लखनऊ : 'प्रदेश की जनता को सुरक्षित और साफ-सुथरी परिवहन व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए उत्तर प्रदेश परिवहन निगम कई चीजों पर काम कर रहा है. विभाग ने बसों की सफाई के लिए सभी डिपो में आटोमोटिक वाशिंग प्लांट और मैनुअल व्यवस्था स्थापित कर दी है, ऐसे में गंदी बसों को रूट पर न भेजा जाए.' यह बात शुक्रवार को परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने कही. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि 'लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.'
परिवहन मंत्री ने कहा कि 'मुख्यालय स्तर के नोडल अधिकारियों, अपर प्रबन्ध निदेशक और स्वयं प्रबन्ध निदेशक द्वारा व्यक्तिगत रूप से बसों की सफाई के सम्बन्ध में स्वयं नियमित निरीक्षण करेंगे.' उन्होंने बताया कि 'वर्कशॉप में सफाई के लिए स्थापित आटोमोटिक वाशिंग प्लांट के अलावा बस स्टेशनों पर भी लघु सफाई शुरू की जा चुकी है. ऐसे में बसों की स्थिति असंतोषजनक पाये जाने पर क्षेत्रीय प्रबन्धक, सेवा प्रबन्धक, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक, सीनियर फोरमैन, स्टेशन इंचार्ज ड्यूटी क्लर्क की जिम्मेदारी तय की गई है. उन्होंने बसों की सफाई के संबंध में कहा कि परिवहन निगम जीरो टॉलरेंस नीति पर कार्य कर रहा है.'
डबल ड्यूटी रेस्ट (डीडीआर), प्रोत्साहन भत्ता और डग्गामार वाहनों पर नकेल कसे जाने समेत दस मांगों पर सहमति बन जाने के बाद लखनऊ परिक्षेत्र के रोडवेज कर्मियों ने हड़ताल टाल दी है. गुरूवार को यूपी रोडवेज इम्प्लाइज यूनियन और प्रबंध तंत्र के साथ हुई बैठक में सहमति बनने के बाद रोडवेज कर्मियों ने खुशी जताई है. गौरतलब है कि मांगों को लेकर लखनऊ परिक्षेत्र के करीब तीन हजार रोडवेज कर्मियों ने तीन मार्च को हड़ताल पर जाने का ऐलान किया था.
यूपी रोडवेज इम्प्लाइज यूनियन के शाखा अध्यक्ष प्रदीप कुमार पांडेय ने बताया कि 'लखनऊ परिक्षेत्र में डीडीआर को बंद कर दिया गया था, जबकि अन्य क्षेत्रों में यह लागू था.' उन्होंने बताया कि 'एक दिन में 400 किमी चलने पर एक डीडीआर मिलता है. इससे कर्मचारियों को काफी सहूलियत मिल जाती है. इसके अलावा छह महीने तक लगातार महीने में 22 दिन की ड्यूटी और 5500 किमी का लक्ष्य पूरा करने पर प्रोत्साहन राशि मिलती है. इस पर रोक लगा दी गई थी. इससे कर्मचारियों में निराशा का माहौल था.