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स्पेशल रिपोर्ट : भ्रष्टाचार- जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी...

55 लाख रुपये की लागत से बना शेड 25 लोगों के लिए मौत बनकर खड़ा था. तब किसे मालूम था कि बारिश से खुद को बचाने के चक्कर में वो अपने आपको मौत के हवाले कर रहे थे. तब किसे मालूम था कि बारिश की बूंदों में इतनी ताकत होगी कि उससे छत भरभराकर गिर जाएगी. लेकिन ऐसा ही हुआ...देखिए यह स्पेशल रिपोर्ट...

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Published : Jan 4, 2021, 11:04 PM IST

Updated : Jan 5, 2021, 9:42 PM IST

अंतिम सत्य
अंतिम सत्य

लखनऊ : गाजियाबाद के मुरादनगर में श्मशान में हुए हादसे में 25 लोगों की मौत ने सबको झकझोर कर रख दिया. ऐसा श्मशान जहां लोग पहुंचे थे अपने पैरों पर लेकिन लौटे कंधों पर. जहां एक चिता की आग अभी बुझी भी नहीं थी कि कई और चिता तैयार करने की बारी आ गई. चीख-पुकार के बीच केवल मातम वाली खामोशी थी और रह गए थे बर्बादी के निशां. हर तरफ कोहराम मचा था. लगा जैसे श्मशान में बने शेड पर लिखे स्लोगन हमें चिढ़ाने लगे. ढहने से बच गई दीवारों पर लिखा था जिंदगी हर जन्म में मौत से मिलती रहे, होकर जुदा फिर मौत से जीवन कली खिलती रहे. वाकई जिस ठेकेदार ने गाजियाबाद जिले के मुरादनगर की श्मशान में शेड की दीवारों पर ये लाइनें लिखवाई होंगी, वह वाकई भविष्य जानता होगा. वह जानता होगा कि श्मशान में बने शेड में कितनी घटिया क्वालिटी के सामानों का इस्तेमाल उसने करवाया था, तभी तो 25 लोग मौत से मिल गए.

स्पेशल रिपोर्ट : अंतिम सत्य...

मुरादनगर में रविवार को एक सब्जी व्यापारी के अंतिम संस्कार के लिए लोग श्मशान पहुंचे थे. तभी बारिश होने लगी और लोग बचने के लिए वहीं शेड के नीचे चले गए. लेकिन उन्हें क्या पता था कि वो मौत की छत के नीचे खड़े हैं. बारिश के बीच ही एक जोरदार आवाज ने सभी में सिहरन पैदा कर दी. जिस शेड के नीचे लोग खड़े थे वह भरभरा कर गिर चुका था. लोग उसके नीचे दबे थे. किसी का हाथ कटकर यहां पड़ा था तो किसी का पैर वहां बिखरा था. किसी के जिस्म का कोई हिस्सा जाने कहां छिपा था. हर तरफ केवल तबाही के मंजर थे...और वहां खड़े लोगों की आंखों में आंसू थे. शेड का निर्माण दो से तीन महीने पहले ही हुआ था. करीब 55 लाख रुपये खर्च हुए थे. लेकिन 55 लाख से बना शेड 25 लोगों के लिए मौत वाली शेड बन गया.

शेड के गिरने का धमाका बड़ा था लिहाजा इसकी गूंज भी दूर-दूर तक सुनाई दी. राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर राज्य के मुख्यमंत्री तक ने हादसे पर शोक जताया. सख्त रुख अपनाते हुए मुख्यमंत्री योगी ने जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए. आनन-फानन में तीन गिरफ्तारियां भी हुईं. ठेकेदार फरार है. मरने वाले के परिवारों के लिए दो-दो लाख के मुआवजे का भी ऐलान हो चुका है.

लेकिन जिनके घर का चिराग बुझ गया वो गुस्से की आग लिए सड़कों पर निकल आए. नेशनल हाइवे 58 पर शव रखकर जाम कर दिया. परिजनों का कहना है कि हादसे के जिम्मेदार लोगों को सजा मिलने पर ही मृतकों को सही मायने में इंसाफ मिलेगा. मरने वालों में कुछ ऐसे भी थे जो अपने घर के इकलौते सहारे थे. 25 लोग भ्रष्टाचार का निवाला बन गए. जाने भ्रष्ट लोगों की भूख और कितनों की जान लेगी. फिर कोई श्मशान होगा और फिर कोई हादसा होगा. हादसे की जांच फाइलों में जरुर लिखी जाती है, लेकिन जिनका कोई अपना चला जाता है उनके दिलों में यह बरसों तक लिखी होती है.

लखनऊ : गाजियाबाद के मुरादनगर में श्मशान में हुए हादसे में 25 लोगों की मौत ने सबको झकझोर कर रख दिया. ऐसा श्मशान जहां लोग पहुंचे थे अपने पैरों पर लेकिन लौटे कंधों पर. जहां एक चिता की आग अभी बुझी भी नहीं थी कि कई और चिता तैयार करने की बारी आ गई. चीख-पुकार के बीच केवल मातम वाली खामोशी थी और रह गए थे बर्बादी के निशां. हर तरफ कोहराम मचा था. लगा जैसे श्मशान में बने शेड पर लिखे स्लोगन हमें चिढ़ाने लगे. ढहने से बच गई दीवारों पर लिखा था जिंदगी हर जन्म में मौत से मिलती रहे, होकर जुदा फिर मौत से जीवन कली खिलती रहे. वाकई जिस ठेकेदार ने गाजियाबाद जिले के मुरादनगर की श्मशान में शेड की दीवारों पर ये लाइनें लिखवाई होंगी, वह वाकई भविष्य जानता होगा. वह जानता होगा कि श्मशान में बने शेड में कितनी घटिया क्वालिटी के सामानों का इस्तेमाल उसने करवाया था, तभी तो 25 लोग मौत से मिल गए.

स्पेशल रिपोर्ट : अंतिम सत्य...

मुरादनगर में रविवार को एक सब्जी व्यापारी के अंतिम संस्कार के लिए लोग श्मशान पहुंचे थे. तभी बारिश होने लगी और लोग बचने के लिए वहीं शेड के नीचे चले गए. लेकिन उन्हें क्या पता था कि वो मौत की छत के नीचे खड़े हैं. बारिश के बीच ही एक जोरदार आवाज ने सभी में सिहरन पैदा कर दी. जिस शेड के नीचे लोग खड़े थे वह भरभरा कर गिर चुका था. लोग उसके नीचे दबे थे. किसी का हाथ कटकर यहां पड़ा था तो किसी का पैर वहां बिखरा था. किसी के जिस्म का कोई हिस्सा जाने कहां छिपा था. हर तरफ केवल तबाही के मंजर थे...और वहां खड़े लोगों की आंखों में आंसू थे. शेड का निर्माण दो से तीन महीने पहले ही हुआ था. करीब 55 लाख रुपये खर्च हुए थे. लेकिन 55 लाख से बना शेड 25 लोगों के लिए मौत वाली शेड बन गया.

शेड के गिरने का धमाका बड़ा था लिहाजा इसकी गूंज भी दूर-दूर तक सुनाई दी. राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर राज्य के मुख्यमंत्री तक ने हादसे पर शोक जताया. सख्त रुख अपनाते हुए मुख्यमंत्री योगी ने जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए. आनन-फानन में तीन गिरफ्तारियां भी हुईं. ठेकेदार फरार है. मरने वाले के परिवारों के लिए दो-दो लाख के मुआवजे का भी ऐलान हो चुका है.

लेकिन जिनके घर का चिराग बुझ गया वो गुस्से की आग लिए सड़कों पर निकल आए. नेशनल हाइवे 58 पर शव रखकर जाम कर दिया. परिजनों का कहना है कि हादसे के जिम्मेदार लोगों को सजा मिलने पर ही मृतकों को सही मायने में इंसाफ मिलेगा. मरने वालों में कुछ ऐसे भी थे जो अपने घर के इकलौते सहारे थे. 25 लोग भ्रष्टाचार का निवाला बन गए. जाने भ्रष्ट लोगों की भूख और कितनों की जान लेगी. फिर कोई श्मशान होगा और फिर कोई हादसा होगा. हादसे की जांच फाइलों में जरुर लिखी जाती है, लेकिन जिनका कोई अपना चला जाता है उनके दिलों में यह बरसों तक लिखी होती है.

Last Updated : Jan 5, 2021, 9:42 PM IST
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