लखनऊ : आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस युग में धीरे-धीरे सभी चीजें बहुत ही छोटी होती जा रही हैं. अब पूरी तरह से डाटा साइंस का युग आ गया है, लेकिन इन सबके बीच में सिविल, मैकेनिकल व इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है. यह बात प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशीष पटेल ने सोमवार को लखनऊ विश्वविद्यालय के अभियांत्रिकी संकाय में 'रिसेंट एडवांसेज इन सिविल, मैकेनिकल एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि के तौर पर कही. प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशीष पटेल ने कहा कि 'सिविल, मैकेनिकल एवं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, इंजीनियरिंग की वो ब्रांच हैं, जिनके बिना पोस्ट इंडस्ट्रीयल युग में विकास संभव ही नहीं था.'
नई तकनीक की जानकारी होना जरूरी : इस अवसर पर लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने कहा कि 'इंजीनियरिंग की शिक्षा को केवल लैब व क्लास में नहीं प्रदान किया जा सकता, इसके लिए दूसरे अन्य पहलुओं पर भी विचार करना जरूरी होता है. उन्होंने कहा कि मीनिंग फॉर ह्यूमन रिसोर्स के लिए मुख्यता रिसेट एनवायरनमेंट एंड रिसेट एजुकेशन का ज्ञान होना आवश्यक है, वहीं इस अवसर पर मुख्य वक्ता व आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर एके वर्मा ने प्रोडक्ट डिजाइन के बारे में बताते हुए कहा कि एक अच्छे डिजाइन का उत्पादन करने में कंज्यूमर नीड का ध्यान रखना बहुत ही जरूरी होता है. उन्होंने कहा कि एक बेहतर डिजाइनर केवल कंपनी को बेहतर प्रोडक्शन करने में फायदा देता है, बल्कि उसके मुनाफे को भी बढ़ा सकता है.'
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