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स्पेशल डीजी प्रशांत कुमार ने कहा-व्यापारियों पर एफआईआर दर्ज करने से पहले की जाए जांच

व्यवसाय से जुड़े मामलों में आपराधिक मुकदमा लिखने से पहले जांच कराने संबंधी दिशा निर्देश स्पेशल डीजी प्रशांत कुमार जारी किए हैं. स्पेशल डीजी ने पुलिस अधिकारियों के सुप्रीम कोर्ट की हिदायतों का अनुपालन सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए हैं.

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Published : Aug 22, 2023, 2:57 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में व्यवसाय को गति देने व व्यापारियों को फर्जी मुकदमों से बचाने के लिए व्यवसाय से जुड़े मामलों में आपराधिक मुकदमा लिखने से पहले जांच करने के निर्देश दिए गए हैं. स्पेशल डीजी प्रशांत कुमार ने प्रेस नोट जारी करके इस संदर्भ में पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को निर्देशित किया है. पुलिस अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि शासन द्वारा प्रदेश के विकास कार्यों को गति देने के लिए प्रदेश में easy of doing business की दिशा में समस्या पैदा न हो तथा किसी भी उद्यमी, व्यापारी, शैक्षिक संस्थान, चिकित्सालय, भवन निर्माताओं, होटल, रेस्टोरेंट्स के मालिकों व कर्मचारियों का उत्पीड़ित न किया जाए.



सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए थे निर्देश

स्पेशल डीजी के अनुसार माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे प्रकरण जो सिविल प्रकृति के हैं और व्यावसायिक विवाद से संबंधित हैं वह संस्था में आकस्मिक दुर्घटना से संबंधित हैं में एफआईआर दर्ज करने से पूर्व प्रारंभिक जांच कराई जाए. इस औपचारिकता को पूरा करने के बाद ही एफआईआर दर्ज की जाए. अधिकारियों और कर्मचारियों को निर्देशित किया गया है कि संस्थान जैसे कि चिकित्सा, शिक्षा, विनिर्माण आदि में आकस्मिक दुर्घटनाओं में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने से पूर्व यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रार्थना पत्र में नामित व्यक्ति का घटना से प्रत्यक्ष संबंध है कि नहीं. आरोपी को व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा के कारण तो नामित नहीं किया गया है. जांच में या भी देखा जाएगा कि कहीं अनावश्यक रूप से संबंधित व्यक्तियों को नामित नहीं किया गया है.



व्यावसायिक प्रतिद्वंता के चलते न दर्ज ओ एफआईआर

निर्देशों का उद्देश्य है कि सिविल प्रकृति के विवादों को आपराधिक रंग देते हुए एफआईआर दर्ज करने की प्रवृत्ति से बचा जाए. कई बार देखा गया है कि व्यावसायिक प्रतिद्वंद्विता के चलते आपराधिक मुकदमे लिखाए जाते हैं. ऐसे में व्यवसायियों को समस्या होती है. इस समस्या से बचने के लिए यह निर्देश जारी किए गए हैं कि एफआईआर दर्ज करने से पहले जांच की औपचारिकता को पूरा किया जाए. इन निर्देशों का उद्देश्य व्यवसायियों को फर्जी मुकदमों से बचाना है न की अपराधियों को संरक्षण देना. संगीन अपराधों के मामले में त्वरित एफआईआर दर्ज की जाएगी. आकस्मिक घटना या अन्य एक्सीडेंट जैसी स्थिति में व्यवसायियों पर एफआईआर दर्ज करने से पहले जांच की औपचारिकता पूरी की जाएगी.

यह भी पढ़ें : राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को मुफ्त शिक्षा देगा लखनऊ विश्वविद्यालय

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में व्यवसाय को गति देने व व्यापारियों को फर्जी मुकदमों से बचाने के लिए व्यवसाय से जुड़े मामलों में आपराधिक मुकदमा लिखने से पहले जांच करने के निर्देश दिए गए हैं. स्पेशल डीजी प्रशांत कुमार ने प्रेस नोट जारी करके इस संदर्भ में पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को निर्देशित किया है. पुलिस अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि शासन द्वारा प्रदेश के विकास कार्यों को गति देने के लिए प्रदेश में easy of doing business की दिशा में समस्या पैदा न हो तथा किसी भी उद्यमी, व्यापारी, शैक्षिक संस्थान, चिकित्सालय, भवन निर्माताओं, होटल, रेस्टोरेंट्स के मालिकों व कर्मचारियों का उत्पीड़ित न किया जाए.



सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए थे निर्देश

स्पेशल डीजी के अनुसार माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे प्रकरण जो सिविल प्रकृति के हैं और व्यावसायिक विवाद से संबंधित हैं वह संस्था में आकस्मिक दुर्घटना से संबंधित हैं में एफआईआर दर्ज करने से पूर्व प्रारंभिक जांच कराई जाए. इस औपचारिकता को पूरा करने के बाद ही एफआईआर दर्ज की जाए. अधिकारियों और कर्मचारियों को निर्देशित किया गया है कि संस्थान जैसे कि चिकित्सा, शिक्षा, विनिर्माण आदि में आकस्मिक दुर्घटनाओं में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने से पूर्व यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रार्थना पत्र में नामित व्यक्ति का घटना से प्रत्यक्ष संबंध है कि नहीं. आरोपी को व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा के कारण तो नामित नहीं किया गया है. जांच में या भी देखा जाएगा कि कहीं अनावश्यक रूप से संबंधित व्यक्तियों को नामित नहीं किया गया है.



व्यावसायिक प्रतिद्वंता के चलते न दर्ज ओ एफआईआर

निर्देशों का उद्देश्य है कि सिविल प्रकृति के विवादों को आपराधिक रंग देते हुए एफआईआर दर्ज करने की प्रवृत्ति से बचा जाए. कई बार देखा गया है कि व्यावसायिक प्रतिद्वंद्विता के चलते आपराधिक मुकदमे लिखाए जाते हैं. ऐसे में व्यवसायियों को समस्या होती है. इस समस्या से बचने के लिए यह निर्देश जारी किए गए हैं कि एफआईआर दर्ज करने से पहले जांच की औपचारिकता को पूरा किया जाए. इन निर्देशों का उद्देश्य व्यवसायियों को फर्जी मुकदमों से बचाना है न की अपराधियों को संरक्षण देना. संगीन अपराधों के मामले में त्वरित एफआईआर दर्ज की जाएगी. आकस्मिक घटना या अन्य एक्सीडेंट जैसी स्थिति में व्यवसायियों पर एफआईआर दर्ज करने से पहले जांच की औपचारिकता पूरी की जाएगी.

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