लखनऊ में दोनों नगर अध्यक्षों के भाजपा ज्वाइन करने के बाद यहां जिला अध्यक्ष को कार्यवाहक नगर अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है. इसी तरह पार्टी ने प्रदेश के हर जिले में संगठन में खाली पदों को कार्यवाहक लोगों को बैठाकर किसी तरह निकाय चुनाव में अपनी नैया पार लगा रही है. इस मुद्दे पर कांग्रेस के प्रांतीय अध्यक्ष व संगठन सचिव अनिल यादव का कहना है कि चुनाव के बाद पार्टी नए सिरे से प्रदेश संगठन का गठन करेगी. यह हमारी प्राथमिकता में है. वर्ष 2024 के चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में एक मजबूत संगठन पार्टी द्वारा खड़ा किया जाएगा.

निकाय चुनाव से पहले इन लोगों ने छोड़ी कांग्रेस

दिलप्रीत सिंह 'डीपी' नगर अध्यक्ष
अजय श्रीवास्तव 'अज्जू' नगर अध्यक्ष
संजय श्रीवास्तव पूर्व संगठन मंत्री
अशोक उपाध्याय उत्तर विधानसभा प्रभारी
सर्वेश श्रीवास्तव संघर्षी पश्चिम विधानसभा प्रभारी
अशोक सोनकर मध्य विधानसभा प्रभारी
अमित चौधरी, मौजूदा पार्षद
प्रदीप कनौजिया, पूर्व पार्षद
सुमन उपाध्याय
रेखा सिंह
सुरेन्द्र पाल
इस्लामुद्दीन
रिंकी मिश्रा
मोहम्मद आरिफ
पूजा श्रीवास्तव
रीना यादव
अमित गुप्ता

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