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SP leader Swami Prasad Maurya ने जातीय जनगणना पर कही यह बात, मानस विवाद पर दी यह प्रतिक्रिया

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Published : Feb 23, 2023, 6:27 PM IST

विधानसभा सत्र के दौरान जाति जनगणना कराने की मांग पर समाजवादी पार्टी, आएलडी समेत कई दल एक हो गए हैं. सपा इस मुद्दे को लेकर आज काफी उग्र रही. सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (SP leader Swami Prasad Maurya) ने भी इस मुद्दे को अहम बताया है.

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जातीय जनगणना पर सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य की राय.

लखनऊ : समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने ईटीवी भारत से बातचीत में जाति जनगणना के मुद्दे पर जोरदार ढंग से अपनी बात की, लेकिन जब रामचरितमानस पर हुए विवाद पर उनसे सवाल पूछा गया तो वह कैमरे से भागने लगे. उन्होंने कहा कि अभी सिर्फ जाति जनगणना पर बात करने का समय है. मानस विवाद पीछे हट गया है. दरअसल समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2014 और नगर निकाय चुनाव को देखते हुए सियासी नुकसान के डर से रामचरितमानस विवाद को पूरी तरह से विराम देने का फैसला किया है और जाति जनगणना के मुद्दे को धार देने की पूरी रणनीति बनाई है. इसी विषय पर आज ईटीवी भारत में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद और से बात की.


उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना चिर परिचित मांग रही है. वर्ष 1931 की जातीय जनगणना के बाद आज तक जातीय जनगणना नहीं कराई गई है. वर्ष 2010-11 में जाति जनगणना का आंकड़ा संकल्प जरूर किया गया था, लेकिन उसे सार्वजनिक नहीं किया गया था. जाति जनगणना ना होने के नाते जब भी आरक्षण के इंप्लीमेंटेशन की बात आती है कि क्या आबादी है और उसके अनुपात में आरक्षण वाले समाज की क्या हिस्सेदारी है तो इसका आंकड़ा सरकार के पास नहीं रहता है. उन्होंने कहा कि कई बार सर्वोच्च न्यायालय ने सवाल उठाया है कि सरकार जाति आंकड़ा प्रस्तुत करें. जातिगत आंकड़ा ना होने का बहाना लेकर सरकार हमेशा पल्ला झाड़ती रहती है.


सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि मंडल आयोग ने भी अपनी सिफारिश लागू करते हुए जाति जनगणना की कराने की की बात कही थी. यहां तक भी भारतीय जनता पार्टी जब विपक्ष में थी तो यह लगातार जातीय जनगणना की मांग करती रही है. वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव से पहले तत्कालीन गृह मंत्री भारत सरकार राजनाथ सिंह ने जातीय जनगणना की बात सार्वजनिक मंचों से कही थी, लेकिन क्या कारण है कि जब भाजपा की केंद्र और राज्य में सरकारें हैं और पूर्ण बहुमत की सरकार है तो जाति जनगणना से भारतीय जनता पार्टी क्यों पीछे हट रही है. इसके पीछे का मतलब है कि भाजपा देश के गरीबों पिछड़ों दलितों वंचितों के दुश्मन है.

संविधान प्रदत्त आरक्षण की सुविधा इन समाज के लोगों को ना मिल पाए इसको लेकर जाति जनगणना कराने से कतराते हैं. हमारी स्पष्ट मांग है कि जाति जनगणना करा करके जो भी सही जाति जनगणना के आंकड़े आते हैं तो उसको सार्वजनिक किया जाए. ईटीवी भारत ने जब सपा राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य से उनके द्वारा रामचरितमानस को लेकर सवाल खड़े किए जाने की बात पूछी और अब क्या स्टैंड है तो उन्होंने कहा कि आज सिर्फ विषय जाति जनगणना का है और रामचरितमानस पर वह अब कुछ नहीं बोलेंगे.


यह भी पढ़ें : 80 हजार वेतन पाने वाले सेवानिवृत्त शिक्षकों को मिल रहे सिर्फ 800 रुपये पेंशन, जानिए क्या है वजह?

जातीय जनगणना पर सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य की राय.

लखनऊ : समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने ईटीवी भारत से बातचीत में जाति जनगणना के मुद्दे पर जोरदार ढंग से अपनी बात की, लेकिन जब रामचरितमानस पर हुए विवाद पर उनसे सवाल पूछा गया तो वह कैमरे से भागने लगे. उन्होंने कहा कि अभी सिर्फ जाति जनगणना पर बात करने का समय है. मानस विवाद पीछे हट गया है. दरअसल समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2014 और नगर निकाय चुनाव को देखते हुए सियासी नुकसान के डर से रामचरितमानस विवाद को पूरी तरह से विराम देने का फैसला किया है और जाति जनगणना के मुद्दे को धार देने की पूरी रणनीति बनाई है. इसी विषय पर आज ईटीवी भारत में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद और से बात की.


उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना चिर परिचित मांग रही है. वर्ष 1931 की जातीय जनगणना के बाद आज तक जातीय जनगणना नहीं कराई गई है. वर्ष 2010-11 में जाति जनगणना का आंकड़ा संकल्प जरूर किया गया था, लेकिन उसे सार्वजनिक नहीं किया गया था. जाति जनगणना ना होने के नाते जब भी आरक्षण के इंप्लीमेंटेशन की बात आती है कि क्या आबादी है और उसके अनुपात में आरक्षण वाले समाज की क्या हिस्सेदारी है तो इसका आंकड़ा सरकार के पास नहीं रहता है. उन्होंने कहा कि कई बार सर्वोच्च न्यायालय ने सवाल उठाया है कि सरकार जाति आंकड़ा प्रस्तुत करें. जातिगत आंकड़ा ना होने का बहाना लेकर सरकार हमेशा पल्ला झाड़ती रहती है.


सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि मंडल आयोग ने भी अपनी सिफारिश लागू करते हुए जाति जनगणना की कराने की की बात कही थी. यहां तक भी भारतीय जनता पार्टी जब विपक्ष में थी तो यह लगातार जातीय जनगणना की मांग करती रही है. वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव से पहले तत्कालीन गृह मंत्री भारत सरकार राजनाथ सिंह ने जातीय जनगणना की बात सार्वजनिक मंचों से कही थी, लेकिन क्या कारण है कि जब भाजपा की केंद्र और राज्य में सरकारें हैं और पूर्ण बहुमत की सरकार है तो जाति जनगणना से भारतीय जनता पार्टी क्यों पीछे हट रही है. इसके पीछे का मतलब है कि भाजपा देश के गरीबों पिछड़ों दलितों वंचितों के दुश्मन है.

संविधान प्रदत्त आरक्षण की सुविधा इन समाज के लोगों को ना मिल पाए इसको लेकर जाति जनगणना कराने से कतराते हैं. हमारी स्पष्ट मांग है कि जाति जनगणना करा करके जो भी सही जाति जनगणना के आंकड़े आते हैं तो उसको सार्वजनिक किया जाए. ईटीवी भारत ने जब सपा राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य से उनके द्वारा रामचरितमानस को लेकर सवाल खड़े किए जाने की बात पूछी और अब क्या स्टैंड है तो उन्होंने कहा कि आज सिर्फ विषय जाति जनगणना का है और रामचरितमानस पर वह अब कुछ नहीं बोलेंगे.


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