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लखनऊ के दो युवा खगोलविदों ने अंतरिक्ष में की नई निहारिका की खोज, नेबुला का नाम रखा है राम - Ram Mandir 2024

लखनऊ के दो युवा खगोलविदों (space new nebula discovery) ने अहम उपलब्धि हासिल की है. इंदिरा गांधी तारामंडल लखनऊ से जुड़े दोनों युवाओं ने नई निहारिका की खोज की है. वह कई वर्षों से इस कार्य में लगे हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 18, 2024, 7:14 AM IST

लखनऊ : राजधानी लखनऊ के युवा खगोलविद संकल्प एम. रस्तोगी और उत्कर्ष मिश्रा ने नई निहारिका यानी कि नेबुला की खोज की है. दोनों खगोलविदों ने इसका नाम 'राम' रखा है. यह कैसिओपिया (शर्मिष्ठा) तारामंडल में मौजूद है. उन्होंने इसकी पुष्टि के लिए ब्रिटेन के खगोलशास्त्री की मदद ली. ब्रिटिश खगोलशास्त्री ने स्पेन में स्थित वेधशाला से इसकी तस्वीर भी खींची है. अंतरराष्ट्रीय एस्ट्रोनॉमर्स क्लब फ्रांस के वरिष्ठ खगोलविद ने इस नेबुला को मान्यता दी है.

खगोलीय घटना की तस्वीर.
खगोलीय घटना की तस्वीर.

खगोल विज्ञान में दिलचस्पी की वजह से कुछ साल पहले संकल्प और उत्कर्ष इंदिरा गांधी तारामंडल लखनऊ के सदस्य बने. साल 2020 में लॉकडाउन के दौरान उन्होंने इंटरनेट पर उपलब्ध खगोलीय डाटा की मदद से ब्रह्मांड में नई निहारिका की खोज का काम शुरू किया. संकल्प ने बीटेक किया है और उत्कर्ष एमिटी विश्वविद्यालय के लॉ छात्र हैं.

दोनों युवा खगोलविद काफी समय से इस कार्य में लगे हैं.
दोनों युवा खगोलविद काफी समय से इस कार्य में लगे हैं.

तमाम कठिनाइयों के बावजूद हासिल की उपलब्धि : अंतरिक्ष में नई निहारिका को खोजने की तुलना भूसे के ढेर में सुई खोजने से की जाती है. तमाम कठिनाइयों के बावजूद संकल्प और उत्कर्ष ने 55 से अधिक नई निहारिका की पहचान करने में कामयाबी पाई है. उनकी सूची और लंबी होती जा रही है. दोनों अपने अध्ययन के लिए इंदिरा गांधी तारामंडल की ओर से उपलब्ध कराई गई दूरबीन व उपकरणों का उपयोग करते हैं. इनकी सबसे चर्चित खोज बबलगम निहारिका रही. संकल्प ने 'साइंटिफिक नॉलेज फॉर यूथ फाउंडेशन' के नाम से अपनी खगोल विज्ञान की संस्था बनाई है. संकल्प और उत्कर्ष को मार्गदर्शन देने वाले वरिष्ठ विज्ञान अधिकारी सुमित श्रीवास्तव कहते हैं कि राम नेबुला की खोज प्लैनेटरी डिस्कवरी में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है. दोनों इंदिरा गांधी तारामंडल से जुड़े हैं, यह हमारे लिए गर्व की बात है.

दोनों युवा खगोलविद काफी समय से इस कार्य में लगे हैं.
दोनों युवा खगोलविद काफी समय से इस कार्य में लगे हैं.



जानिए क्या होता है नेबुला : दूर अंतरिक्ष में कोई तारा जब अपने जीवन के आखिरी चरण में होता है या मर रहा होता है तो वह अपने पीछे अवशेष के तौर पर धूल व गैस का विशाल चमकीला बादल छोड़ जाता है. इसे ही नेबुला या निहारिका कहते हैं. नेबुला नए सितारों की जननी या उनके जन्म के लिए किसी नर्सरी की तरह होता है.

यह भी पढ़ें : राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा तीसरा दिन LIVE : 550 वर्षों के इंतजार के बाद आज गर्भगृह में विराजमान हो जाएंगे रामलला



लखनऊ : राजधानी लखनऊ के युवा खगोलविद संकल्प एम. रस्तोगी और उत्कर्ष मिश्रा ने नई निहारिका यानी कि नेबुला की खोज की है. दोनों खगोलविदों ने इसका नाम 'राम' रखा है. यह कैसिओपिया (शर्मिष्ठा) तारामंडल में मौजूद है. उन्होंने इसकी पुष्टि के लिए ब्रिटेन के खगोलशास्त्री की मदद ली. ब्रिटिश खगोलशास्त्री ने स्पेन में स्थित वेधशाला से इसकी तस्वीर भी खींची है. अंतरराष्ट्रीय एस्ट्रोनॉमर्स क्लब फ्रांस के वरिष्ठ खगोलविद ने इस नेबुला को मान्यता दी है.

खगोलीय घटना की तस्वीर.
खगोलीय घटना की तस्वीर.

खगोल विज्ञान में दिलचस्पी की वजह से कुछ साल पहले संकल्प और उत्कर्ष इंदिरा गांधी तारामंडल लखनऊ के सदस्य बने. साल 2020 में लॉकडाउन के दौरान उन्होंने इंटरनेट पर उपलब्ध खगोलीय डाटा की मदद से ब्रह्मांड में नई निहारिका की खोज का काम शुरू किया. संकल्प ने बीटेक किया है और उत्कर्ष एमिटी विश्वविद्यालय के लॉ छात्र हैं.

दोनों युवा खगोलविद काफी समय से इस कार्य में लगे हैं.
दोनों युवा खगोलविद काफी समय से इस कार्य में लगे हैं.

तमाम कठिनाइयों के बावजूद हासिल की उपलब्धि : अंतरिक्ष में नई निहारिका को खोजने की तुलना भूसे के ढेर में सुई खोजने से की जाती है. तमाम कठिनाइयों के बावजूद संकल्प और उत्कर्ष ने 55 से अधिक नई निहारिका की पहचान करने में कामयाबी पाई है. उनकी सूची और लंबी होती जा रही है. दोनों अपने अध्ययन के लिए इंदिरा गांधी तारामंडल की ओर से उपलब्ध कराई गई दूरबीन व उपकरणों का उपयोग करते हैं. इनकी सबसे चर्चित खोज बबलगम निहारिका रही. संकल्प ने 'साइंटिफिक नॉलेज फॉर यूथ फाउंडेशन' के नाम से अपनी खगोल विज्ञान की संस्था बनाई है. संकल्प और उत्कर्ष को मार्गदर्शन देने वाले वरिष्ठ विज्ञान अधिकारी सुमित श्रीवास्तव कहते हैं कि राम नेबुला की खोज प्लैनेटरी डिस्कवरी में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है. दोनों इंदिरा गांधी तारामंडल से जुड़े हैं, यह हमारे लिए गर्व की बात है.

दोनों युवा खगोलविद काफी समय से इस कार्य में लगे हैं.
दोनों युवा खगोलविद काफी समय से इस कार्य में लगे हैं.



जानिए क्या होता है नेबुला : दूर अंतरिक्ष में कोई तारा जब अपने जीवन के आखिरी चरण में होता है या मर रहा होता है तो वह अपने पीछे अवशेष के तौर पर धूल व गैस का विशाल चमकीला बादल छोड़ जाता है. इसे ही नेबुला या निहारिका कहते हैं. नेबुला नए सितारों की जननी या उनके जन्म के लिए किसी नर्सरी की तरह होता है.

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