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कोल खदानों में भरा बारिश का पानी, कोयले की कमी से जूझ रही हैं तापीय इकाइयां

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Published : Oct 8, 2021, 10:41 AM IST

उत्तर प्रदेश में तापीय इकाइयां इस समय कोयले की कमी से जूझ रही हैं. कोल खदानों में पानी भरने के कारण ऐसी स्थिति पैदा हुई है. वहीं इस मामले पर ऊर्जा मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन अपने प्रयास में जुटा हुआ है.

कोल खदानों में भरा बारिश का पानी.
कोल खदानों में भरा बारिश का पानी.

लखनऊ: एक तरफ उमस के कारण बिजली की मांग में जबरदस्त इजाफा हुआ है, वहीं दूसरी तरफ तापीय परियोजनाओं में कोयले का भंडार काफी कम हो गया है. इसके चलते अब उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के सामने बिजली वितरण का संकट खड़ा हो सकता है. मानसून काल में हुई ज्यादा बारिश के चलते कोल खदानों में पानी का भर गया है, जिससे कोयले की आपूर्ति प्रभावित है. भारत में स्थापित कई तापीय परियोजनाओं का कोल भंडार कम हो गया है. उत्तर प्रदेश की कई इकाइयों को कोयले के अभाव के चलते बंद भी करना पड़ रहा है.

उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बताया कि उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड ने अनपरा 'अ, ब, द' (2630 मेगावाट)ओबरा 'ब' (1000 मेगावाट), पारीछा (920 मेगावाट) और हरदुआगंज (610 मेगावाट) तापी परियोजना संचालित की जा रही हैं. उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रदेश की राजकीय, जिसमें केंद्रीय इकाइयां भी शामिल हैं और निजी क्षेत्र की इकाइयां तापीय परियोजनाओं की कुछ इकाइयां कोयले के अभाव में बंद या फिर आंशिक भार पर परिचालित की जा रही हैं. निकट भविष्य में कोयले की आपूर्ति सामान्य होने पर बंद इकाइयों को फिर से परिचालित किया जाएगा.

ऊर्जा मंत्री ने बताया कि इसके ध्यान में रखते हुए भारत सरकार के स्तर से संयुक्त सचिव कोयला मंत्रालय भारत सरकार की अध्यक्षता में एक सब ग्रुप का गठन करते हुए सप्ताह में दो बार कोल आपूर्ति का अनुश्रवण किया जा रहा है. ऊर्जा मंत्री ने बताया कि प्रदेश में विद्युत आपूर्ति प्रभावित न हो, इसके लिए अतिरिक्त बिजली आपूर्ति बाह्य स्रोतों से की जा रही है.


उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी केके सिंह 'अखिलेश' ने बताया कि केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण विद्युत मंत्रालय की कोल रिपोर्ट के अनुसार भारत में स्थापित 16 पिट हेड की तापीय परियोजना में से आठ के पास पांच दिनों से कम का कोयला भंडार शेष रह गया है. 109 नान पिट हेड (15 किलोमीटर से कम की दूरी पर स्थापित) तापीय परियोजनाओं में से 25 के पास सात दिनों से कम और 67 तापीय परियोजनाओं के पास चार दिनों से कम का कोयला भंडार बचा है.

उन्होंने बताया कि प्रदेश के तापीय विद्युत उत्पादन ग्रहों में आवश्यकता के अनुरूप कोयले की आपूर्ति नहीं हो पा रही है. उत्पादन ग्रहों में कोयले की आपूर्ति प्रभावित न हो इसके लिए उत्पादन निगम के अधिकारी कोल इंडिया लिमिटेड और कोयला मंत्रालय के संपर्क में हैं. उत्तर प्रदेश सरकार लगातार भारत सरकार के संपर्क में है. अपर मुख्य सचिव ऊर्जा की तरफ से सचिव कोयला मंत्रालय एवं विद्युत मंत्रालय से अनुरोध किया गया है. प्रदेश में बिजली की पर्याप्त उपलब्धता बनी रहे और सभी क्षेत्रों को निश्चित शेड्यूल के अनुरूप विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित हो, इसके लिए उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन अपनी तरफ से प्रयास में जुटा है.

इसे भी पढ़ें- जनसहयोग से मथुरा-वृंदावन को स्वच्छता में टॉप टेन शहरों में लाएं : श्रीकांत शर्मा

लखनऊ: एक तरफ उमस के कारण बिजली की मांग में जबरदस्त इजाफा हुआ है, वहीं दूसरी तरफ तापीय परियोजनाओं में कोयले का भंडार काफी कम हो गया है. इसके चलते अब उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के सामने बिजली वितरण का संकट खड़ा हो सकता है. मानसून काल में हुई ज्यादा बारिश के चलते कोल खदानों में पानी का भर गया है, जिससे कोयले की आपूर्ति प्रभावित है. भारत में स्थापित कई तापीय परियोजनाओं का कोल भंडार कम हो गया है. उत्तर प्रदेश की कई इकाइयों को कोयले के अभाव के चलते बंद भी करना पड़ रहा है.

उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बताया कि उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड ने अनपरा 'अ, ब, द' (2630 मेगावाट)ओबरा 'ब' (1000 मेगावाट), पारीछा (920 मेगावाट) और हरदुआगंज (610 मेगावाट) तापी परियोजना संचालित की जा रही हैं. उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रदेश की राजकीय, जिसमें केंद्रीय इकाइयां भी शामिल हैं और निजी क्षेत्र की इकाइयां तापीय परियोजनाओं की कुछ इकाइयां कोयले के अभाव में बंद या फिर आंशिक भार पर परिचालित की जा रही हैं. निकट भविष्य में कोयले की आपूर्ति सामान्य होने पर बंद इकाइयों को फिर से परिचालित किया जाएगा.

ऊर्जा मंत्री ने बताया कि इसके ध्यान में रखते हुए भारत सरकार के स्तर से संयुक्त सचिव कोयला मंत्रालय भारत सरकार की अध्यक्षता में एक सब ग्रुप का गठन करते हुए सप्ताह में दो बार कोल आपूर्ति का अनुश्रवण किया जा रहा है. ऊर्जा मंत्री ने बताया कि प्रदेश में विद्युत आपूर्ति प्रभावित न हो, इसके लिए अतिरिक्त बिजली आपूर्ति बाह्य स्रोतों से की जा रही है.


उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी केके सिंह 'अखिलेश' ने बताया कि केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण विद्युत मंत्रालय की कोल रिपोर्ट के अनुसार भारत में स्थापित 16 पिट हेड की तापीय परियोजना में से आठ के पास पांच दिनों से कम का कोयला भंडार शेष रह गया है. 109 नान पिट हेड (15 किलोमीटर से कम की दूरी पर स्थापित) तापीय परियोजनाओं में से 25 के पास सात दिनों से कम और 67 तापीय परियोजनाओं के पास चार दिनों से कम का कोयला भंडार बचा है.

उन्होंने बताया कि प्रदेश के तापीय विद्युत उत्पादन ग्रहों में आवश्यकता के अनुरूप कोयले की आपूर्ति नहीं हो पा रही है. उत्पादन ग्रहों में कोयले की आपूर्ति प्रभावित न हो इसके लिए उत्पादन निगम के अधिकारी कोल इंडिया लिमिटेड और कोयला मंत्रालय के संपर्क में हैं. उत्तर प्रदेश सरकार लगातार भारत सरकार के संपर्क में है. अपर मुख्य सचिव ऊर्जा की तरफ से सचिव कोयला मंत्रालय एवं विद्युत मंत्रालय से अनुरोध किया गया है. प्रदेश में बिजली की पर्याप्त उपलब्धता बनी रहे और सभी क्षेत्रों को निश्चित शेड्यूल के अनुरूप विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित हो, इसके लिए उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन अपनी तरफ से प्रयास में जुटा है.

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