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कानपुर कांडः SC ने विशेष जांच आयोग का किया गठन, पूर्व DGP केएल गुप्ता होंगे सदस्य

गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद उठे सवालों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने अब विशेष जांच आयोग का गठन किया है. इस आयोग के अध्यक्ष बीएस चौहान होंगे. वहीं यूपी के पूर्व पुलिस महानिदेशक केएल गुप्ता को इसका सदस्य बनाया गया है.

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Published : Jul 22, 2020, 5:59 PM IST

Updated : Jul 22, 2020, 6:47 PM IST

supreme court set up special inquiry commission on kanpur encounter
पूर्व पुलिस महानिदेशक केएल गुप्ता.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कानपुर में पुलिस क्षेत्राधिकारी समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद उठे सियासी भूचाल के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को विशेष जांच आयोग का गठन किया है. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और विधि आयोग के पूर्व अध्यक्ष न्यायमूर्ति बीएस चौहान इस आयोग के अध्यक्ष होंगे. इसमें एक दशक पूर्व यूपी के पुलिस महानिदेशक पद से रिटायर हो चुके केएल गुप्ता को सदस्य नामित किया गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने निर्धारित किए जांच के बिंदु
मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने कानपुर कांड के लिए गठित आयोग की जांच के बिन्दु निर्धारित किए हैं. बुधवार को ईटीवी भारत आयोग के सदस्य केएल गुप्ता के घर पहुंचा. यहां पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता ने ऑन कैमरा बोलने से इंकार कर दिया, लेकिन ऑफ द कैमरा कहा कि सुप्रीम कोर्ट जांच के लिए जो भी चार्टर देगा, उन्हीं पर जांच आगे बढ़ाने के लिए आयोग के अध्यक्ष के साथ काम करेंगे.

कौन हैं केएल गुप्ता
उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के मूल निवासी कन्हैया लाल गुप्ता इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने के बाद भारतीय पुलिस सेवा में चयनित हुए थे. तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की सरकार में वे उत्तर प्रदेश पुलिस के महानिदेशक बने. विज्ञान के विद्यार्थी रहे केएल गुप्ता को यूपी पुलिस में धैर्यवान और बेहद सरल अधिकारी के रूप में याद किया जाता है. उन्होंने पुलिस में कोई अभिनव प्रयोग तो नहीं किया, लेकिन परम्परागत पुलिस पर उनका सदैव फोकस रहा है.

15 साल पूर्व पुलिस सेवा से सेवानिवृत हो चुके कन्हैया लाल गुप्ता को अब सुप्रीम कोर्ट ने कानपुर कांड (आठ पुलिस कर्मियों की शहादत, उसके बाद हुए ताबड़तोड़ पुलिस एनकाउंटर, पुलिस अपराधी गठजोड़ और अपराधियों को सफेदपोशों के संरक्षण) के आरोपों की जांच के लिए गठित कमीशन का सदस्य नियुक्त किया गया है.

कौन हैं न्यायमूर्ति बीएस चौहान
सुप्रीम कोर्ट से वकालत शुरू करने वाले न्यायमूर्ति बीएस चौहान जुलाई 2008 से मई 2009 तक ओडिशा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे. वे मई 2009 से जुलाई 2014 तक सुप्रीम कोर्ट के भी न्यायाधीश रहे. केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने 10 मार्च 2016 को उन्हें 21वें विधि आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया.

बीएस चौहान ने कावेरी नदी जल विवाद न्यायाधिकरण की अध्यक्षता भी की. अब सुप्रीम कोर्ट की सबसे बड़ी पीठ ने न्यायमूर्ति बीएस चौहान को कानपुर में आठ पुलिस कर्मियों की शहादत के बाद अपराधियों के एनकाउंटर, अपराधी पुलिस गठजोड़ और राजनीतिक संरक्षण के आरोपों की जांच के लिए गठित जांच आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया है.

यूपी में हाल के सालों में गठित प्रमुख आयोग
1-सन 2013 में बसपा सरकार ने कुछ युवकों की एसटीएफ द्वारा की गई गिरफ्तारी की जांच के लिए जस्टिस आरडी निमेष आयोग का गठन किया था.
2-उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार ने फैजाबाद के गुमनामी बाबा की पहचान के लिए आयोग का गठन किया था, जिसकी रिपोर्ट योगी सरकार ने स्वीकार करते हुए विधानसभा के पटल पर प्रस्तुत किया था.
3-मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक दंगों की जांच के लिए सरकार ने न्यायमूर्ति विष्णु सहाय की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग का गठन किया था.

ये भी पढ़ें: विकास दुबे एनकाउंटर केस : सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में बनी समिति

4- मथुरा के जवाहर बाग कांड के बाद तत्कालीन सरकार ने हाईकोर्ट के सेवानिवृत न्यायमूर्ति मिर्जा इम्तियाज मुर्तजा आयोग की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया था.
5- मेरठ के विक्टोरिया पार्क के नुमाइश पंडाल में लगी आग से बड़ी संख्या में मौतों के बाद जस्टिस एसबी सिन्हा की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया गया था.
6- अब कानपुर कांड में न्यायमूर्ति बीएस चौहान की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग का गठन किया गया है.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कानपुर में पुलिस क्षेत्राधिकारी समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद उठे सियासी भूचाल के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को विशेष जांच आयोग का गठन किया है. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और विधि आयोग के पूर्व अध्यक्ष न्यायमूर्ति बीएस चौहान इस आयोग के अध्यक्ष होंगे. इसमें एक दशक पूर्व यूपी के पुलिस महानिदेशक पद से रिटायर हो चुके केएल गुप्ता को सदस्य नामित किया गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने निर्धारित किए जांच के बिंदु
मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने कानपुर कांड के लिए गठित आयोग की जांच के बिन्दु निर्धारित किए हैं. बुधवार को ईटीवी भारत आयोग के सदस्य केएल गुप्ता के घर पहुंचा. यहां पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता ने ऑन कैमरा बोलने से इंकार कर दिया, लेकिन ऑफ द कैमरा कहा कि सुप्रीम कोर्ट जांच के लिए जो भी चार्टर देगा, उन्हीं पर जांच आगे बढ़ाने के लिए आयोग के अध्यक्ष के साथ काम करेंगे.

कौन हैं केएल गुप्ता
उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के मूल निवासी कन्हैया लाल गुप्ता इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने के बाद भारतीय पुलिस सेवा में चयनित हुए थे. तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की सरकार में वे उत्तर प्रदेश पुलिस के महानिदेशक बने. विज्ञान के विद्यार्थी रहे केएल गुप्ता को यूपी पुलिस में धैर्यवान और बेहद सरल अधिकारी के रूप में याद किया जाता है. उन्होंने पुलिस में कोई अभिनव प्रयोग तो नहीं किया, लेकिन परम्परागत पुलिस पर उनका सदैव फोकस रहा है.

15 साल पूर्व पुलिस सेवा से सेवानिवृत हो चुके कन्हैया लाल गुप्ता को अब सुप्रीम कोर्ट ने कानपुर कांड (आठ पुलिस कर्मियों की शहादत, उसके बाद हुए ताबड़तोड़ पुलिस एनकाउंटर, पुलिस अपराधी गठजोड़ और अपराधियों को सफेदपोशों के संरक्षण) के आरोपों की जांच के लिए गठित कमीशन का सदस्य नियुक्त किया गया है.

कौन हैं न्यायमूर्ति बीएस चौहान
सुप्रीम कोर्ट से वकालत शुरू करने वाले न्यायमूर्ति बीएस चौहान जुलाई 2008 से मई 2009 तक ओडिशा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे. वे मई 2009 से जुलाई 2014 तक सुप्रीम कोर्ट के भी न्यायाधीश रहे. केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने 10 मार्च 2016 को उन्हें 21वें विधि आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया.

बीएस चौहान ने कावेरी नदी जल विवाद न्यायाधिकरण की अध्यक्षता भी की. अब सुप्रीम कोर्ट की सबसे बड़ी पीठ ने न्यायमूर्ति बीएस चौहान को कानपुर में आठ पुलिस कर्मियों की शहादत के बाद अपराधियों के एनकाउंटर, अपराधी पुलिस गठजोड़ और राजनीतिक संरक्षण के आरोपों की जांच के लिए गठित जांच आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया है.

यूपी में हाल के सालों में गठित प्रमुख आयोग
1-सन 2013 में बसपा सरकार ने कुछ युवकों की एसटीएफ द्वारा की गई गिरफ्तारी की जांच के लिए जस्टिस आरडी निमेष आयोग का गठन किया था.
2-उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार ने फैजाबाद के गुमनामी बाबा की पहचान के लिए आयोग का गठन किया था, जिसकी रिपोर्ट योगी सरकार ने स्वीकार करते हुए विधानसभा के पटल पर प्रस्तुत किया था.
3-मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक दंगों की जांच के लिए सरकार ने न्यायमूर्ति विष्णु सहाय की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग का गठन किया था.

ये भी पढ़ें: विकास दुबे एनकाउंटर केस : सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में बनी समिति

4- मथुरा के जवाहर बाग कांड के बाद तत्कालीन सरकार ने हाईकोर्ट के सेवानिवृत न्यायमूर्ति मिर्जा इम्तियाज मुर्तजा आयोग की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया था.
5- मेरठ के विक्टोरिया पार्क के नुमाइश पंडाल में लगी आग से बड़ी संख्या में मौतों के बाद जस्टिस एसबी सिन्हा की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया गया था.
6- अब कानपुर कांड में न्यायमूर्ति बीएस चौहान की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग का गठन किया गया है.

Last Updated : Jul 22, 2020, 6:47 PM IST
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