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नाबालिग से दुष्कर्म मामले में दोषी को दस साल और सहयोगी महिला को चार साल की सजा

लखनऊ की अनुसूचित जाति और जनजाति निवारण अधिनियम की विशेष न्यायाधीश ने नाबालिग का अपहरण कर उसके साथ दुराचार करने के मामले में आरोपी को दस वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है.

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अनुसूचित जाति और जनजाति निवारण अधिनियम
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Published : Jun 28, 2022, 9:57 PM IST

लखनऊ: राजधानी में अनुसूचित जाति और जनजाति निवारण अधिनियम की विशेष न्यायाधीश शिवानी जायसवाल ने नाबालिग लड़की का अपहरण कर उसके साथ दुराचार करने के मामले में विपिन यादव को दस वर्ष की कठोर कारावास और 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. जबकि अपहरण में सहयोग करने की दोषी सलमा उर्फ कल्ली को चार वर्ष की कठोर कारावास और 12 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है.

अदालत के समक्ष अभियोजन की ओर से विशेष अधिवक्ता शिव आधार द्विवेदी और अरविंद मिश्रा का तर्क था कि इस घटना की रिपोर्ट वादी ने 28 जुलाई 2010 को मोहनलालगंज थाने में अज्ञात अभियुक्तों के विरुद्ध दर्ज कराई थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि वादी और उसकी पत्नी जब घर वापस आए तो देखा उसकी 14 वर्षीय लड़की विद्यालय कह कर गई थी. लेकिन वापस नहीं लौटी. लड़की को काफी तलाश गया. लेकिन कोई पता नहीं चल सका.

यह भी पढ़ें- 124 कंपनियां 27,133 पदों पर युवाओं को देंगी नौकरी, लखनऊ में 30 जून को लगेगा रोजगार मेला

बहस के दौरान कहा गया कि पुलिस ने 2 अगस्त 2010 को लड़की को बरामद किया और बयान में विपिन यादव और सलमा का नाम प्रकाश में आया. कहा गया है कि वादी की पत्नी स्कूल में काम करती थी और घटना वाले दिन उसकी लड़की मां को खाना देने जा रही थी कि तभी उसी समय सलमा उसे मिली और समोसे में कुछ मिला कर खिला दिया, जिससे वह बेहोश हो गई. उसके बाद सलमा ने लड़की को विपिन को सौंप दिया. आरोपी विपिन ने लड़की से दुराचार करने के बाद उसे मुरादाबाद में छोड़ दिया, जहां से वह किसी की मदद से घर वापस आई.

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लखनऊ: राजधानी में अनुसूचित जाति और जनजाति निवारण अधिनियम की विशेष न्यायाधीश शिवानी जायसवाल ने नाबालिग लड़की का अपहरण कर उसके साथ दुराचार करने के मामले में विपिन यादव को दस वर्ष की कठोर कारावास और 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. जबकि अपहरण में सहयोग करने की दोषी सलमा उर्फ कल्ली को चार वर्ष की कठोर कारावास और 12 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है.

अदालत के समक्ष अभियोजन की ओर से विशेष अधिवक्ता शिव आधार द्विवेदी और अरविंद मिश्रा का तर्क था कि इस घटना की रिपोर्ट वादी ने 28 जुलाई 2010 को मोहनलालगंज थाने में अज्ञात अभियुक्तों के विरुद्ध दर्ज कराई थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि वादी और उसकी पत्नी जब घर वापस आए तो देखा उसकी 14 वर्षीय लड़की विद्यालय कह कर गई थी. लेकिन वापस नहीं लौटी. लड़की को काफी तलाश गया. लेकिन कोई पता नहीं चल सका.

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