लखनऊ: समाजवादी पार्टी को राज्यसभा में दूसरा झटका सुरेंद्र नागर ने दिया है. नीरज शेखर के बाद उन्होंने भी सदस्यता से इस्तीफा देते हुए भाजपा में जाने के संकेत दिए हैं. सुरेंद्र नागर को समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव का बेहद करीबी नेता माना जाता था. समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद भी बारी-बारी साथ छोड़ कर जा रहे हैं. नीरज शेखर के बाद अब उनके बेहद करीबी माने जाने वाले सुरेंद्र सिंह नागर ने भी शुक्रवार को समाजवादी पार्टी को अलविदा कह दिया.
सुरेंद्र सिंह नागर का सपा से मोह भंग
- नागर ने अपना इस्तीफा पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव को भेजा है और अखिलेश यादव ने उनका इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया है.
- मामले में समाजवादी पार्टी अभी कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है.
- सुरेंद्र सिंह नागर को गौतम बुद्ध नगर गाजियाबाद क्षेत्र में गुर्जर समाज के बड़े नेताओं में शामिल किया जाता है.
- नागर 2009 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बहुजन समाज पार्टी छोड़कर समाजवादी पार्टी के साथी बने थे.
- अखिलेश यादव ने उन्हें राज्यसभा भेजा और पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव भी बनाया था.
- नागर ने शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव के बीच चले सत्ता संघर्ष के दौरान शिवपाल के बजाय अखिलेश का दामन थामा.
- सुरेंद्र सिंह का राजनीति में लंबा करियर है, उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस के साथ की थी.
- पहली बार कांग्रेस के टिकट पर विधान परिषद के सदस्य बने थे.
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नागर राष्ट्रीय लोक दल के टिकट पर दोबारा विधान परिषद में पहुंचे. 2004 में सुरेंद्र सिंह नागर ने बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर गौतम बुद्ध नगर से लोकसभा सीट का चुनाव लड़ा और भारतीय जनता पार्टी के डॉक्टर महेश शर्मा को पराजित किया. 2009 में उनका बसपा से मोहभंग हुआ और वह समाजवादी हो गए.